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इस कुर्सी पर है भूत-प्रेत का साया, बैठने से डरते हैं यहां अधिकारी

suman
Published on: 30 Sep 2016 8:31 AM GMT
इस कुर्सी पर है भूत-प्रेत का साया, बैठने से डरते हैं यहां अधिकारी
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लखनऊ: किसी साये या भूत के बारे जब बात करते-डरते हुए सुनते हैं तो जहन में कम पढ़ें लिखे लोगों की तस्वीर सामने आती है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी घटना बताने जा रहे हैं जिसमें भूत दूत से किसी अनपढ़ जाहिल का नहीं, बल्कि पढ़ें लिखे लोगों का वास्ता पड़ा है।

विज्ञान के युग में इस पर विश्वास असंभव है। लेकिन भी हम आपको दिखाते है शाहजहांपुर की। यहां एक पीसीएस अफसर के साये (मृत आत्मा ) से यहां के अफसर इतना खौफजदा है कि डर के चलते वे न तो ऑफिस जाते हैं ना अपने कुर्सी पर बैठते हैं। वे अपना काम दूसरे अधिकारियों के दफ्तर में बैठकर निबटाते है।

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क्या है पूरा मामला

ये पूरा मामला शाहजहांपुर के जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी वीरपाल जी की है। आजकल ये किसी अदृश्य साये से बहुत ही खौफजदा है। वीरपाल अब तक कई झाड़-फूंक टोना टोटका करने वाले लोगों के चक्कर काटने के बावजूद भी चैन में नहीं है। दरअसल, शाहजहांपुर में रंजीत सोनकर और अर्चना सोनकर नाम के दो पीसीएस अधिकारी पिछले कई सालों से कार्यरत थे। जिसमे रंजीत सोनकर शाहजहांपुर के जिला विकलांग कल्याण अधिकारी और अर्चना सोनकर शाहजहांपुर की जिला समाज कल्याण अधिकारी थी।

रंजीत और अर्चना सोनकर ने फरवरी 2016 में शादी कर ली, लेकिन शादी के दो महीने बाद ही रंजीत की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गयी थी। जिसमे रंजीत के परिजनों ने उनकी पत्नी अर्चना सोनकर के खिलाफ जहर देकर हत्या का आरोप लगाया और अर्चना सोनकर के खिलाफ शाहजहांपुर के सदर बाजर थाने में केस दर्ज, लेकिन शासन ने अर्चना को शाहजहांपुर से हटा दिया और मृतक जिला विकलांग कल्याण अधिकारी और जिला समाज कल्याण अधिकारी दायित्व के एक दूसरे पीसीएस अधिकारी वीरपाल को दे दिया।

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वीरपाल को जब से इन दोनों अधिकारियों के काम का जिम्मा मिला, तब से उन्हें कोई न कोई परेशानी बनी रहती है। वे कई टोना-टोटका करने वाले ओझा ज्योतिष के पास गए। जिसमे इन टोना-टोटका करने वालो ने पीसीएस अधिकारी वीरपाल को जिला विकलांग कल्याण अधिकारी के दफ्तर में जाने और जिला विकलांग कल्याण अधिकारी की कुर्सी पर बैठने को ही मना कर दिया। और आज तक जिला विकलांग कल्याण अधिकारी की कुर्सी पर बैठना तो दूर उस दफ्तर की ओर जाने की भी हिम्मत नहीं जुटा सके और दूसरे अधिकारियों के दफ्तर में बैठकर काम को निबटाते है।

suman

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