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प्रेग्नेंसी के समय महिलाएं नहीं देंगी ध्यान तो जीवनभर रहेंगी परेशान
जयपुर: प्रेग्नेंसी के दौरान और बाद में महिलाओं को हेल्थ से जुड़ी कई प्रॉब्लम्स फेस करनी पड़ती हैं, इसमें स्किन प्रॉब्लम भी शामिल हैं। अगर इस दौरान स्किन की प्रॉपर केयर की जाए तो स्किन प्रॉब्लम्स को बहुत हद तक दूर किया जा सकता है, लेकिन समस्या ज्यादा हो तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के हार्मोनल चेंजेस आते हैं। इससे कई तरह की स्किन प्रॉब्ल्म्स भी महिलाओं को होती हैं, इसमें स्ट्रेच मार्क्स, खुजली, मुंहासे, पिग्मेंटेशन और प्रसव के बाद त्वचा का ढीला पड़ जाना जैसी समस्याएं शामिल हैं। इन समस्याओं से बहुत हद तक बचाव संभव है, लेकिन इसके लिए कुछ बातों का ख्याल रखना होगा।
स्ट्रेच मार्क्स बच्चे के विकास के साथ पेट की त्वचा में खिंचाव होता है, जिससे त्वचा की सतह के नीचे पाए जाने वाले इलास्टिक फाइबर टूट जाते हैं, इसके परिणामस्वरूप स्ट्रेच मार्क्स महिलाओं के पेट पर नजर आने लगते हैं। प्रेग्नेंसी में महिलाओं का वजन 11-12 किलो तक बढ़ना सामान्य है, लेकिन कुछ महिलाओं का वजन 20 किलो तक बढ़ जाता है, इससे त्वचा में तेज खिंचाव होता है, जिससे स्ट्रेच मार्क्स होने की आशंका ज्यादा बढ़ जाती है। 10 में से 8 महिलाओं को इस समस्या का सामना करना पड़ता है। यह इस पर भी निर्भर करता है कि महिला की त्वचा कैसी और कितनी मुलायम है। यह प्रेग्नेंसी के छठवें या सातवें महीने में ज्यादा होते हैं। प्रेग्नेंसी के बाद स्ट्रेच मार्क्स धीरे-धीरे हल्के हो जाते हैं, लेकिन पूरी तरह गायब नहीं होते हैं। लेकिन मॉयश्चराइजर या विटामिन ई युक्त क्रीम लगाकर इन्हें कम किया जा सकता है, इससे त्वचा में नमी बनी रहती है।
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खुजली प्रेग्नेंसी में पेट फूलने के कारण मांसपेशियों में खिंचाव होता है, जिससे कई महिलाओं को खुजली की समस्या भी हो जाती है। गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं को पूरे शरीर पर खुजली होती है। ऐसे में कैलेमाइन लोशन या अच्छा मायश्चराइजर लगाना ठीक रहता है। अगर अधिक खुजली हो तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। यह गर्भावस्था के दौरान लीवर में किसी तरह की गड़बड़ी के कारण हो सकती है, जिसे कोलेस्टैटिस कहते हैं, इससे समय पूर्व प्रसव का खतरा बढ़ सकता है।
मेलाज्मा यह गर्भावस्था के दौरान त्वचा की सबसे गंभीर समस्या है, जिसे प्रेग्नेंसी मास्क भी कहा जाता है। इसमें चेहरे पर जगह-जगह पिग्मेंटेशन की समस्या हो जाती है और चकत्ते पड़ जाते हैं। सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणों के संपर्क में आने से, आनुवांशिक कारण, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन का बढ़ा हुआ स्तर इसके कारण हैं। कई महिलाओं में छाती और जांघों पर भी पिग्मेंटेशन की समस्या हो जाती है। प्रसव के बाद पिग्मेंटेशन कम हो जाता है लेकिन यह पूरी तरह कभी खत्म नहीं होता है। ऐसे में जितना हो सके महिलाओं को तेज धूप से बचना चाहिए, जब भी घर से बाहर निकलें एसपीएफ 30 सनस्क्रीन लगाएं।
ध्यान गर्भावस्था के दौरान स्किन केयर प्रोडक्ट का इस्तेमाल सोच-समझकर करें, क्योंकि जो क्रीम आप लगाती हैं उसके कुछ तत्व रक्त में अवशोषित हो जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। गर्भावस्था में त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए पूरी नींद लें। गर्मियों में तीन बार और सर्दियों में दो बार किसी अच्छे फेसवॉश से चेहरा धोएं। . आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान त्वचा अधिक रूखी हो जाती है, इसलिए नियमित रूप से मॉयश्चराइजर का इस्तेमाल करें। ढेर सारा पानी पिएं, इससे शरीर से टॉक्सिन बाहर निकलते हैं और स्किन ग्लो करती है।