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ICS को IAS में बदल सरदार पटेल ने राजभक्ति से देशभक्ति की ओर मोड़ा
लखनऊ : देश के विकास में सरदार वल्लभभाई पटेल के महत्व को सैदव याद रखा जाएगा। देश की आजादी के संघर्ष में उन्होंने जितना योगदान दिया, उससे ज्यादा योगदान उन्होंने स्वतंत्र भारत को एक करने में दिया। उनके निर्णय देश को बदलने वाले रहे।
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गृहमंत्री के रूप में वह पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने भारतीय नागरिक सेवाओं (आईसीएस) का भारतीयकरण कर इन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवाएं (आईएएस) बनाया। अंग्रेजों की सेवा करने वालों में विश्वास भरकर उन्हें राजभक्ति से देशभक्ति की ओर मोड़ा। यदि सरदार पटेल कुछ वर्ष जीवित रहते तो संभवत: नौकरशाही का पूर्ण कायाकल्प हो जाता।
31 अक्टूबर, 2013 को सरदार वल्लभ भाई पटेल की 137वीं जयंती के अवसर पर गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के नर्मदा जिले में सरदार पटेल के स्मारक का शिलान्यास किया। इसका नाम एकता की मूर्ति (स्टैच्यू ऑफ यूनिटी) रखा गया है। यह मूर्ति स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (93 मीटर) से दुगनी ऊंचाई वाली बनाई जाएगी। इस प्रतिमा को एक छोटे चट्टानी द्वीप पर स्थापित किया जाएगा, जो केवाडिया में सरदार सरोवर बांध के सामने नर्मदा नदी के मध्य में है। सरदार वल्लभ भाई पटेल की यह प्रतिमा दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी। यह 5 वर्ष में तैयार होनी है।
सरदार पटेल का निधन 15 दिसंबर, 1950 को मुंबई में हुआ था। उन्हें मरणोपरांत वर्ष 1991 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारतरत्न दिया गया। वर्ष 2014 में केंद्र की मोदी सरकार ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती (31 अक्टूबर) को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाना शुरू किया है।