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समाजवादी संस्कार: अखिलेश की राह पर अर्जुन, दादा को देख किया प्रणाम

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Published on: 4 Nov 2016 3:34 AM GMT
समाजवादी संस्कार: अखिलेश की राह पर अर्जुन, दादा को देख किया प्रणाम
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लखनऊ: अगर कोई पूछे कि वह कौन सी डोर है जो समाजवादी परिवार को एक साथ बांधकर रखती है तो जवाब सिर्फ यही होगा, 'समाजवादी संस्कार'। जिस तरह कलयुग में अखिलेश खुद को हनुमान समझ अपने पिता की पूजा राम की तरह करते हैं। कभी बारिश के मौसम में वह उनके सर पर छाता लगा देते हैं तो कभी उन्हें गिरने से पहले ही संभाल लेते हैं। हर वक्त वह उनके साथ उनकी सेवा में रहते हैं। ठीक ऐसे ही संस्कार उनके बेटे अर्जुन में भी हैं।

गुरुवार को मंच पर अखिलेश के बेटे अर्जुन ने दोनों हाथों से अपने दादा जी मुलायम सिंह यादव के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। दादा जी भी अपने पोते के सर पर आशीर्वाद का हाथ रख दिया। शायद यही संस्‍कारों की डाेर ही है जो यूपी के सबसे बड़े राजनीतिक कुनबे को बार बार बिखरने से रोक लेती है ।

पिछले दो महीने से सपा परिवार में चल रही रार गुरुवार को अचानक थमती नजर आई। एक मंच पर एक साथ पूरा परिवार खड़ा दिखाई दिया। अखिलेश की रथ यात्रा में चाचा शिवपाल भी कंधा से कंधा मिलाकर खड़े दिखे तो वहीं नेताजी ने भी हरी झंडी दिखाकर रथ को रवाना किया।

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अखिलेश मेंं भी हैं समाजवादी संस्‍कार

हे भगवान! “हमारे श्रवण जैसा ही पुत्र हो” हर मां-बाप की बस यही चाह रहती है। हजारों पुण्य कार्यों के फलस्वरूप इस रत्न की प्राप्ति होती है। वह अद्भुत संयोग ही रहा होगा जब समाजवादी कुनबे के सरदार मुलायम सिंह के घर सीएम अखिलेश का जन्म हुआ। कलयुग में अखिलेश खुद को हनुमान समझ अपने पिता की पूजा राम की तरह करते हैं। कभी बारिश के मौसम में वह उनके सर पर छाता लगा देते हैं तो कभी उन्हें गिरने से पहले ही संभाल लेते हैं। हर वक्त वह उनके साथ उनकी सेवा में रहते हैं।

सोशल मीडिया पर दो फोटोज वायरल हो रही हैं इसमें पहली फोटो में सीएम अखिलेश नेताजी को बारिश में बचाने के लिए छाता लगाकर उनके साथ चल रहे हैं वहीं दूसरी फोटो में सीएम अखिलेश नेताजी को गिरनेे पहले संभाल लेते हैं। अखिलेश की ये दो फोटोज बयां कर रहीं हैं कि वो अपने पिता से कितना प्‍यार करते हैं और वह नेताजी से कभी दूर नहीं रह सकते।

आगे की स्‍लाइड में पढ़ें जब सीएम अखिलेश की आंखों से निकले आंसू...

आंख से निकल आए आंसू

समाजवादी परिवार में चल रहे गृहयुद्ध के बीच मंगलवार को पिता के सामने संस्कारी पुत्र की आंखें नम हो गईं। अखिलेश अपने अधिकार अपने सम्मान के लिए पिता के सामने पहली बार तनकर खड़ा हुए और अपना कसूर पूछने लगेे। हालांकि यह उनका हक भी था क्‍योंकि मुलायम के बाद बड़े पुत्र होने के नाते वह नेताजी की सल्‍तनत के उत्‍तराधिकारी हैं। एमएलसी उदयराज ने इसी बात को लेकर नेताजी को पत्र भी लिखा था।

अखिलेश ने पिता से पूछा अखिर मेरा कसूर क्‍या है

मंगलवार को सपा कार्यालय में सीएम अखिलेश यादव बोलते हुए अचानक जज्बाती हो गए और रो पड़े थे। वह बार बार अपने पिता से पूछ रहे थे कि आखिर हमारा कसूर क्या है। साढ़े चार साल प्रदेश का नेतृत्व करने के बाद भी किसी भी विरोधी दल ने उनका विरोध नहीं किया लेकिन अब अपने लोग ही उनके दुश्मन हो गए हैंं। अखिलेश यादव ने कहा ”मेरे पिता मेरे आदर्श हैं मैं उनके रहते नई पार्टी क्यों बनाऊं।”

अ‍ागे की स्‍लाइड में पढ़ें जब अखिलेश की आंखें हुईं नम तो फूट फूटकर रोए समर्थक...

