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जिसके साथ समाज में हुआ हो अन्याय, उनको यहां मिलता है सच्चा न्याय

suman
Published on: 20 May 2017 10:57 AM GMT
जिसके साथ समाज में हुआ हो  अन्याय, उनको यहां मिलता है सच्चा न्याय
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उत्तरकाशी: हिमालय पर्वत से निकली रुपीण और सुपीण नदी के संगम पर उत्तरकाशी जिले के नैटवाड़ में है पोखू मंदिर। यहां हर पूरे साल लोग शांति और न्याय की तलाश में आते हैं। पोखू देवता के बारे में यह मान्यता है कि उनके दरबार आए पीड़ित लोगों को हाथों-हाथ न्याय मिलता है। न्याय की आस में पोखू दरबार आए लोगों को मंदिर के कुछ नियम-कायदों का पालन करना होता है। कहते हैं पोखू देवता किसी को भी निराश नहीं करते। इस मंदिर में पूजा-पाठ की विधि भी अनूठी है।

देवताओं के दर्शन शुभ समझे जाते हैं, लेकिन उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के छोटे से कस्बेनुमा नैटवाड में एक ऐसा मंदिर है, जिसके दर्शन अशुभ माने जाते हैं | नैटवाड दिल्ली से 450 किमी० और देहरादून से 200 किमी० दूर पुरोला ब्लाक में मशहूर हर-की-दून ट्रेक पर स्थित है |

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पोखू देवता का यह मंदिर उत्तरांखड के उत्तरकाशी जिले के क्षेत्र के नैटवाड़ में मौजूद है। पोखू देवता के दरबार में दर्जनों लोग रोजाना अपनी फरियाद लेकर आते हैं। मंदिर में भक्त अमूमन जमीन-जायजात के विवाद के साथ अपनी तमाम समस्याएं लेकर आते हैं। यह उत्तराखंड में एक मात्र ऐसा मंदिर है, जहां सामाजिक प्रताड़ना और मुसीबतें झेलने के बाद निराश लोग न्याय मिलने की उम्मीद में आते हैं।

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एक कथा के मुताबिक किरमिर दानव ने पूरे क्षेत्र में उत्पात मचाया हुआ था ।राजा दुर्योंधन ने जनता को उसके अत्याचारों से बचाने के लिए उससे युद्ध किया और पराजित कर उसका सर काट कर टौंस नदी में फेंक दिया ।किरमिर दानव का सिर नदी की दिशा में बहने के बजाये उलटी दिशा में बहने लगा और रुपिन व सूपिन नदी के संगम नैटवाड में रुक गया। रुपिन नदी भराटसर (विराटसर) झील से, तो सूपिन स्वर्ण रोहणी हिमशिखरों से निकलती है। राजा दुर्योधन ने किरमिर दानव के कटे सिर को नैटवाड में स्थापित कर वहाँ उसका मंदिर बना दिया ।दूसरी दंतकथा के मुताबिक किरमिर (या किलबिल) दानव दरअसल महाभारत के व्रभुवाहन था, जिसका भगवान श्री कृष्ण ने चालाकी से वध कर दिया था ।

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इस क्षेत्र की खासियत है, एक इलाके में कौरव पूजे जाते हैं तो पब्बर घाटी में पांडवों की पूजा होती है। मसाला गांव में तो पांडवो का मंदिर है। नैटवाड से ही सड़क के दो किमी० ऊपर देवरा गांव में राजा क्रण का मंदिर भी है। है ।नैटवाड से 14 किमी० के ट्रेक पर सौड गांव में दूर्योधन का मंदिर भी है। है

उत्तराखंड की पहाड़ियों में बसने वाली कई जनजातियां जैसे कि सिंगतूर पट्टी के नैटवाड़, दड़गाण, कलाब, सुचियाण, पैंसर, पोखरी, पासा, खड़ियासीनी, लोदराला व कामड़ा समेत दर्जनभर गांव के लोग पोखू को अपना कुल देवता मानते हैं।

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पोखू देवता मंदिर में पूजा-पाठ की विधि अनूठी है। मंदिर के पुजारी पोखू देवता की मूर्ति की तरफ मुख करने के बजाय पीठ घुमाकर पूजा करते हैं। यहां सुबह-शाम दो बार पूजा होती है। पूजा से पहले पुजारी को रुपीण नदी में स्नान करके सुराई-गढ़वे में पानी लाना होता है। इसके बाद आधे घंटे तक ढ़ोल के साथ मंदिर में पूजा होती है।

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