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क्‍या आपके लाडले के स्‍कूल में हैं ये 10 इंतजाम, आज ही करें चेक

sudhanshu
Published on: 5 July 2018 6:26 PM IST
क्‍या आपके लाडले के स्‍कूल में हैं ये 10 इंतजाम, आज ही करें चेक
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लखनऊ: राजधानी में हाल ही में संदिग्‍ध परिसिथतियों में गायब होते बच्‍चों को लेकर पैरेंट्स के साथ साथ जिला प्रशासन की जिम्‍मेदारी बढ़ गई है। ऐसे में जिला प्रशासन ने स्‍कूलों को सुरक्षा मानकों की एडवाइजरी को फॉलो करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि कई स्‍कूल इन मानकों को लेकर सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं। नए सेशन में स्‍कूल सुरक्षा मानकों को ताक पर रखकर एडमिशन लेने में व्‍यस्‍त हैं। ऐसे में हम आपको उन दस सुरक्षा मानकों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्‍हें आप अपने लाडले के स्‍कूल में जाकर अवश्‍य चेक करें। इनमें से कोई भी कमी मिलने पर आप जिला प्रशासन या स्‍कूल प्रशासन से उसे दुरूस्‍त करवाने की अपील कर सकते हैं।

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ये दस तरीके बनाते हैं स्‍कूल को सेफ

सीसीटीवी है कंपलसरी

जिला प्रशासन की गाइडलान के मुताबिक स्‍कूलों में सीसीटीवी अनिवार्य रूप से लगा होना चाहिए। स्‍कूल में सीसीटीवी का जाल इस तरह से होना चाहिए कि स्‍कूल के इंट्री और एग्जिट प्‍वाइंट से लेकर भवन के सुनसान हिस्‍से भी इसकी जद में हों। बेहतर हो कि सीसीटीवी में संदिग्‍ध व्‍यक्ति को देखकर अलार्म बजने की भी सुविधा हो। इसके साथ साथ सीसीटीवी फुटेज को न्‍यूनतम एक हफ्ता अवश्‍य संभाल कर रखा जाए।

मानक के हिसाब से बाउंड्रीवाल

सिक्‍योरिटी एडवाइजरी के मुताबिक हर स्‍कूल में बाउंड्रीवाल अनिवार्य रूप से होनी ही चाहिए। स्कूल में तीन से चार गेट वाली मजबूत बाउंड्रीवाल होनी चाहिए। हर गेट पर गार्डों की तैनाती इस प्रकार होनी चाहिए कि 24 घंटे न्‍यूनतम तीन गार्ड हमेशा इन गेटों पर मुस्‍तैद रहें।

इमरजेंसी नंबर हों सुलभ

स्कूल के इंट्री और एग्जिट प्‍वाइंट के साथ साथ कई जगहों पर पुलिस कण्ट्रोल रूम और अधिकारियों के नंबर लिखे होने चाहिए। जिससे इमरजेंसी सिचुएशन में कोई भी स्टूडेंट, गार्ड, टीचर या अन्‍य कोई भी व्‍यक्ति इमरजेंसी की सूचना दे सके।

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गेट पर हो टेलीफोन

स्‍कूल के गेट पर गार्ड पिकेट में एक टेलीफोन कनेक्‍शन होना चाहिए। इससे स्‍कूल के अंदर इंटरकॉम, स्‍पीकर्स और बाहर किसी को भी फोन मिलाने की सुविधा हो। जिससे आपात स्थिति में गार्ड पुलिस, फायर या अन्‍य इमरजेंसी सेवाओं को सूचना दे सकें।

रात में रोशन हो स्‍कूल

स्‍कूल की बिल्डिंग में लाइट की समुचित व्‍यवस्‍था होनी चाहिए। जिससे रात के समय पूरी बाउंड्रीवाल पर लाइट पड़ती रहे। इसके साथ ही रोशनी होने से कोई व्‍यक्ति अंधेरे का फायदा उठाकर स्‍कूल की बाउंड्रीवाल को फांदने की हिम्‍मत नहीं करेगा।

बाउंड्रीवाल के ऊपर हो ग्रिल

स्‍कूल की बिल्डिंग की बाउंड्रीवाल की ऊंचाई मानक के अनुरूप हो। इसके साथ साथ बाउंड्रीवाल के ऊपरी हिस्‍से में लोहे की ग्रिल लगी हो। जिससे कोई अनाधिकृत तरीके से कैंपस में प्रवेश न कर पाए।

वॉकी-टॉकी और इंटरकॉम

स्‍कूल के गार्ड और सिक्‍योरिटी अफसर के पास वॉकी-टॉकी की सुविधा स्‍कूल कैंपस को अधिक सेफ बना सकती है। वॉकी-टॉकी और इंटरकॉम से लैस स्‍कूल अन्‍य स्‍कूलों की अपेक्षा अधिक महफूज माने जा सकते हैं। इसके चलते सारे गेटों पर मौजूद गार्ड और सिक्‍योरिटी आफिसर एक दूसरे से संवाद बनाए रख सकते हैं। किसी भी संदिग्‍ध हरकत की सूचना तत्‍काल एक दूसरे को देकर अप्रिय घटनाओं पर अंकुश लगा सकते हैं।

सेंट्रलाइज्‍ड एनाउंसमेंट सिस्‍टम हो सक्रिय

स्‍कूलों में सुरक्षा के लिहाज से सेंट्रलाइज्‍ड एनाउंसमेंट सिस्‍टम सक्रिय होना बहुत आवश्‍यक है। इससे आपात स्थिति में कैंपस के अंदर सबको एक साथ या अलग अलग इंसट्रक्‍शंस दिए जा सकें।

डेली स्‍कूल कैंपस हो चेक

रोज सुबह स्‍कूल कैंपस खुलने से पहले सिक्‍योरिटी अफसर द्वारा पूरे स्कूल को प्रॉपर तरीके से चेक करके ही स्‍टूडेंट्स को इंट्री दे। जिससे स्‍कूल परिसर में संदिग्‍ध वस्‍तु मिलने पर उसे डिस्‍पोज किया जा सके।

इंटीग्रेटेड अलार्म सिस्‍टम हो एक्टिव

स्‍कूल के पास एक इंटीग्रेटेड अलार्म सिस्‍टम एक्टिव होना चाहिए। इसके साथ साथ एक इलेक्ट्रिक बेल भी होनी चाहिए। ये दोनों एक डिस्‍पले से कनेक्‍ट होने चाहिए। जिससे आपात स्थिति में अलार्म बजने पर उसके कारण को डिस्‍प्‍ले किया जा सके।



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