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सीनियर जज मुख्य न्यायाधीश को लगाते हैं मस्का, बख़्श दिए जाते हैं भ्रष्ट जज

राम केवी
Published on: 28 Aug 2019 10:12 PM IST
सीनियर जज मुख्य न्यायाधीश को लगाते हैं मस्का, बख़्श दिए जाते हैं भ्रष्ट जज
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पटना। बिहार में न्यायपालिका की कार्यप्रणाली पर बुधवार को सबसे कड़ा और तीखा प्रहार हुआ है। इतिहास में शायद यह पहली बार है जब पटना हाई कोर्ट के जस्टिस राकेश कुमार ने एक मामले की सुनवाई के दौरान न सिर्फ हाईकोर्ट की कार्यप्रणाली पर तीखा प्रहार किया, बल्कि भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों को मिल रहे संरक्षण पर भी गंभीर टिप्पणी की। उन्होंने यहां तक कह दिया कि देख रहा हूं कि सीनियर जज मुख्य न्यायाधीश का मस्का लगाते रहते हैं। ताकि भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों को फेवर किया जा सके।

जस्टिस राकेश कुमार ने खोली भ्रष्टाचार की पोल

दरअसल, बुधवार को पटना हाईकोर्ट में पूर्व आईएएस अधिकारी केपी रमैया के मामले में सुनवाई चल रही थी। अपने कड़े रवैये और भ्रष्टाचार के खिलाफ खुलकर चोट करने के लिए मशहूर जस्टिस राकेश कुमार ने न्यायिक प्रक्रिया में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल खोल दी।

केपी रमैया की जमानत याचिका को खारिज करने वाले जस्टिस राकेश कुमार ने जब देखा कि निचली अदालत ने उन्हें जमानत दे दी है तो वह बिफर पड़े। सवाल उठाया कि जिसे हाईकोर्ट ने जमानत नहीं दी, सुप्रीम कोर्ट ने रियायत नहीं दी, उसे निचली अदालत ने जमानत कैसे दी?

केपी रमैया के खुलेआम घूमने पर सवाल उठाते हुए जस्टिस राकेश कुमार ने इस पूरे प्रकरण की जांच करने का निर्देश पटना के जिला एवं सत्र न्यायाधीश को दिया है।

कार्य प्रणाली पर उठाए गंभीर सवाल

बुधवार को दिए अपने फैसले में जस्टिस राकेश कुमार ने बिहार की निचली अदालतों और पटना हाईकोर्ट की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों को मिल रहे संरक्षण की चर्चा करते हुए अपने आदेश में कहा कि जिनके खिलाफ गंभीर आरोप साबित हो जाता है उसे भी यहां नजरअंदाज कर दिया जाता है।

बर्खास्तगी की जगह मामूली सजा क्यों

अनुशासनात्मक कार्यवाही में जिस न्यायिक अधिकारी के खिलाफ आरोप साबित हो जाता है, उसे भी मेरी अनुपस्थिति में बर्खास्त करने की बजाय मामूली सजा देकर छोड़ दिया जाता है।

जस्टिस राकेश कुमार ने फैसले में यह भी कहा है कि जब मैंने इसका विरोध किया तो उसे भी नजरअंदाज कर दिया गया। ऐसा लगता है कि भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों को संरक्षण देने की परिपाटी हाईकोर्ट में बनती जा रही है। यही कारण है कि निचली अदालत के न्यायिक अधिकारी रमैया जैसे अफसर को जमानत देने की ज़ुर्रत करते हैं।

जस्टिस राकेश कुमार ने कहा कि पटना के जिस एडीजे के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला साबित हुआ, उन्हें बर्खास्त करने की बजाए मामूली सजा क्यों दी गई?

सरकारी बंगले की सजावट पर भी सवाल

जस्टिस राकेश कुमार ने जजों के सरकारी बंगले पर होने वाले अनावश्यक खर्च पर भी सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा है कि टैक्सपेयर का करोडों रुपया बंगले की साज-सज्जा में खर्च किया जाता है।

न्यायपालिका में भ्रष्टाचार की कलई खोलने वाले जस्टिस राकेश कुमार ने पटना सिविल कोर्ट में हुए स्टिंग ऑपरेशन पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि कोर्ट में हुए स्टिंग ऑपरेशन के दौरान सरेआम घूस मांगते कोर्ट कर्मचारियों को पूरे देश ने देखा। लेकिन ऐसे भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मियों के खिलाफ आज तक कोई FIR तक दर्ज नहीं की गई।

जबकि हाईकोर्ट के ही एक वकील बीते डेढ़ साल से पीआईएल दायर कर एफआईआर दर्ज करने की गुहार लगा रहे हैं। स्टिंग ऑपरेशन पर स्वत संज्ञान लेते हुए उन्होंने इस पूरे मामले की जांच सीबीआई को करने का निर्देश दिया है।



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