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SHOCKING: 50 सालों से नहीं जन्मा है इस गांव में एक भी बच्चा, जानें कैसे बढ़ रही आबादी?

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Published on: 9 Oct 2016 5:18 PM IST
SHOCKING: 50 सालों से नहीं जन्मा है इस गांव में एक भी बच्चा, जानें कैसे बढ़ रही आबादी?
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मध्य प्रदेश: अगर लोगों से कहा जाए कि उस गांव में 50 सालों से बारिश नहीं हुई है या फिर कोई तूफान नहीं आया है, तो शायद लोग मान भी जाएं। लेकिन आजकल टेक्नोलॉजी के समय में अगर हम आपसे कहें कि एक गांव ऐसा भी है कि वहां पर पिछले 50 सालों से किसी बच्चे ने जन्म नहीं लिया है, तो आप शायद ही यकीन कर पाएं। लेकिन यह सच है। इंडिया में एक गांव ऐसा भी है, जहां 50 सालों से एक किसी बच्चे का जन्म नहीं हुआ है। ऐसे में आप यह सोच रहे होंगे कि तो फिर उस गांव में आबादी कैसे है? तो इसका भी जवाब हम आपको बता रहे हैं।

आगे की स्लाइड में जानिए क्या है इस अनोखे गांव का नाम

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बता दें कि यह गांव मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में है। यहां 50 सालों से किसी बच्चे ने जन्म नहीं लिया है। लेकिन उससे भी ज्यादा हैरानी की बात यह है कि यह सब सिर्फ एक अंधविश्वास की वजह से हो रहा है। इस अनोखे गांव का नाम सांका जागीर का है। यहां की कोई भी महिला अपने होने वाले बच्चे को गांव की सीमा के अंदर जन्म नहीं देती है। यहां के लोगों का मानना है कि अगर बच्चे ने गांव की सीमा में जन्म लिया, तो या तो उसकी जान चली जाएगी या फिर वह दिव्यांग हो जाएगा।

आगे की स्लाइड में जानिए क्या है यहां के लोगों का कहना

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बता दें कि जब भी गांव की किसी महिला को प्रसव पीड़ा होनी शुरू होती है। तो तुरंत ही उसे गांव की बाहरी सीमा पर बने एक कमरे में पहुंचा दिया जाता है। जो कि ख़ास बच्चों के जन्म के लिए ही बनवाया गया है। इस कमरे में गांव की एक दाई मां बच्चे का जन्म करवाती है। उसके बाद अगर जच्चा-बच्चा दोनों ठीक रहे, तो उन्हें कुछ घंटों के बाद खुशी-खुशी गांव की सीमा के अंदर घर ले जाया जाता है।

इस गांव के लोगों का कहना है कि यह फरमान गांव के बुजुर्गों ने जारी किया है। उनके अनुसार इस गांव में किसी जमाने में श्यामजी का बड़ा फेमस मंदिर था। उसकी पवित्रता बनाए रखने के लिए उन लोगों ने यह डिसीजन लिया कि किसी भी गर्भवती की डिलीवरी गांव से बाहर करवाई जाएगी। तब से लेकर आज तक यह परंपरा चली आ रही है। गांव के बड़े-बुजुर्गों का कहना है कि उन्होंने पिछले 50 सालों से यहां किसी भी बच्चे का जन्म होते नहीं देखा है। साथ ही उनका यह भी कहना है कि जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिए आगे भी इस परंपरा का पालन किया जाएगा।

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