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मां से मिलते ही बच्चे बन जाते हैं पीएम, गोद में सिमट जाती है सारी दुनिया
लखनऊ: "तेरी उंगली पकड़ के चला.. ममता के आंचल में पला...मां ओ मेरी मां ...मैं तेरा लाडला.." कहते हैं कि बच्चे कितने ही बड़े क्यों न हो जाएं, लेकिन अपने मां-बाप की नजरों में वह हमेशा बच्चे ही रहते हैं। कभी बड़े नहीं होते हैं। आज देश के चहेते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अपने 66वें जन्मदिन पर अपने सभी काम छोड़कर मां हीरा बेन से आशीर्वाद लेने पहुंचे, तो जैसे ‘मैं तेरा लाडला’ वाला गाना वह मन ही मन गुनगुना रहे हों। अपनी मां के लिए ऐसा डेडिकेशन सभी को एक प्रेरणा देता है कि बच्चे चाहे कितने ही बड़े पद पर क्यों न पहुंच जाएं, लेकिन मां के आशीर्वाद को लेना नहीं भूलना चाहिए। जब वह मां से आशीर्वाद लेने के लिए झुके, तो उनकी मां के चेहरे पर ख़ुशी की लहर हिलकोरे लेने लगी। मोदी मां से बात कर रहे थे, लेकिन मीरा बेन के चेहरे पर संतुष्टि के बादल रिमझिम सी फुहार बरसा रहे थे और वह लगातार स्माइल कर रही थी। यही होता है एक मां का प्यार। बेटे की सफलता उसकी असली खुशी होती है।
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कहावत है कि मां का आशीर्वाद इंसान को उन ऊंचाइयों तक पहुंचा देता है, जिसकी वह ख्वाहिश रखता है ऐसी ही कुछ प्रेरणा की मिसाल हैं नरेंद्र मोदी की मां हीरा बेन। वो नरेंद्र मोदी की मां ही थी, जिन्होंने मोदी जी को स्वामी विवेकानंद की किताबें पढ़ने की प्रेरणा दी। मासूम से नरेंद्र मोदी में देश के लिए इतना प्यार जगा दिया कि वह देश की सेवा में ही लीन रहते हैं। नरेंद्र मोदी हीरा बेन के छह बच्चों में तीसरे नंबर थे। मोदी जी का बचपन तंगहाली में बीता इनका गरीब परिवार 40 गुणा 12 फिट के कमरे में रहता था। आप जरा सोचकर देखिए कि इस छोटे से कमरे में आठ लोग कैसे रहते होंगे?
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परिवार के लिए दो वक्त की रोजी-रोटी कमाने के लिए मोदी ने वडनगर स्टेशन पर चाय तक बेची। शायद इसी वजह से 2014 के चुनाव में जब उन्होंने खुद के स्टेशन पर चाय बेचने का जिक्र किया, तो विरोधियों ने उनका खूब मजाक उड़ाया। लेकिन उनपर इन सबका कोई असर नहीं हुआ और वह देश हित के कामों में लग गए। नरेंद्र मोदी को उनके समर्थक कट्टर हिंदू मानते हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि बचपन में उनके ज्यादा दोस्त मुसलमान थे। वो बचपन में होली और दीपावली के साथ ईद और बकरीद भी मनाया करते थे। वो अपने मुसलमान दोस्तों के यहां सेवईयां खाने जाया करते थे।
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नरेंद्र मोदी जब 9 साल के थे, तब तापी नदी में बाढ़ आ गई। वो अपने दोस्तों के साथ पहुंच गए और नदी किनारे फूड स्टाल लगा दिया। लोगों को राहत देने में वो सबसे आगे थे। उनकी खूबियों को देखकर मां हीरा बेन ख़ुशी से फूली नहीं समाती थी शायद यही सब वो बातें थी कि छह भाई-बहनों में हीरा बेन सबसे ज्यादा उन्हें प्यार करती थीं । भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 का वार चरम पर था। मां हीरा बेन ने ही उन्हें टी स्टाल लगाने और मुफ्त जवानों को चाय पिलाने का आदेश दिया था।फिर क्या नरेंद्र मोदी ने वडनगर स्टेशन पर टी स्टाल लगाया। ट्रेन से आने और जाने वाले सेना के जवानों को वो मुफ्त चाय पिलाया करते। नरेंद्र मोदी बचपन में ये मानते थे कि सेना में जाकर ही देश की सेवा की जा सकती है। लेकिन किस्मत को तो कुछ ओर मंजूर था। सेना में नहीं जाकर वो जन सेवा के क्षेत्र में आए और 2014 में देश के पीएम बने। तब से लेकर आजतक वह जनसेवा के कार्य में लगे हुए हैं।