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OMG: इस मंदिर में देवी को चढ़ाई जाती है चप्पलों की माला, मुस्लिम पुजारी करता है पूजा

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Published on: 30 Nov 2016 11:14 AM GMT
OMG: इस मंदिर में देवी को चढ़ाई जाती है चप्पलों की माला, मुस्लिम पुजारी करता है पूजा
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बंगलौर: हमारे देश में देवी-देवताओं को ख़ास महत्त्व दिया जाता है। यहां मंदिर में चप्पल पहनकर जाना मना होता है। तभी मंदिरों के बाहर चप्पलों के ढेर लगे रहते हैं। अगर कोई चप्पल पहनकर मंदिर या किसी भी पूजा वाले स्थान पर चला भी जाता है, तो तुरंत उस स्थान को साफ़ किया जाता है। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हमारे ही देश में एक जगह ऐसी भी हैं, जहां देवी मां को चप्पलों की माला पहनाई जाती है। सुनने में भले ही यह अजीब लग रहा है लेकिन यह सच है।

कर्नाटक के गुलबर्ग जिले में एक ऐसा देवी मां का अनोखा मंदिर है, जहां चप्पलें अर्पित की जाती हैं। यह मंदिर गुलबर्ग के गोला गांव में है। इस मन्दिर की देवी का नाम लकम्मा है। ख़ास बात तो यह है कि यहां मंदिर में देवी मां को चप्पलें उन्हें खुश करने के लिए चढ़ाई हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से देवी मां खुश होकर भक्तों की मुरादें पूरी करती हैं। इसके साथ ही मंदिर के बाहर लगे नीम के पेड़ पर भी चप्पल चढ़ाकर लोग अपनी मुरादें मांगते हैं।

आगे की स्लाइड में जानिए इस मंदिर से जुड़ी इंट्रेस्टिंग बातें

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एक वेबसाइट पर चल रही खबर के अनुसार यह मंदिर कर्नाटक में है। जहां मन्नत मांगने के लिए लोग पेड़ पर चप्पल बांधते हैं। इतना ही नहीं आपको यह जानकर और भी हैरानी होगी कि इस मंदिर का पुजारी कोई हिंदू नहीं बल्कि एक मुसलमान है। आम मंदिरों के बाहर जहां फूलों और नारियल की दुकानें दिखाई देती हैं, वहीं इस मंदिर के बाहर चप्पलों की दुकानें दिखाई देती है।

मान्यता है कि दीवाली के बाद पंचमी के दिन अगर भक्त यहां पेड़ पर चप्पल बांधते हैं, तो मान्यताएं पूरी होती हैं। गांववालों का कहना है कि एक बार देवी मां पहाड़ी पर टहल रही थी। उसी टाइम दुत्तारा गांव के देवता की नजर देवी पर पड़ी। तो उन्होंने उनका पीछा करना शुरू कर दिया। देवी ने उससे बचने के लिए अपने सिर को जमीन में धंसा लिया। तब से लेकर आज तक देवी मां की मूर्ति उसी तरह इस मंदिर में है और लोग आज भी देवी के पीठ की पूजा करते हैं। वहीं कुछ अन्य लोगों का कहना है कि पहले इस मंदिर में बैलों की बलि दी जाती थी लेकिन कुछ टाइम बाद जानवरों की बलि पर रोक लगा डी गई जिससे देवी मां नाराज हो गईं बड़ी मुश्किल से उन्हें शांत किया गया तब से बलि के बदले चप्पल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई। ख़ास बात तो यह है कि हर साल इस मंदिर में ' फुटवियर फेस्टिवल' भी आयोजित किया जाता है

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