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परंपरा और आस्था का मिलाप, राम भरत मिलेंगे यहां गले

sudhanshu
Published on: 21 Oct 2018 3:00 PM GMT
परंपरा और आस्था का मिलाप, राम भरत मिलेंगे यहां गले
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प्रतापगढ़: जिले का ऐतिहासिक भरत मिलाप 130 वर्षों पुराना है। आज यहां भरत मिलाप है। श्री राम के आदर्शों में रची बसी यहां की मिटटी में राम कथा की खुशबू आती है। परंपरा के अनुसार प्रतिवर्ष प्रतापगढ़ मुख्यालय के ऐतिहासिक घंटाघर पर राम और भरत मिलाप करते हैं। मिलन की इस वेला में नगर रोशनी की चमक में दिन के उजाले की तरह दिखायी देता है। रोशनी से लपलपाती सड़कें और बांसुरी, भोंपू की आवाज, सड़कों पर निकलने वाली चौकियां और रथों पर सजी झांकियां बरबस ग्रामीणों को अपने मोह पाश में बांध कर पूरी रात सड़कों पर बिताने को मजबूर कर देती हैं।

भव्‍य होता है आयोजन

यह आयोजन इतना भव्य होता है कि यह सिलसिला अति भव्यता की ओर ही बढ़ रहा है। राम और भरत अलग अलग रथों पर सवार होकर पौ फूटने पर यहां गले मिलते हैं। इसके पूर्व शाम से ही ग्रामीण नगर में इक्कठा होने लगते हैं। देर रात चारों दलों के साथ चौकियों का कलात्मक प्रदर्शन शुरू होगा। चारों दलों को चार अलग-अलग मार्ग निर्धारित किए गए हैं। भोर में सभी अपने निर्धारित मार्गों से चौक पहुंचेंगी।

130 वर्षों पुरानी परंपरा

लगभग 130 वर्षों पुरानी इस परंपरा को यहां तक आने में विकास के हर उस सोपान से गुजरना पड़ा है, जो समय समय पर प्रासंगिक रहे हैं। यहां के भरत मिलाप की इस जीवन य़ात्रा के बारे में बात करते हुए स्थानीय रामलीला कमेटी के उपाध्यक्ष संजय खण्डेलवाल बताते हैं कि जब यहां घंटाघर नहीं था तो मचान बना कर इसका आयोजन किया जाता था। उन दिनों प्रकाश के लिए पेट्रोमैक्स जलाकर रोशनी का इंतजाम किया जाता था। पहले बैल गाड़ी, फिर रिक्शा इसके बाद ठेला और उसके बाद शुरू हुआ आधुनिक चौकी का सफर जो अब तक चल रहा है।

आयोजन में होते हैं चार दल

संजय खण्डेलवाल आगे बताते हैं कि नगर के चारों दिशाओं से ये चार दल आकर मिलते हैं। राम दल, भरत दल, हनुमान दल और लवकुश दल ये चार दल पूरे नगर क्षेत्र के भ्रमण कर एक नियित समय पर चौक घंटाघर पर आकर मिलते हैं।

स्थानीय रामलीला कमेटी के रथ पर राम लक्ष्मण सवार रहेंगे। कीर्तिदल के रथ पर भरत शत्रुघ्न रहेंगे। जब रथ पर सवार ये चारों दल एक स्थान पर पहुंच जाएंगे तब पंडित वीर्दीचंद वैदिक विधि से भरत मिलाप कराएंगे। भरत मिलाप के बाद नगर के गोपाल मंदिर में राज गद्दी का कार्यक्रम संपन्न होगा। प्रातः 8 बजे तक कार्यक्रम पूर्ण हो जाएगा।

इनके नेतृत्व में दल करेंगे नगर का भ्रमण

राम दल का नेतृत्व सोमिल केसरवानी करेंगे तो भरत दल सन्तोष गुप्ता के नेतृत्‍व में निकलेगा। वहीं हनुमान दल सुशील कसौधन तो लवकुश दल का नेतृत्व स्वदेश केसरवानी करेंगे।

गैर जनपदों से आती हैं चौकियां बैंड और डीजे

भरत मिलाप के इस काय्रक्रम में गैर जनपदों से बैंड और डीजे चौकियां आती है। बाद में उनकों पुरस्कार भी दिया जाता है। इस बार चौकियों की संख्या लगभग 40 है।

बब्बू सजाते हैं रामदाबार

45 साल से बब्बू साई राम दल को सजाते है। रावण दरबार और पूरी राम लीला की सज्जा इन्हीं के द्वारा होती है। मकसूद रथ खींचते हैं। पिछले तीन दशकों से मकसूद रथ खींचते हैं। राम दल चिलबिला की ओर से और भरत दल बजाजा रोड़ से उठेगा।

आस्था के इस आयोजन में हर वर्ग की भागीदारी

पिछले दो दशकों से स्थानीय भरत मिलाप कार्यक्रम के आयोजन को कवर करते रहे पत्रकार रमेश त्रिपाठी कहते हैं कि प्रतिवर्ष बहुत ही सफलता पूर्वक इतना बड़ा आयोजन संपन्न हो जाता है। आस्था के इस आयोजन में हर वर्ग की भागीदारी रहती है। भीड़ और मेला सब कुछ यथावत चलता रहता है। दूसरे जनपद से भी प्रतिवर्ष लोग यहां आते हैं।

हर समाज को जरूरत है राम भरत मिलाप

वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार राजन, भरत मिलाप को एक ऐसी परंपरा मानते हैं जिसकी हर समाज को जरूरत है। राजन कहते हैं कि एक दिन का ही आयोजन सही लेकिन राम और भरत के आदर्शों को यह जीवित कर देता है। समाजिक ताने बाने में ऐसे आयोजन को जिंदा रखने की बहुत आवश्यकता है।

राम के जीवन की सीख राम जैसा ही बनने की ओर उन्मुख करता है। मतलब की शबरी के जूठे बेर का स्वीकार्य। भरत का वो खड़ाऊ पूजन जो सत्ता में राम राज्य की स्थापना करता है।

राम की लीला का मंचन होते देखना किताना प्रतिष्ठापूर्ण है इसका अंदाजा यहां के इस भरत मिलाप को देखने बाद लगने लगता है। हर मन में बसने वाले राम की कहानी का ये एक अंश है। फिर जनता को तो आदर्शों से सीखना है, जनता के राम तो उनके दिलों में राज कर रहें है।

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