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किसी की पर्सनल डायरी से कम नहीं है निलेश शर्मा की नॉवेल 'मिस्टर इरिटेटिंग'

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Published on: 10 Oct 2017 10:17 AM GMT
किसी की पर्सनल डायरी से कम नहीं है निलेश शर्मा की नॉवेल मिस्टर इरिटेटिंग
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संध्या यादव

लखनऊ: इतनी सी बात थी जो समंदर को खल गई,

कागज़ की नांव कैसे भंवर से निकल गई।

दिल ने मुझे मुआफ अभी तक नहीं किया,

दुनिया की राय दूसरे दिन ही बदल गई।।

हसीब सोज़ जैसे मशहूर शायर की ये चंद लाइनें शायद महादेव की नगरी बनारस से नजाकत-नफासत के शहर इंजीनियर बनने आए निलेश शर्मा पर एकदम सटीक बैठती हैं, जिन्होंने वेक्टर-स्केलर की पढ़ाई करते हुए जब लेखन में अपना हुनर दिखाना शुरू किया, तो उनके जानने वाले हैरान रह गए। शायरी हो या कहानी या फिर कोई नज्म, अपने अल्फाजों को जिस खूबसूरती से निलेश शर्मा पिरोते, हर कोई वाह-वाह कर उठता।

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कहते हैं कि जब 'हिम्मत-ए-मर्दा तो मदद-ए-खुदा'। मतलब यह है कि जो इंसान हिम्मत करता है, उसका साथ भगवान भी देता है, ऐसा ही कुछ हुआ पढ़ाई की उम्र में 'मिस्टर इरिटेटिंग' जैसी खूबसूरत नॉवेल लिख लेने देने वाले निलेश शर्मा के साथ। जो कि आंखों में अच्छा इंजीनियर बनने का सपना लेकर बनारस से लखनऊ आए थे। लेकिन कॉलेज लाइफ ख़त्म होते-होते वह एक लेखक के रूप में भी उभर कर सामने आए। मात्र 24 साल की उम्र में ही निलेश शर्मा की 'मिस्टर इरिटेटिंग' के नाम से पहली नॉवेल पब्लिश हो चुकी है, जिसे हाल ही में लखनऊ में आयोजित हुए 15वें नेशनल बुक फेयर में कई नामचीन हस्तियों ने लॉन्च किया।

तो आइये आपको रूबरू करवाते हैं एक ऐसे युवा लेखक से, जिसने अपनी पहली ही नॉवेल से कई लोगों को अपना फैन बना दिया और जल्द ही वह उसके दूसरे पार्ट पर भी काम शुरू कर चुके हैं।

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कौन हैं 'मिस्टर इरिटेटिंग' राइटर निलेश शर्मा

निलेश शर्मा उत्तर प्रदेश के बनारस के रहने वाले हैं। अपनी 12वीं तक की पढ़ाई उन्होंने बनारस के ही स्कूल से पूरी की है। वह बताते हैं कि बचपन से ही उनका इंजीनियर बनने का सपना था। वह कहते हैं कि उन्होंने सुन रखा था कि अगर जिंदगी में कुछ सीखना है, तो इंजीनियर बनो। एक इंजीनियर अपनी लाइफ में बहुत-चढ़ाव देखता है और बहुत कुछ सीखता है। बस तभी से उन्होंने इस फील्ड में आने की ठान ली। इसके लिए उन्होंने लखनऊ के बाबू बनारसी दास कॉलेज में बीटेक में एडमिशन लिया।

निलेश शर्मा ने बताया कि वह कम बोलने वाले और ऑब्जर्वर टाइप के शख्स हैं। हां, बीटेक में एडमिशन से पहले वह कभी-कभी शोर्ट स्टोरीज भी लिखते थे। उन्हें नॉवेल पढ़ने का शौक था। पर कुछ ही राइटर्स की किताबें उन्होंने पढ़ी हैं, जिनमें से एक नाम खास है वह है चेतन भगत का। जब वह लखनऊ आए, तो उन्हें यहां काफी बदलाव देखने को मिले। नए दोस्त, नया माहौल और सब-कुछ ही नया रहा। निलेश बताते हैं कि शुरू-शुरू में मैं भी बस पढ़ाई से ही मतलब रखता था पर लास्ट ईयर आते-आते सब कुछ बदल गया।

रैगिंग में लोगों ने जाना निलेश के 'लेखन' का हुनर

आजकल कॉलेजेस में इंट्रो के नाम पर छोटी-मोटी रैगिंग होना तो नार्मल बात है, पर ये रैगिंग निलेश के लिए प्रॉब्लम नहीं बल्कि अच्छी ही साबित हुई थी। एक दिन उनके सीनियर्स ने आधी रात को एक हॉल में बुलाया और उनके सभी दोस्तों को फनी-फनी टास्क दिया। पर उनकी भोली सूरत को देखकर एक हिटलर टाइप सीनियर लड़की ने उन्हें अपनी तारीफ में कुछ सुनाने को कहा, इसपर निलेश ने भी उसे 4 लाइनें चिपका दीं। बस फिर क्या था पूरे कैंपस में वह 'जूनियर चेतन भगत' के नाम से मशहूर हो गए। इसके बाद से जब तक वह कॉलेज में रहे, किसी को कुछ भी लिखवाना होता, लोग उन्हीं के पास आते। धीरे-धीरे उन्हें सीनियर्स और फ्रेंड्स का सपोर्ट मिलने लगा, जिससे उन्हें मोटिवेशन मिला।

