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राहुल जी, चचा नेहरू के समय से आजतक ‘National disaster’ सिर्फ एक जुमला है
नई दिल्ली : केरल में आई बाढ़ ने अगले पिछले सभी रिकार्ड तोड़ दिए हैं। देश और देश के बाहर से सहायता के लिए आम और खास लोग जहां स्वयं मदद कर रहे हैं। वहीं अपील भी कर रहे हैं हाथ बढ़ाने की। देश की राजधानी से लगभग 3000 किमी. दूर आई इस प्राकृतिक आपदा ने सभी को अंदर तक हिला के रख दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी केंद्र से मांग कर रहे हैं कि इसे ‘राष्ट्रीय आपदा’ घोषित किया जाए। हमने ये पता करने की कोशिश की कि कोई आपदा कैसे ‘राष्ट्रीय आपदा’ घोषित होती है तो कुछ खास बातें हमारे सामने आई....आप भी जानिए हमें क्या पता चला है।
- वर्ष 2005 में एक कानून बना जिसे नाम मिला आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005।
- इस ऐक्ट में ‘राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण’ का जिक्र तो है। लेकिन ‘राष्ट्रीय आपदा’ की परिभाषा नहीं है।
- इसके साथ ही 10वें वित्त आयोग में प्रस्ताव लाया गया कि यदि किसी आपदा की वजह से किसी सूबे की एक-तिहाई आबादी प्रभावित होती है, तो ‘अभूतपूर्व स्तर पर आई राष्ट्रीय आपदा’ कहा जाएगा। लेकिन ये ‘अभूतपूर्व स्तर’ क्या होगा, ये नहीं बताया।
- 3 जुलाई, 1998 को 11वें वित्त आयोग का गठन हुआ। वर्ष 2000-01 वित्त वर्ष के लिए अपनी रिपोर्ट में इसने ‘राष्ट्रीय आपदा’ का जिक्र किया। आयोग ने ‘नैशनल कलैमिटी कन्टिजेंसी फंड’ तैयार करने की बात कही। इसमें कहा गया कि आपदा की तीव्रता और असर की पहले से कल्पना नहीं की जा सकती। इसके लिए कोई अडवांस बजट नहीं दिया जा सकता।
- वर्ष 2001 में गुजरात भूकंप से दहल उठा, तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने अध्यक्ष के तौर पर ‘नैशनल कमिटी ऑन डिज़ास्टर मैनेजमेंट’ की मीटिंग ली।
- इसका सार ये था कि आपदा को राष्ट्रीय आपदा मानने के लिए कुछ मानक बनाए होने चाहिए। लेकिन नतीजा सिफर रहा।
- ढोल ताशे के साथ 2005 में आए ‘आपदा प्रबंधन अधिनियम’ में भी कोई उत्तर नहीं खोजा जा सका।
- अब देश में बड़ी आपदा के समय केंद्र सरकार राज्य को हर संभव मदद देती है। सेना और एनडीआरएफ को राहत-बचाव के काम में लगाया जाता है।
- सूबे में आर्थिक मदद देने के लिए केंद्र ‘कलैमिटी रिलीफ फंड’ बनाती है। इसमें प्रदेश और केंद्र का अनुपात होता है 3-1 का।
- इसे ऐसे समझ सकते हैं कि 100 रुपए में 75 केंद्र सरकार देगी और बाकी का राज्य सरकार।
- कभी-कभी इससे भी बात नहीं बनती तो नैशनल कलैमिटी कन्टिजेंसी फंड से मदद की जाती है। इसका सारा पैसा केंद्र राज्य को देता है।
- आपको बता दें एक होता है नैशनल डिजास्टर रिलीफ फंड। जब बड़े स्तर पर आपदा आती है, तो केंद्र सरकार कई मंत्रालयों को मिलाकर एक टीमे बनाती हैं। ये टीम प्रभावित राज्य में नुकसान का आकलन करती है और राहत और बचाव कार्य के साथ ही पुनर्वास में कितना फंड देना होगा इसको तय करती है।
- अमेरिका व दुनिया के कुछ देशों में ‘नैशनल डिजास्टर’ शब्द प्रयोग में लाया जाता है। यहां आपदाओं के समय राष्ट्रपति एक नोटिफिकेशन जारी करता है। इसके बाद ही केंद्रीय एजेंसियां राज्य में राहत और बचाव कार्य कर सकती हैं।
- दरअसल इन देशों में राज्य व केंद्र के संबंध न के बराबर होते हैं ऐसे में केंद्र सरकार अपने मन से कहीं भी राहत कार्य नहीं कर सकती जबतक संबंधित राज्य उससे मदद नहीं मांगते।
- आगे से ध्यान रखिएगा ‘राष्ट्रीय आपदा’ सिर्फ एक जुमला है।
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