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जानिए क्या है गतिमार स्टाइल,यहां हजारों साल से चली आ रही है ये परंपरा
रायपुर: आजकल सोशल मीडिया पर ब्लाउज फ्री साड़ी का कैम्पेन चल रहा है। इसमें एक से बढ़कर एक मॉडल और खूबसूरत महिलाएं बिना ब्लाउज साड़ी पहनकर फोटो अपलोड करती है। इसे हम लेटेस्ट फैशन मानते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में ब्लाउज के बिना साड़ी पहनने का चलन सदियों से है। यहां ट्राइबल महिलाएं आज भी ब्लाउज के बिना साड़ी पहनती है। छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचलों में आज भी खेतों में ब्लाउज के बिना साड़ी पहन काम करती हुई महिलाएं देखी जा सकती हैं।
इसे आंचलिक भाषा में गातीमार स्टाइल कहा जाता है तो 1 हजार सालों में चली आ रही है। आदिवासी अंचलों की महिलाओं का कहना है कि ये स्टाइल सुविधाजनक होने के साथ ही खेते में काम करने, बोझ उठाने के लिए ठीक होता है।
जंगली इलाके में भारी गर्मी के चलते ऐसे साड़ी पहनना ट्राइबल महिलाओं के लिए सुविधायुक्त होता है।अब आधुनिक फैशन ने इन इलाकों में भी दस्तक दे दी है। अब यहां की लड़कियां साड़ी के साथ ब्लाउज पहनने लगी हैं। अब इस परंपरा को बचाने में पुराने लोग लगे हुए हैं।
अब ये परंपरा फैशन में दोबारा लौट रही है, लेकिन इस बार बस्तर अंचल नहीं, बल्कि माया नगरी मुंबई समेत अनेक मेट्रो सिटीज में ये फैशन देखा जा रहा है। इंस्टाग्राम पर चलाए गए कैम्पेन ब्लाउज फ्री साड़ीज के तहत महिलाएं जोर- शोर से हिस्सा ले रही हैं। इस कैम्पेन में वे बिना ब्लाउज के साड़ी में अपनी फोटोज शेयर कर रही हैं। इंस्टाग्राम पर यह अकाउंट साड़ी डॉट मन (saree.man )के नाम से है। इस पर अब तक 1 हजार से ज्यादा पोस्ट की जा चुकी हैं। साथ ही, इसे साढ़े 6 हजार से ज्यादा लोग फॉलो भी कर चुके हैं।