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अगर करते हैं अपनी बाई के साथ ऐसा रिश्ता कायम तो नहीं छोड़ेगी वो आपका साथ
जयपुर: घर के रोजमर्रा के कामों के लिए खुद के साथ हेल्प करने के लिए बाई को रखना अब आम हो गया है। काम को ले कर निश्चिंत बनी रहें तो बाई के साथ रिश्ता सहज आत्मीय रहना भी जरूरी है। रोजीरोटी के इस रिश्ते में जरा सा दिल, थोड़ी सी इंसानियत, थोड़ा सा अपनापन शामिल करना जरूरी है। महानगर हों या नगर, अधिकांश महिलाओं को घर में काम करने वाली बाइयों से वास्ता पड़ता है। ज्यादातर स्त्रियां फिस, बिजनैस, किसी कला या फिर पारिवारिक व्यस्तताओं में इतनी डूबी होती हैं कि उन के पास रोजमर्रा की घरेलू साफ-सफाई करने के लिए न तो ऊर्जा बचती है, न ही समय. ऐसे में घर के कामों में मदद के लिए कामवाली बाइयां जरूरी होती हैं।
कुछ मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर गौर करते हुए कामवाली को संभालने के ऐसे तरीके बताए जा रहे हैं जिन से इस व्यावसायिक रिश्ते में आत्मीयता की खुशबू बने और आपको आपकी कामवाली बाई कभी छोड़ने की धमकी ना दें।
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*महिलाओं के लिए रिश्तों को संभालना बड़ी बात नहीं, शादी के बाद अनुभवहीन अवस्था में जब वह ससुराल आती है तब तो उसे बहुत ही महत्त्वपूर्ण और गहरे रिश्तों को पूरी ईमानदारी से निभाना होता है जो कई मानों में जटिल और लेनदेन पर आधारित होते हैं। तो फिर अपनी कामवाली के साथ भी एक रिश्ता समय के साथ गढ़ा ही जाता है चाहे उसे क्यों न व्यावसायिक रिश्ते का ही नाम दें. अगर थोड़ी समझदारी दिखा लें तो कामवाली बाई का भी दिल जीत सकते हैं।
*कोई भी रिश्ता चाहे वह जानवर के साथ ही क्यों न हो, जरा सी मानवीयता दिखाना दोनों को करीब ला देता है। घर में काम करने आई दीदी चाहे अनपढ़, गरीब, नासमझ ही हो, पर दुख में सहानुभूति, विपत्ति में साथ पाने की इच्छा हम आप की तरह ही उस के दिल में भी होती है. आप की ओर से उस के प्रति पहल ऐसी हो कि उसे सहज ही विश्वास रहे कि जरूरत के वक्त आप उस के दुखदर्द को समझेंगी।
*जब शादी के बाद नई बहू घर में आती है तो जिस घर में वहां के बड़े आगे बढ़ कर बहू को अपनाते हैं, उसे सहारा देते हैं, उस घर में नई बहू अपने आप ही ससुराल वालों का खयाल रखने लगती है। यही बात अगर कामवाली के साथ भी लागू होती है। यह सामान्य मानवीय मनोविज्ञान है।
*काम से पहले रकम और लेनदेन की बात तय कर ली। लेकिन कई ऐसी भी बाइयां होती हैं जो की उदारता व कोमलता के फायदे उठाने की कोशिश में रहती हैं। उन से निबटना उलझनभरा काम है बात-बात पर बाई को काम से निकालना उचित नहीं, क्योंकि हर बाई में कोई न कोई ऐब मिल ही जाएगा तो क्यों न हम खुद ही सुधरें, मसलन उस के अनचाहे पैसे मांगते वक्त आप उसे कोई ऑर्डर मत सुनाइए. उस की मानसिकता को सहते हुए और अपने अनुशासन को उसे हजम कराते हुए आगे बढि़ए। उसे इस तरह मना न करें-तुम्हें तो बस बहाने चाहिए , उसे इस तरह समझाएं कि बात उसे चुभे बिना ही समझ आ जाए।
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*अकसर ऐसा होता है कि घर में सामानों को रख हम भूल जाते हैं, या उन्हें हम कहीं छोड़ आते हैं और हमें याद नहीं रहता. सामान ढूंढ़ने के क्रम में हमारा सौ प्रतिशत शक, बल्कि पूरा यकीन ही बाई के सामान पर हाथ साफ करने को ले कर होता है. महिलाएं घुमाफिरा कर बाई से इस चोरी के बारे में पूछती हैं. वे अपने बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों को सामान के गुम हो जाने की बात को सुना कर अनजाने व्यक्ति को कोसती रहती हैं, जैसे जिस ने लिया होगा उसे कभी चैन नहीं पड़ेगा, मुझे सब पता है कौन ले सकता है। इस तरह बोलना गलत है।
*कुछ बाइयों को साफसफाई में आलस रहता है और किसी तरह काम निबटा कर निकल जाने की जल्दी रहती है। इन के कामों की शिकायतें आप को कोई फल नहीं देगा। उलटे, बाई आप पर खीझ जरूर जाएगी। एक आसान उपाय यह है कि उस के साथ काम में आप भी कभी-कभी हाथ बंटाएं और अपनी मनचाही जगहों की सफाई करवा लें।
*किसी भी बाई को काम पर रखने से पहले छुट्टी की बात कर लें। महीने में अधिकतम छुट्टी की सीमा तय करने के बाद बिन बताए उस के छुट्टी पर पैसे काटने का जिक्र जरूर करें। हां, उस के और उस के घर वालों की बीमारी व जरूरतों को को समझना भी होगा, तभी आप के साथ वह भी ईमानदार रह पाएगी।
* एक सभ्य स्त्री होने के नाते आप को बाई की इधर-उधर बातें फैलाने की आदत निश्चित ही बुरी लगेगी। आप चिढ़ कर उसे धमकाती हैं, वह आप की बातें नमक-मिर्च लगा कर बाहर कहती है। आखिकार, आप उसे काम से निकाल देती हैं. यह एक भंवर जैसा हो जाता है आप के लिए।
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*आप खुद के साथ अपनी बाई की उम्र के हिसाब से अपना एक रिश्ता जोड़ लें। घर के बच्चों को भी इन्हें किसी संबोधन के लिए अवश्य प्रेरित करें। इस से बच्चे तो मानवीय व्यवहार सीखेंगे ही, आप की बाई भी आप के घर में सम्मानित और अपनापन महसूस करेगी। आपको अजीव लगेगा, लेकिन इस तरह का व्यवहार आपको कामवाली बाई के साथ सकारात्मक परिणाम देगा।