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वाराणसी के इस काली मंदिर में पूरी होती है भक्तों की इच्छा, चढ़ती है नारियल की बलि

वाराणसी में मां का काली रूपी कालरात्रि का मंदिर सैकड़ो वर्षो से भक्तों की आस्था का केंद्र रहा है। शारदीय नवरात्र में इनके दर्शनों का विशेष महत्व है। इसी समय भक्त मां के दर्शन व पूजन करते है और मां कालरात्रि जी उनकी मनोकामना पूर्ण करती है। कोई अपने लिए सुरक्षा और समृद्धि मांगता है तो कोई माँ से उनकी कृपा मांगता है। नवरात्र के दिनों में भक्त मां के दर्शन करते है और उनसे अपनी मान की इच्छा जाहिर करते है। मां भी अपने भक्तो की कामना पूर्ण करती है।

priyankajoshi
Published on: 8 Oct 2016 4:06 PM IST
वाराणसी के इस काली मंदिर में पूरी होती है भक्तों की इच्छा, चढ़ती है नारियल की बलि
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वाराणसी : शारदीय नवरात्री के सातवें दिन मां कालरात्रि के रूप का दर्शन का विधान है। वाराणसी में मां कालरात्रि देवी के रूप में मां कलिका गली में भव्य और अति प्राचीन मंदिर विद्यमान है। यहां मां के बेहद भव्य स्वरुप के दर्शन होते है। रात्रि से ही यहां मां के दर्शनों के लिए भक्तो की भीड़ उमड़ पड़ी है। मां कालरात्रि को शत्रु नाशक रक्षा की देवी माना जाता है। इसीलिए यहां भक्तों की खासी भीड़ रहती है। यहां मां को नारियल बलि के रूप में चढ़ाने का विशेष महत्व है। मां को चुनरी के साथ लाल अड़हुल की माला और मिष्ठान भी भोग लगाया जाता है। जिससे मां अपने भक्तों को सदबुद्धि और सुरक्षा देती है।

नवरात्रि के सात वें दिन माँ काल रात्रि की होती है पूजा,दर्शन मात्र से होता है अज्ञात शत्रुओ का नाश

वाराणसी में मां का काली रूपी कालरात्रि का मंदिर सैकड़ो वर्षो से भक्तों की आस्था का केंद्र रहा है। शारदीय नवरात्र में इनके दर्शनों का विशेष महत्व है। इसी समय भक्त मां के दर्शन व पूजन करते है और मां कालरात्रि जी उनकी मनोकामना पूर्ण करती है। कोई अपने लिए सुरक्षा और समृद्धि मांगता है तो कोई माँ से उनकी कृपा मांगता है। नवरात्र के दिनों में भक्त मां के दर्शन करते है और उनसे अपनी मान की इच्छा जाहिर करते है। मां भी अपने भक्तो की कामना पूर्ण करती है।

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कालिका देवी अपने स्वरुप के जरिए दर्शनार्थियों का कल्याण करती है। कहा जाता है कि मां का ये स्वरुप काल का नाश करने वाला है। यही नहीं जिनको कार्य से लेकर जीवन में किसी भी तरह की कोई बाधा होती है तो मां उसका कल्याण करती है। मां कालरात्रि अज्ञात शत्रुओं का भी नाश करती है। इन्हें लाल रंग के गुड़हल के फूलों से प्रसन्न किया जाता है। नारियल की बलि देने की भी परंपरा है। आज भक्त मां को परंपरागत अंदाज में प्रसन्न करने में जुटे हैं।

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इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

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