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इस दिन व्रत करने से होता है सारे पापों का नाश,भगवान विष्णु को है बहुत प्रिय
जयपुर:आश्विन मास के शुक्लपक्ष में आने वाली एकादशी को पापाकुंशा एकादशी कहा जाता है। इस साल 20 अक्टूबर 2018 को पापाकुंशा एकादशी व्रत 2018 है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से सारे पापों का नाश होता है। शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि एकादशी भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है। एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु शीघ्र ही प्रसन्न होते है। इस व्रत करने वाले भक्तों को धन, सम्पत्ति, धर्म व मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत को श्रद्धा से करने वाला व्यक्ति अंत समय में भगवान विष्णु के धाम बैकुण्ठ को जाता है।
महत्व ऋषियों ने माना है कि एकादशी के समान पापनाशक व्रत दूसरा कोई नहीं है। प्रत्येक मनुष्य को एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। क्योकि साधु-संतों और हिन्दू धर्म के ज्ञाताओं का ऐसा मानना है कि मनुष्य का जन्म ही केवल ईश्वर की प्राप्ति के लिए होता है। ऐसे में एकादशी का व्रत मनुष्य को मोक्ष प्रदान कराने वाला है, इसके माध्यम से कोई भी भगवत प्राप्ति कर सकता है। किसी भी पूजा में आरती का महत्व बहुत अधिक होता है। ऐसे में अपनी इस स्टोरी में हम आपको बता रहे है एकादशी की आरती-
आरती
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता।। ॐ।।
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी।।ॐ।।
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है।
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै।। ॐ ।।
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की।। ॐ ।।
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली।। ॐ ।।
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी।। ॐ ।।
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी।। ॐ ।।
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया।। ॐ ।।
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी।। ॐ ।।
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।