समर्थकों के दिल में हैं सीएम अखिलेश

अखिलेश की आंखों में आंसू देख मंगलवार को सपाई भी रुमाल निकालकर अपने आंसू पोंछते नजर आए। अखिलेश का यह भावुक भाषण वायरल हो गया और उनके तमाम समर्थकों तक पहुंचा। समर्थक अपने सीएम के इस भावुक भाषण को सुनकर रो पड़े। सपा प्रदेश मुख्यालय के बाहर बैठे आनंद भदौरिया व अन्य समर्थक मोबाइल पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का भाषण सुन भावुक हो गए।

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आगे की स्‍लाइड में पढ़ें डिंपल में भी हैं समाजवादी संस्‍कार, किसी भी हालत में नहीं टूटने देना चाहती हैं परिवार...

डिंपल में भी हैं समाजवादी संस्‍कार

कहते हैं पारिवारिक कलह उस दीमक की तरह होती है जो रिश्‍तों को अंदर ही अंदर खोखला कर देती है। इन दिनों यूपी का सबसे बड़ा राजनैतिक कुनबा भी इसी संकट से जूझ रहा है। हम बात कर रहे हैं समाजवादी पार्टी की जहां चाचा और भतीजे के बीच छिड़ी जंग परिवार से निकलकर बाजार तक आ गई है। एक तरफ अखिलेश यादव जहां चाचा के सामने झुकने को तैयार नहीं वहीं चाचा शिवपाल भी अड़े हुए हैं। कुर्सी और परिवार के साथ विरोधियों के वार और अपनों के चुभते तीरों का सीएम अखिलेश डटकर सामना कर रहे हैं।

वहीं इस पारिवारिक संघर्षों के बीच एक दूसरा चेहरा भी है, जो बिना कुछ कहे इस गृहयुद्ध में सब कुछ सहन कर रहा है। हम बात कर रहे हैं डिंपल यादव की। डिंपल जहां तीन बच्चों की मां हैं वहीं कन्नौज की सांसद और सपा के सबसे बड़े राजनीतिक घराने की बड़ी बहू भी हैं। इस लिहाज से उनकी जिम्मेदारियां भी ज्यादा हैं।

पारिवारिक विवाद में भले ही घर के और सदस्य कुछ भी बयान देने से न चूक रहे हों पर डिंपल मौन रहती हैं। लेकिन वह अपने पति अखिलेश यादव के साथ हमेशा उनकी ढाल की तरह खड़ी रहती हैं। हर सुख-दुख और तमाम जिम्मेदारियों के बीच वह अपने सभी नैतिक कर्तव्यों का निर्वहन एक भारतीय नारी की तरह कर रही हैं। चाहे फिर वो राजनीतिक मैदान हो या फिर घर-परिवार।

जीवन की तमाम उठापटक के बीच डिंपल के चेहरे पर हमेशा खुशी दिखाई देती है। इतनी कलह के बीच कभी भी उनका साहस डगमगाता नहीं। इतने बड़े राजनीतिक परिवार की बहू होकर भी डिंपल भारतीय संस्कृति के साथ नारी के सभी धर्मों का वह बाखूबी पालन कर रही हैं।

डिंपल कभी कन्नौज की सकरी गलियों में जनता के बीच दिखाई देती हैं तो कभी अपने बच्चें के साथ उनकी खुशियों में शरीक होती हैं। इतना ही नहीं हर पारिवारिक और धार्मिक कार्यों में भी वह हमेशा आगे रहती हैं।

भारतीय संस्कृति को संजोए भारतीय महिलाओं के लिए डिंपल एक मिसाल से कम नहीं हैं। संघर्षों के बीच भी कैसे खुद को मौन रखकर वह घर के हर सदस्य को खुश रखने की कोशिश करती हैं ताकि कभी परिवार न टूटे, कभी कोई जुदा न हो।

परिवार के साथ-साथ सीएम अखिलेेश के इमोशंस को भी वह बाखूबी संभाल रही हैं। टेंशन के वक्‍त डिंपल जैसे ही सीएम को ‘अखिलेश दादा’ कहकर पुकारती होंगी वैसे ही उनकी सारी पीड़ा और दुख खुद ब खुद खत्‍म हो जातेे होंंगे। अखिलेश हमेशा से इमोशनल रहे हैं, व‍ह डिंपल को अपने लिए लकी मानते हैं और खुद से ज्‍याद उन पर विश्‍वास करते हैं।

बहरहाल, ऊंंचे घरानों में भी डिंपल एक साधारण जीवन जीकर हर परिवार और समाज को एक सीख दे रही हैं।

आगे की स्‍लाइड में देखें फोटोज...

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