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ढाबा चलाते-चलाते इस छात्र ने पास कर लिया CAT, बॉलीवुड फिल्मों की तरह है ये स्टोरी
इंदौर: शशांक अग्रवाल ने 2017 में 'CAT EXAM' को 98.01 परसेंटाइल के साथ पास किया था। वह अब आईआईएम रोहतक से मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन इससे पहले उन्होंने कई मुसीबतों को झेला है। यहां तक कि उन्हें अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए ढाबा भी चलाना पड़ा। लेकिन वे कभी निराश नहीं हुए। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपना प्रयास जारी रखा। उनकी कहानी में हर वो मोड़ है,जो हमें कई बार हिंदी सिनेमा में देखने को मिलता है।
newstrack.com आज आपको शशांक अग्रवाल की अनटोल्ड स्टोरी के बारे में बता रहा है।
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बचपन में सिर से उठ गया था पिता का साया
शशांक अग्रवाल(22) का जन्म इंदौर में हुआ था। उन्होंने अपने पिता को बहुत कम उम्र में खो दिया था। उसके बाद उनके घर को चलाने की जिम्मेदारी उनके दादा पर आ गई। उनकी पेंशन से घर का खर्च चलता था। स्कूल खत्म करने के बाद उन्होंने इंदौर के इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिल लिया। जब वह सेकंड इयर में थे, तभी उनके दादाजी की मौत हो गई। अब उस पेंशन का स्रोत भी खत्म हो गया। परिवार पर बड़ा संकट आ गया।
घर का खर्च चलाने के लिए किया ये काम
शशांक ने तय किया कि अब वह अपने परिवार का खर्चा उठाएंगे। साथ ही उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखने का फैसला किया। इसके लिए शशांक ने 50 हजार का कर्ज लेकर इंदौर के भवर कुआं चौराहे पर एक ढाबा शुरू किया। ये जगह इंदौर में उन स्टूडेंट्स के लिए जानी जाती है, जो शहर में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने आते हैं। शशांक ने पांच लोगों को साथ लेकर ढाबा शुरू किया। यहां उन्होंने 50 रुपए में भरपेट खाना देना शुरू किया।
मुश्किल हालात में जारी रखी पढ़ाई
खाने की क्वालिटी अच्छी थी, इसलिए उन्हें इसके सकारात्मक परिणाम मिले। जल्द ही उनकी आमदनी 30 हजार रुपए प्रतिमाह तक पहुंच गई। इस दौरान उन्होंने तय किया कि वह अपनी पढ़ाई को नुकसान नहीं होने देंगे। उन्होंने अपनी पढ़ाई और काम के बीच संतुलन बनाया। वह सुबह 6 बजे जागकर स्थानीय मंडी पहुंचते। वहां से ढाबे के लिए सब्जी और दूसरे सामान लेकर अपने ढाबा की तैयारी कराते। इसके बाद दोपहर में कॉलेज पहुंच जाते। शाम को ढाबा पर आते। ये सिलसिला रात 11 बजे तक चलता।
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ऐसे किया ‘CAT' क्वालीफाई
इस ढाबे ने उन्हें सेल और मार्केट में अच्छी समझ दी। यहीं से शशांक को समझ आया कि वह इंजीनियरिंग नहीं मैनेजमेंट के लिए बने हैं। इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद वह हैदराबाद के एक स्टार्टअप से जुड़ गए। ये स्टार्टअप प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कंटेट तैयार करता था। इसमें कॉमन एडमिशन टेस्ट (CAT) भी शामिल था। इसके साथ ही उन्होंने CAT की तैयारी भी शुरू कर दी। उन्होंने अपना ध्यान वर्बल एंड रीडिंग कॉम्परेहेंशन सेक्शन की ओर ध्यान लगाया। जिसका बाद में उन्हें मिला।