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रिश्तों में जरूरत से ज्यादा दूरी, कहीं कर ना दें हमसफर को दूर

Newstrack
Published on: 29 Jun 2016 9:36 AM GMT
रिश्तों में जरूरत से ज्यादा दूरी, कहीं कर ना दें हमसफर को दूर
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लखनऊ: कुछ कदम हम चले, कुछ कदम तुम चले, फर्क सिर्फ इतना है कि जब हम चले तो फासले घटते गए और जब तुम चले तो फासले बढ़ते गए। ना जाने किस मोड़ पर जिंदगी भर का साथ निभाते-निभाते हाथ छूटते गए

आजकल ज्यादातर रिश्ते बेवजह के अलगाव की वजह बन रहे है। ऐसा तब होता है जब हम रिश्तो को समझ नहीं पाते और दूरियां इतनी बढ़ जाती है कि कुछ पता ही नहीं चल पाता है। ऐसा तब होता जब हम सो कॉल्ड स्पेस के नाम पर कुछ ज़्यादा ही दूरियां बना लेते हैं और कब ये दूरियां रिश्तों को ख़त्म करने लगती हैं, हमें एहसास ही नहीं होता।

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ओवरडोज किसी भी चीज की सही नहीं

चाहे कोई अच्छी ही चीज़ क्यों न हो, पर ओवरडोज़ किसी भी चीज़ का सही नहीं होता है। ये ठीक है कि आपको पार्टनर को टोकना या उसके किसी भी काम में दख़ल देना पसंद नहीं, लेकिन इसका ये भी अर्थ नहीं कि बिल्कुल ही न टोकें। इससे आपके पार्टनर को लगेगा कि आपको किसी बात से फर्क नहीं पड़ता और वो आपसे जुदा दूसरे रास्तों पर चलने की कोशिश करेगा।

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विश्‍वास और अंधविश्‍वास के बीच का फ़र्क़ समझें

आप एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं, ये अच्छा है, लेकिन ध्यान रखें विश्‍वास की डोर अंधविश्‍वास में ना बदले। क्योंकि जरुरत से ज्यादा भरोसा धोखा की वजह बनता है। और तब बहुत अधिक तकलीफ़ होती है और इस बात का मलाल भी कि क्यों नहीं थोड़ी-सी सतर्कता व सावधानी बरती.

स्पेस दे पर जरुरत से ज्यादा नहीं

हर बात पर आजकल ये जुमला चिपका दिया जाता है कि हर रिश्ते में स्पेस ज़रूरी है, लेकिन स्पेस कितना और किस हद तक, इसका दायरा कभी तय नहीं किया जाता है। स्पेस के नाम पर आप अपने रिश्ते के प्रति इतने लापरवाह न हो जाएं कि एक-दूसरे की तरफ़ ध्यान ही न दें और धीरे-धीरे रिश्तों की गर्माहट खत्म होने लगती है।

पार्टनर पर रखें नजर

ये सही है कि पार्टनर की दिनभर जासूसी नहीं करनी चाहिए, लेकिन ये भी गलत है कि उसके साथ कम्यूनिकेशन ही ना रखें। इससे रिलेशनशिप में गैप होना स्वभाविक है।

स्पेस का मतलब

स्पेस का मतलब रिश्ते के प्रति बेपरवाह होना नहीं चाहिए, उतना ही स्पेस दें, जितना जरूरी हो। आजकल अक्सर कपल्स अपने-अपने फोन पर, विभिन्न सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर बिज़ी रहते हैं और दोनों ही पार्टनर्स को इसमें दिलचस्पी कम ही रहती है कि उसका पार्टनर कहां किसके साथ बिज़ी है।

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रिलेशनशिप में बैलेंस या संतुलन बेहद ज़रूरी है। पार्टनर का डेली रूटीन, उसके फ्रेंड्स, वो किससे बात करता है, किसके मेल्स उसे आते हैं आदि बातों की कम से कम हल्की-सी जानकारी ज़रूर रखें

एक-दूसरे के साथ को एंजॉय करें

एक-दूसरे पर भरोसा करें, लेकिन आंखें न मूंद लें। इतने भी बेपरवाह न हो जाएं कि रिश्ते से प्यार गायब हो जाए। रिश्ते में गर्माहट बनाए रखने के लिए रोमांटिक बातें करें, डेट्स रपर जाएं।

ऐसा न हो कि दोनों ही अपने-अपने फ्रेंड्स सर्कल के साथ ही रह जाएं और ये भी याद न रहे कि आख़िरी बार आप दोनों ने साथ में समय कब गुज़ारा था। अगर आपको लग रहा है कि आपका रिश्ता पहले जैसा नहीं रहा, तो उसके कारणों पर आपस में बैठकर चर्चा करें और समाधान भी निकालें। |

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हर रिश्ते का रखें ख्याल

चाहे पैरेंट्स हों, भाई-बहन, दोस्ती या अन्य कोई भी रिश्ता, जरूरत से ज्यादा स्पेस दूरियां बढ़ाएगी। वरना प्रतिबद्धता और रिश्ते में भरोसा रह ही नहीं जाता,लेकिन आज की जनरेशन इसी अनुशासन को निजी जीवन में दखलअंदाजी मानती है, जिससे सीमा रेखा तय करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है।

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एक समय था, जब भाई-बहन आपस में बहुत-से सीक्रेट्स शेयर करते थे, लेकिन अब स्पेस के नाम पर सब कुछ सीक्रेट ही रह जाता है और अगर किसी से कुछ पूछो, तो जवाब यही मिलता है कि ये हमारी पर्सनल लाइफ है। अब अगर रिलेशनशिप के बेहतर करना है तो समय रहते स्थिति को समझें और अपने रिश्ते को सेफ करें।

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