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...जब सोशलिस्ट नेता राजनारायण ने अपने बेटे को ही ट्रेन से उतरवा दिया
लखनऊ: मेरा (ओम प्रकाश सिंह s/o राजनारायण ) सर्विस के दौरान एक बार तबादला नागर चंदा हो गया। पर ट्रांसफर आर्डर में यह नहीं लिखा था कि यह जगह कहां पर है। इस सिलसिले में लखनऊ आया और अधिकारियों से पूछा तो उन्होंने भी कहा कि मुझे इस जगह की जानकारी नहीं। इसी बीच पता चला कि नेताजी (राजनारायण जी) लखनऊ आए हैं तो उनसे मुलाकात की और बताया कि हमारा ट्रांसफर हो गया है।
फिर वह दिल्ली जाने लगें तो ट्रेन के जिस एसी बोगी में वह बैठे थे। उसी में मैं भी बिना टिकट बैठ गया। ट्रेन चल दी तो टीटी आया और मुझसे टिकट मांगा तो मैंने कहा कि मैं नेताजी का बेटा हूं। टीटी ने जब नेताजी से मेरा हवाला देते हुए पूछा कि वह आपके साथ हैं तो नेताजी ने साफ मना कर दिया और कहा कि नहीं वह मेरे साथ नही हैं। उनका टिकट बनवाओ या फिर अगले स्टेशन पर उतार दो। आखिरकार टीटी ने मुझे अगले स्टेशन पर उतार दिया। फिर मैंने टिकट बनवाया और दूसरी गाड़ी से दिल्ली पहुंचा।
इमरजेंसी में 23 जून 1976 की रात हुए थे अरेस्ट
मेरी उम्र 22 साल रही होगी, उस समय मैं एमएम प्रथम वर्ष का छात्र था। अपनी सर्विस की पैरवी के लिए दिल्ली गया हुआ था। इसी दरम्यान 23 जून 1976 की रात 12 बजे दिल्ली में नेताजी के क्वार्टर पर पुलिस का छापा पड़ा और वहीं से मुझे अरेस्ट किया गया। पुलिस मुझे पर्लियामेंट्री थाने ले गई और फिर वहां से ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के सामने पेश करके जेल भेज दिया गया। उस समय विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडे भी वहीं पर सोए हुए थे।
इंदिरा के विवादित पोस्टर के बारे में हुई थी पूछताछ
उस समय इंदिरा जी का एक विवादित पोस्टर बहुत चला हुआ था। उस पर इंदिरा जी की फोटो थी और उस पर लिखा हुआ था कि इस तानाशाह की आखिरी जगह? पुलिस ने इस पोस्टर के बारे में पूछताछ की थी और कहा कि यहां मीटिंग होती है।
चार-पांच महीने रहा तिहाड़ में, बैरक नंंबर 14 में किया गया ट्रांसफर
पहले मुझे तिहाड़ जेल के पहले 13 नंंबर बैरक में भेज दिया गया। जहां मर्डरर रहते थे। वहां दो दिन भूना चना खाकर रहा। फिर मदन लाल खुराना साहब को पता चला तो उन्होंने 14 नंंबी बैरक में मेरा ट्रांसफर कराया। जेल में जमात-ए-इस्लामी के लोगों के साथ दो-चार दिन रोजा भी रहा।
नेताजी ने जब मेरा नाम पूछा तो जेलर ने कहा नहीं कर पाएंगे बात
इमरजेंसी के दौरान ही पर अपनी गिरफ्तारी से पहले एक बार मैं नेताजी से मिलने हरियाणा की हिसार जेल गया तो मुलाकात के दौरान उन्होंने मेरा नाम पूछा। मैंने कहा कि मैं आपका पुत्र ओम प्रकाश हूं। इतना सुनते ही वहां मौजूद सीआईडी, जेलर और अन्य दो अधिकारी बोलें कि नेताजी आप इनसे बात नहीं कर पाएंगे। नेताजी ने पूछा क्यों तो जेलर ने मुझे नेताजी का पुत्र होने पर संशय जताते हुए कहा कि जब आपको अपने लड़के का नाम ही नहीं पता तो आप बात कैसे कर पाएंगे। इस पर नेताजी ने कहा कि मैं इंदिरा नहीं हूं कि सिर्फ संजय और राजीव के ही नाम याद कर लूं। ऐसे मेरे पास करोड़ो बेटे हिंदुस्तान में पड़े हैं। कितने के नाम याद करूं। वह जेल अधिकारियों से पूछ बैठे कि फिर एक महीना तक छानबीन करने के बाद परमिशन कैसे मिली मिलने की। तब जाकर मुझे नेताजी से बात करने दिया गया।
...जब नेताजी ने पूछा ठाकुर साहब कैसे हैं
मुलाकात के दौरान नेताजी ने पूछा ठाकुर साहब (कर्पुरी ठाकुर) कैसे हैं। (चूंकि इमरजेंसी लगी थी तो वह अंडरग्राउंड हो गए थे। हम कुछ लोग उनसे मिलकर हालचाल ले लिया करते थेे। ) मैंने कहा ठीक हैंं। इस पर सीआईडी के अधिकारियों ने मुझसे पूछताछ की कि यह ठाकुर साहब कौन हैं तो मैंने कहा कि यह हमें नहीं मालूम। नेताजी का परिवार बहुत है। उन्होंने कौन से ठाकुर साहब के बारे में पूछा हमें नहीं पता। किसी ठाकुर साहब को पूछे होंगे तो हमने कहा ठीक है। यह नहीं बता पाएंगे कि कौन ठाकुर है।
ओम प्रकाश सिंह सोशलिस्ट नेता राजनारायण के तीसरे पुत्र हैं।
(ये खास बातें newztrack के वरिष्ठ संवाददाता राजकुमार से सोशलिस्ट राजनारायण के बेटे ओमप्रकाश ने कहीं)