क्या है नॉवेल 'मिस्टर इरिटेटिंग' की कहानी

अक्सर कहा जाता है कि तलवार से घायल हुए शख्स के जख्म एक बार भर भी जाते हैं, लेकिन अगर किसी के शब्दों से कोई घायल हुआ है, तो शायद ही वह उसे भूल पाता है। ऐसी ही कहानी है नॉवेल 'मिस्टर इरिटेटिंग' की। फिक्शन के साथ कुछ रियल इंसिडेंट्स वाली यह नॉवेल तमाम ट्विस्ट और टर्न्स से भरी हुई है। पहली नजर में हुए प्यार में किस कदर एक लड़का अनंत खो जाता है कि उसे बाकी किसी का ख्याल नहीं रहता। यहां तक की उसे यह भी पता नहीं होता कि जिससे वह (आशी से) बेइंतेहा मोहब्बत करता है, वह उस प्यार को इरीटेशन समझती है और एक दिन उसे 'मिस्टर इरिटेटिंग' कह देती है। यह बात उसे कोई और नहीं बल्कि अनंत की सीनियर काव्या उसे बताती है, जो शायद दिल ही दिल में खुद भी अनंत को प्यार करती है। फिर शुरू होती है लव ट्रायंगल बेस्ड इस स्टोरी की कहानी, जिसका एक पन्ना पढ़ने के बाद आप खुद दूसरा पन्ना पढ़ने को मजबूर हो जाएंगे।

निलेश का कहना है कि लखनऊ में उन्होंने अपनी राइटिंग को नई पहचान दी है। उनकी यह नॉवेल यूथ से जुड़ी है। उनका कहना है कि अगर आप किसी से प्यार करते हैं और वो इसे क्यों इरीटेशन समझता है? इस बात का जवाब उनकी इस नॉवेल में मिल जाएगा।

आगे की स्लाइड में पढ़ें कैसे पूरा हुआ निलेश का सपना

कैसे पूरा हुआ नॉवेल पब्लिश करवाने का सपना

निलेश शर्मा बताते हैं कि पहली बार जब उन्होंने अपने दोस्तों को इस कहानी का थोड़ा सा हिस्सा दोस्तों को सुनाया, तो उन्होंने इसे नॉवेल रूप देने को कहा। कैसे भी करके उन्होंने बीटेक की पढ़ाई के साथ-साथ नॉवेल पर भी काम जारी रखा। नॉवेल पूरी होने के बाद उन्हें 4-5 महीने तक इसके लिए पब्लिशर ढूंढने में काफी मशक्कत करनी पड़ी, पर निलेश ने हार नहीं मानी। वह चाहते थे कि बीटेक पूरा होते-होते उनकी नॉवेल पब्लिश हो जाए। लखनऊ बुक फेयर में उन्हें रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर राकेश मित्तल का नंबर मिल गया, जिन्होंने उन्हें दिव्यांश पब्लिकेशन के पास भेजा, फिर दिव्यांश पब्लिकेशन ने उनकी पहली नॉवेल 'मिस्टर इरिटेटिंग' पब्लिश की। नीलेश शर्मा का कहना है कि दिव्यांश पब्लिकेशन के पब्लिशर नीरज अरोरा ने उनकी नॉवेल करवाने में काफी हेल्प की है, जिसे लखनऊ में आयोजित हुए 15वें नेशनल बुक फेयर में लॉन्च किया गया।

दूसरी नॉवेल पर पर शुरू हो गया है काम

निलेश शर्मा का कहना है कि जिस तरह से उनकी नॉवेल को लोगों का प्यार मिल रहा है, उससे वह काफी खुश हैं। उन्होंने बताया कि वह 'मिस्टर इरिटेटिंग' के इंग्लिश वर्जन भी रीडर्स के लिए लाने वाले हैं, जिसे उनकी दोस्त जैनब सिद्दीकी ने ट्रांसलेट किया है। इसके साथ ही निलेश अपने दोस्तों विपिन जायसवाल, सौरभ राय, विकास, सिद्धार्थ, आंचल और अविनाश को स्पेशल थैंक्स बोलना चाहते हैं क्योंकि अगर उन्होंने उन्हें मोटिवेट ना किया होता तो शायद उनका यह टैलेंट दुनिया को कभी पता नहीं चल पाता और उनकी कहानी डायरी में ही बंद रह जाती।

निलेश शर्मा ने बताया कि उन्होंने इस नॉवेल के दूसरे पार्ट पर काम करना शुरू कर दिया है, जिसकी शुरुआत का हिंट 'मिस्टर इरिटेटिंग' के पहले भाग में छिपा हुआ है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह एक सच्ची दास्तां है, जिसे पढ़कर हर यूथ को लगेगा कि यह उसकी खुद की स्टोरी है। अगर आप किसी से प्यार करते हैं, तो यह नॉवेल आपको जरूर पढ़नी चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उनकी नॉवेल 'मिस्टर इरिटेटिंग' को अगर किसी की पर्सनल डायरी कहा जाए, तो गलत नहीं होगा।

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