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जानें कहां है देश का पहला स्मोक-फ्री गांव, जहां नहीं करते लोग धूम्रपान
कोहिमा : हम वर्ल्ड नो टोबैको डे मना रहे है। धूम्रपान छोड़ने के लिए रणनीति बनाते है। शायद उनमें कई लोग इसमें सफल हो जाते है कई धूम्रपान की लत से दूर नहीं रह पाते है। 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा एक प्रस्ताव के तहत विश्व तंबाकू निषेध दिवस (वर्ल्ड नो टोबैको डे) मनाने का फैसला लिया गया था। इसके तहत ही हर साल 31 मई को अंतरराष्ट्रीय तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है।
हम आपको देश के एक ऐसे गांव के बारे में बता रहे है जिसे पूरी तरह ' तंबाकू मुक्त गांव' घोषित किया जा चुका है। नगालैंड की राजधानी कोहिमा के नजदीक गरिफेमा गांव देश का पहला 'तंबाकू मुक्त गांव' है। कोहिमा के निकट गरिफेमा ग्राम्य परिषद में प्रधान सचिव आर बेनचिलो थोंग ने वर्ल्ड नो टोबैको डे के मौके पर साल 2014 में इसकी घोषणा की थी।
थोंग ने कहा- कि गरिफेमा ग्राम्य परिषद, विलेज विजन सेल और गांव की छात्र यूनियन के द्वारा उठाए गए कदम का यह परिणाम है। गांव में एक संकल्प लिया गया था कि तंबाकू या शराब पीकर शांति में खलल करने वालों पर 1000 रूपये जुर्माना लगाया जाएगा।
इसके साथ ही चौक चौराहे और सार्वजनिक जगहों पर बीड़ी, पान, सुपारी, शराब आदि के उपभोग पर 500 रूपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।गरिफेमा ने नगालैंड में अन्य गांवों के लिए ही नहीं बल्कि देश के दूसरे हिस्से के लिए भी उदाहरण पेश किया है। यहां के ग्रामीणों से कड़ाई से इसका पालन करने को कहा गया है।
नागालैंड में 67.9 प्रतिशत पुरूष और 28.1 प्रतिशत महिला तंबाकू का उपभोग करते हैं। उन्होंने बताया कि तंबाकू के कारण 2200 से ज्यादा भारतीय हर दिन दम तोड़ देते हैं और जितने भी तरह के कैंसर है उनमें 40 प्रतिशत तंबाकू इस्तेमाल के कारण ही होता है।