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अगर बोलते हैं संस्कृत तो नहीं होगी डायबिटीज, जानिए इस भाषा से जुड़े फायदे
लखनऊ: मधुमेह एक भयंकर बीमारी है। इस बीमारी से जो भी शख्स पीड़ित रहता है वो जीवन भर इंसूलिन का टीका लगाना पड़ता है। डायबिटीज के इलाज के लिए डॉक्टर अलग-अलग तरह की दवाई बताते हैं, साथ ही रोजाना एक्सरसाइज की भी सलाह देते हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ के एक स्वामी ने इस बीमारी के बचने के लिए अनूठा इलाज बताया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ के कांकेर में छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्या मंडल के अध्यक्ष स्वामी परमानंद ने दावा किया है कि संस्कृत बोलने वालों को डायबिटीज नहीं होती है।
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छत्तीसगढ़ के कांकेर पहुंचे स्वामी परमानंद ने संस्कृति भाषा को लेकर कई दावा किया। उन्होंने कहा कि संस्कृत देववाणी है और वायुमंडल में विद्यमान है। छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्या मंडल के अध्यक्ष ने कहा कि जब हम संस्कृत बोलते हैं तो हमारी तंत्रिकाएं दूसरी तरह से प्रवाहित होती है। उन्होंने ये भी दावा किया कि एक शोध में प्रमाणित हुआ है कि संस्कृत बोलने वालों को डायबिटीज नहीं होता है।
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स्वामी परमानंद ने संस्कृत भाषा को लोकप्रिय बनाने की मांग को लेकर जनांदोलन चलाने की मांग की है। इनके मुताबिक संस्कृत संस्कार की भाषा है, और इस भाषा को बोलने वाले उदंड नहीं हो सकते हैं। स्वामी ने कहा कि देश में संस्कृत के साथ अन्याय हुआ है और इस भाषा को मृतभाषा घोषित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि अगर कोई संस्कृत भाषा बोलता है तो सुनने वाला उसे समझे या ना समझे, लेकिन उसके आस-पास इसका सकारात्मक असर पड़ता है।
आगे...स्वामी ने कहा कि सरकार को बस्तर जैसे इलाकों में लोगों को संस्कृत सिखाना चाहिए। स्वामी के मुताबिक उनका संस्थान छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में लोगों को संस्कृत की शिक्षा दे रहा है। उनके मुताबिक संस्कृत सीखकर नक्सलियों को भी सद्बुद्धि आ सकती है। स्वामी परमानंद ने नक्सलियों को देश का भटका हुआ नौजवान बताया और कहा कि उन्हें मुख्यधारा में लौटना चाहिए।