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MOTHER'S DAY: जैसे जिंदगी जीने के जरूरी है सांस, वैसे ही हैं इन लोगों के अपनी 'मां' के लिए एहसास

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Published on: 14 May 2017 10:11 AM IST
MOTHERS DAY: जैसे जिंदगी जीने के जरूरी है सांस, वैसे ही हैं इन लोगों के अपनी मां के लिए एहसास
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मां मुझे आज भी याद है, जब मैंने पहली बार अपनी आंखें खोली। उस वक्‍त मेरी आंखों के सामने चारों ओर अंधेरा देखकर मैं डर गई। पर तभी मुझे एक आवाज सुनाई दी। मां वो आपकी आवाज थी।

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संध्या यादव

लखन: मां मुझे आज भी याद है, जब मैंने पहली बार अपनी आंखें खोली। उस वक्‍त मेरी आंखों के सामने चारों ओर अंधेरा देखकर मैं डर गई। पर तभी मुझे एक आवाज सुनाई दी। मां वो आपकी आवाज थी। आपकी आवाज सुनकर मां मेरा डर गायब हो गया। उस वक्‍त मुझे ऐसा लगा कि शायद मैं दुनिया की सबसे सुरक्षित जगह पर हूं। मां मैं जानती हूं कि जब मैं खाने का मतलब भी नहीं जानती थी, तब आपने मुझे अपने हिस्‍से को खिलाकर मेरी भूख मिटाई थी।

मुझे खुद भी ठीक से नहीं याद है कि जाने-अनजाने में मैंने खुद न जाने कितनी बार अपनी लातें चलाकर आपको दर्द दिया। पर मां मैं हैरान इस बात पर हुई कि मेरी इस हरकत पर आप नाराज नहीं हुई। आप और ज्‍यादा खुश हुई। बस इसलिए कि मैं जो आपका अंश थी, उसने हरकतें शुरू कर दी थी। मां मुझे आपकी राहत की वो ठंडी आह याद है।

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ali shehzeen अलीशा अंसारी शहजीन

मैं हमेशा से सोचती थी कि बाहर की दुनिया के लोग कैसे होते होंगे? आपको याद है मां, पर जब मैं दुनिया में आई, तो 5 मिनट मैंने अपनी आंखें नहीं खोली थी। आप उस वक्‍त परेशान हो गई थी। पर मैं आज उस राज का खुलासा करना चाहती हूं। मां जब मैं दुनिया में आई, तो उस वक्‍त मुझे एक नर्स ने अपनी गोद में लिया था। पर मैं तो सबसे पहले उसी आवाज वाले खूबसूरत चेहरे का दीदार करना चाहती थी, जिन्‍हें मैं अपनी अंदर वाली दुनिया से सुनती थी।

आप शायद भूल गई हों पर मैं जैसे ही आपकी गोद में आई, मैंने तुरंत अपनी आंखें खोल दी थी। मां उस वक्‍त बस ऐसा लगा कि मां आप तो मेरी कल्‍पना से कहीं ज्‍यादा प्‍यारी थी। फिर मैं धीरे-धीरे बड़ी होने लगी।

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शालिनी तिवारी साक्षी चौबे

मां मुझे याद है कि जब आप मेरे साथ पकड़म-पकड़ाई खेलती थी। मां-मां कहकर मैं आगे-आगे भागा करती थी और आप मुझे पकड़ने की कोशिश तो करती थी पर नहीं पकड़ पाती थी। जानती हैं मां क्‍यों? क्‍योंकि आप मेरे चेहरे पर मेरी जीत की खुशी देखना चाहती थी। आप मेरे साथ खेले गए गेम में हमेशा जानबूझ कर हार जाया करती थी। फिर मैं और बड़ी होने लगी।

मुझे बहुत अच्‍छे से याद है, जब मैंने पहली बार अपने कंधों पर स्‍कूल बैग टांगा था। उस वक्‍त आपकी आंखों में जो सैलाब भरा हुआ था, उसे यादकर मेरी आंखें आज भी भर जाती हैं। मां वो आंसू नहीं थे, जिंदगी की समझदारी में मेरा पहला कदम रखने की आपकी खुशी थी। मैं डर की वजह से स्‍कूल के अंदर नहीं जा रही थी। मैंने आपसे एक प्रॉमिस लिया कि जब तक मैं स्‍कूल से बाहर नहीं आ जाती, आप वहीं रूकी रहोगी।

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रिजवान खान समर्थ श्रीवास्तव एडम सुल्तान

मां छुट्टी के बाद मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था क्‍योंकि आपको मैंने वहीं पाया, जहां छोड़ा था। मां आज मुझे एहसास होता है कि कैसे उन तपती गर्मियों में पूरे दिन तपस्‍या करवाई थी। आज पता चला मां कि आपने पूरा दिन बिना कुछ खाए-पिए गुजार दिया था, सिर्फ और सिर्फ मेरे लिए मां।

आज जब मुझे आप 10 मिनट धूप में नहीं जाने देती, मैंने 6 घंटे आपको धूप में खड़े रखा था। मां तब भी आप मुझसे नाराज नहीं हुई।

