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तीन तलाक पर इस महिला ने उठाई थी आवाज, पढ़िए शायरा बानो की लड़ाई
लखनऊ: ट्रिपल तलाक जैसे ऐतिहासिक मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुस्लिम महिलाओं में खासी ख़ुशी है। लेकिन सबसे ज्यादा अगर कोई खुश है, तो वह महिला जिसने इसके खिलाफ आवाज उठाई थी। हम बात कर रहे हैं शायरा बानो की, जिन्होंने इस दर्द को झेलने के बाद हार नहीं मानी और इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई।
कौन है शायरा बानो
उत्तराखंड के काशीपुर की 35 साल की शायरा बानो ने फरवरी 2016 में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की थी। शायरा ने तलाक-ए-बिद्दत यानी ‘तिहरे तलाक’ और ‘हलाला’के चलन की संवैधानिकता और मुस्लिमों में प्रचलित बहु विवाह की प्रथा को भी चुनौती दी। शायरा ने कोर्ट से मांग की थी कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत महिलाओं के साथ लैंगिक भेदभाव, एक तरफा तलाक और पहली शादी के बावजूद शौहर के दूसरी शादी करने के मुद्दे पर विचार किया जाए।
शायरा की अर्जी में कहा गया कि तीन तलाक भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत भारतीय नागरिकों को मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। शायरा की अर्जी के बाद तीन तलाक के खिलाफ कई अन्य याचिकाएं दायर की गईं। एक मामले में सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने भी खुद संज्ञान लेते हुए चीफ जस्टिस से आग्रह किया था कि वह स्पेशल बेंच का गठन करें ताकि भेदभाव की शिकार मुस्लिम महिलाओं के मामलों को देखा जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल और नैशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी को जवाब दाखिल करने को कहा था।
शायरा बानो का पति रिजवान इलाहाबाद में रहता है। शायरा उत्तराखंड में अपने माता-पिता के घर इलाज के लिए गई थी, तभी 10 अक्टूबर, 2015 को उसे पति का दो पन्ने का तलाकनामा मिला। जिसमें लिखा था कि वह उनसे तलाक ले रहा है।
रिजवान ने लिखा था - ‘शरीयत की रोशनी में यह कहते हुए कि मैं तुम्हें तलाक देता हूं, तुम्हें तलाक देता हूं, तुम्हें तलाक देता हूं, इस तरह तिहरा तलाक देते हुए मैं मुकिर आपको अपनी जैजियत से खारिज करता हूं आज से आप और मेरे दरमियान बीवी और शौहर का रिश्ता खत्म आज के बाद आप मेरे लिए हराम और मैं आपके लिए नामहरम हो चुका हूं।’ ने अपने पति से मिलने की कोशिश की लेकिन यह नाकाम रही। शायरा के अनुसार मेरे बच्चों की जिंदगी बर्बाद हो गई।
बकौल शायरा "मेरे ससुराल वाले फोर व्हीलर की मांग करने लगे और मेरे पैरेंट्स से चार-पांच लाख रुपए कैश चाहते थे। उनकी माली हालत ऐसी नहीं थी कि यह मांग पूरी कर सकें। मेरी और भी बहनें थीं।" शायरा के दो बच्चे हैं। 13 साल का बेटा और 11 साल की बेटी। शायरा का आरोप है कि शादी के बाद उसे हर दिन पीटा जाता था। रिजवान हर दिन छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करता था। बता दें कि शायरा को उनके पति ने टेलीग्राम से तलाकनामा भेजा था। सबसे दुखद बात ये है कि शायरा पिछले एक साल से अपने बच्चों से नहीं मिल सकी हैं. फोन पर भी बात नहीं करने दी जाती। शायरा की मानें तो , शादी के बाद उसे कई गर्भनिरोध लेने को कहा गया, जिसकी वजह से वह काफी बीमार हो गई। उसके पति ने उसका 6 बार अबॉर्शन करवाया। शायरा बानो ने सुप्रीम कोर्ट में निकाह हलाला की रिवाज को भी चैलेंज किया है।
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आफरीन का भी किस्सा
28 साल की रहमान आफरीन के साथ भी यही हुआ। आफरीन ने एमबीए करने के बाद एक वैवाहिक वेबसाइट के जरिए इंदौर के वकील सैयद असार अली वारसी से 24 अगस्त 2014 में निकाह किया था। मां की मौत के बाद जयपुर अपने मायके आईं आफरीन को 17 जनवरी, 2016 को उसके शौहर का भेजा हुआ स्पीड पोस्ट मिला। उसमें लिखा था कि मैं तुम्हें तीन बार तलाक-तलाक-तलाक कहता हूं क्योंकि तुम मेरे घरवालों से ज्यादा खुद के घरवालों का ख्याल रखती हो और मुझे शौहर होने का सुख नहीं देता। आफरीन ने भी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई है।
(भारत में लगभग 18 करोड़ मुसलमान रहते हैं। उनकी शादी और तलाक के मामले मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक तय होते हैं, जो जाहिर तौर पर शरिया कानून पर आधारित होते हैं।)
शायरा बानो ने संविधान में नागरिकों को दिए गए मूलभूत अधिकारों अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 15 (धर्म, जाति, लिंग के आधार पर किसी नागरिक से कोई भेदभाव न किया जाए) और अनुच्छेद 21 (जीवन और निजता के संरक्षण का अधिकार) और अनुच्छेद 25 को आधार बनाया था।