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पद्मश्री मुजफ्फर अली पर लगे आरोप बेबुनियाद, वन विभाग को ठहराया जिम्मेदार

मशहूर फिल्म निर्माता निर्देशक पद्मश्री मुजफ्फर अली ने कोटवारा राजघराने के ऊपर लगाए गए वन विभाग के आरोप को बेबुनियाद बताया। उन्होंने मुख्य वन संरक्षक एके जैन की 500 पन्नो की रिपोर्ट पेश की है। जिसमें कोटवारा की दिवंगत महरानी और मुजफ्फर अली को बेकसूर साबित किया है।

priyankajoshi
Published on: 5 Nov 2016 1:30 AM IST
पद्मश्री मुजफ्फर अली पर लगे आरोप बेबुनियाद, वन विभाग को ठहराया जिम्मेदार
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लखनऊ : मशहूर फिल्म निर्माता निर्देशक पद्मश्री मुजफ्फर अली ने कोटवारा राजघराने के ऊपर लगाए गए वन विभाग के आरोप को बेबुनियाद बताया। उन्होंने मुख्य वन संरक्षक एके जैन की 500 पन्नो की रिपोर्ट पेश की है। जिसमें कोटवारा की दिवंगत महरानी और मुजफ्फर अली को बेकसूर साबित किया है।

उनका कहना है कि रिपोर्ट में सब कुछ साबित होने के बाद भी रिपोर्ट को दबा दिया गया और उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में सब कुछ साफ होने के बाद भी अभी तक उनको राहत नहीं मिली है। मीडिया के सामने रिपोर्ट पेश करते हुए अपील की मीडिया ही सही और गलत का फैसला कर सकती है।

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क्या है मामला?

-दरअसल साल 2013 में अपनी फिल्म के बजट के लिए कोटवार रियासत के राजा पदमश्री मुजफ्फरअली ने अपनी रियासत की जमीन बेचनी चाही।

-जिस पर वहां के रेंजर और डीएफओ ने मिलकर यह आरोप लगाया कि यह जमीन उनकी नहीं बल्कि कोटवारा रियासत की महारानी स्वर्गीय कनीज हैदर और उनके बेटे मुजफ्फर अली पर सांठ-गाठ कर जमीन अपने नाम करने का बेबुनियाद आरोप लगाया।

-आरटीआई एक्टिविस्ट सिद्धार्थ नारायण ने कहा की गोला गोरखनाथ के कुछ अधिकारियो ने मुजफ्फरअली के खिलाफ एसडीएम न्यायलय गोला में प्रार्थनापत्र दाखिला किया।

-उनकी पुश्तैनी जमीन का दाखिला खारिज करने की फरियाद की।

-इसके साथ ही परिवार के ऊपर लांछन लगाकर झूठे तथ्य सामने लेकर मानसिक उत्पीड़न किया गया। -वही कोटवारा राजघराने की तरफ से 600 गरीब परिवारों के लिए बनाए गए मुलायम आवास को ध्वस्त कर दिया।

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क्या कहना है मुजफ्फरअली का?

मुजफ्फरअली का कहना है कि यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ मेरे संबंध अच्छे है। इसका ये मतलब नहीं की मैं उनसे अपने काम के लिए बार-बार कहता रहूं। यह मेरा निजी मसला है, मैं इसमें किसी को नहीं लाना चाहता। मेरा मानना है कि सब काम एक तरीके से होता है और उसी तरीके पर चलते हुए मैं बेगुनाह साबित हो गया हूं।

मेरी हैसियत यह तो आम जनता की क्या होगी?

मशहूर निर्माता और पदम श्री से नवाजे जा चुके मुजफ्फरअली से सवाल किया। इसमें उनसे पूछा गया कि इतनी मशहूर हस्ती होने के बावजूद आपके साथ कोई अधिकारी ऐसा कैसे कर सकता है तो उन्होंने कहा कि यही तो अफसोस की बात है, अधिकारियो की नजरों में जब मेरी यह हैसियत है तो आम जनता की क्या होगी।

वन विभाग को ठहराया जिम्मेदार

-रिपोर्ट में बेगुनाह साबित होने के बावजूद मुजफ्फर अली को आए दिन सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते है। जिससे वो बुरी तरह परेशान हो चुके है।

-उन्होंने कहा, 'मैं एक क्रिएटिव आदमी हूं अगर मैं इन्हीं सब चक्करो में पड़ा रहूंगा तो फिल्में कब बनाऊंगा।'

-साबित हो चुका है की जमीन मेरी लेकिन जमीन लेना हो तो ले लो मगर मेरा पीछा छोड़ दो।

-अपने बयान में उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश वन विभाग उनकी जिंदगी के 3 साल बर्बाद करने के लिए पूरी तरह जिम्मेदार है।

-इसके साथ ही जो आर्थिक नुकसान राज्य को फिल्म निर्माण ना होने की वजह से हुआ है। उसके लिए वन विभाग ही दोषी है।

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इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

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