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माधवी सिंह

जब मैं कुछ और बड़ी हुई, तो आपने मुझे समझाना शुरू किया कि किस तरह से रहना चाहिए? अच्‍छे लोगों से दोस्‍ती करनी चाहिए। बड़ों का सम्‍मान करना चाहिए। पर शायद टीनेज होने की वजह से मैं हमेशा आपके ऊपर कम पढ़े-लिखे होने का टैग लगाकर आपको चुप रहने के लिए कहती थी।

मुझे अच्‍छे से याद है कि मेरे दोस्‍तों में आप मेरा रूतबा कायम करने के लिए मुझे खुद के बचाए हुए पैसे देती थी और पैसों की कमी होने पर आपको पापा की डांट खानी पड़ती थी।

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जाह्नवी

एक तरफ ज‍हां समाज लड़कियों को आगे नहीं बढ़ने देता है, वहां भी आपने मुझे दूसरों की परवाह करे बिना स्‍टाइलिश कपड़े पहनाए। पर खुद आप हमेशा उसी सूती साड़ी में रहती। मुझे याद है कि एकबार आप मुझे स्‍कूल छोड़ने गई, तो आपने दोस्‍तों से मिलवाने को कहा। मैंने आपसे झूठ बोला कि मेरे दोस्‍त नहीं आए। जबकि आपने मेरे दोस्‍तों को देख लिया था।

पर मां तब भी आप नाराज नहीं हुई। मां मैं आपसे माफी मांगती हूं। मुझे खुद नहीं पता था कि मैं जिसका अपमान कर रही हूं, वो ही मेरा सबसे बड़ा सम्‍मान हैं।

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ताजीम रिजवी

मां जब मैं कॉलेज जाने लगी, तो मुझमें कुछ समझदारी आ गई थी। मां मुझे एक एक बात याद है कि आपने कई बार मेरे हिस्‍से की भूख मिटाने के लिए आप खुद भूख रहती थी। मां जब पापा किसी बात पर मुझसे नाराज हुए, तब आपने ही पापा को समझाया। मां मुझे याद है कि जब आपने मुझे बाहर रहकर पढ़ाने का विचार किया, तो किस तरह पापा से लेकर रिश्‍तेदार तक नाराज हुए। पर आपने किसी की नहीं सुनी। आपकी बस एक जिद थी मेरी जिंदगी को काबिल बनाने की।

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प्रभात सिंह यादव शोभित कालरा

आपने मुझे कभी कोई कमी महसूस नहीं होने दी। आपने हमेशा मेरा साथ दिया। हमेशा मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा दी। मैं जानती हूं कि मां जाने अनजाने न जाने कितनी बार दिल दुखाया है पर आपने मुझसे कभी कोई शिकायत नहीं की। मां आप सहनशीलता की मूर्ति हो। त्‍याग की प्रतिमा हो। मां आज एहसास होता है कि मैं कितनी खुशनसीब हूं।

मां आज एहसास होता है कि किस तरह आपकी हर बात में मेरे लिए दुआ होती है। आपका हर वो फैसला मेरे लिए सफलता का दरवाजा खोलता रहा, जिसे मानने में मैंने अक्‍सर आनाकानी की। मां मैं अगर भगवान से सात जनम भी मांग लूं, तो भी आपका कर्ज नहीं उतार सकती।

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प्रियंका यादव हरिभानु सिंह आदित्य तिवारी

पता है मां जब मैं समझदार हुई, तो देखा कि किस तरह से आप अपने दर्द को छिपाती हो। आप कभी किसी से कुछ नहीं कहती। पापा जो काम करते हैं, उन्‍हें उस काम की सैलरी मिलती है पर आप तो पूरे साल काम करती हो। एक दिन की भी छुट्टी नहीं लेती हो। कैसे कर लेती हो मां?

मां अगर मदर्स डे पर मैं कुछ देने की सोचती भी हूं, तो सबसे पहले दिल में यही सवाल आता है कि आखिर किसे दे रही हूं। आखिर मां ने ही तो मुझे सबकुछ दिया है। अपनी मां के बिना कोई भी इंसान जिंदगी की कल्‍पना नहीं कर सकता। एक आप ही तो हो, जिससे हर कोई बिना डरे, अपने दिल की हर बात शेयर कर सकता है। मां आप तो बिना कहे ही, अपने बच्‍चों के दिल की हर बात जान लेती हो।

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अनुज यादव गगन शर्मा हिमांशू यादव शुभम साहू

मां मैं दिल से बस यही कहना चाहती हूं कि आपकी जगह कभी कोई नहीं ले सकता है। आप अनमोल हो। मैं आपको और दुनिया की हर मां को सलाम करती हूं। मां आप तो खुदा की दी हुई, वो नेमत हो, जिसे दुनिया का सबसे अमीर इंसान भी नहीं खरीद सकता। जिसने अपनी औलाद को सिर्फ दिया है, दिया है और दिया ही है।

Newstrack.com की तरफ से दुनिया की सभी मांओं को A very Happy Mother's Day

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