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कभी देखा है ऐसा बैलेंसिंग रॉक, भूकंप भी नहीं था हिला पाया

shalini
Published on: 23 May 2016 2:25 PM IST
कभी देखा है ऐसा बैलेंसिंग रॉक, भूकंप भी नहीं था हिला पाया
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लखनऊ: भूकंप का नाम आते ही आंखों के सामने एक तहस-नहस जैसा सीन बन जाता है। इसका ख्‍याल आते ही हमारे मन में तबाही और हर चीज के उल्‍टा-पुल्‍टा हो जाने की बातें आती हैं। पर अगर हम आपसे कहें कि 8.2 की तेजी से आया भूकंप एक पत्‍थर को नहीं हिला पाया, तो क्‍या आप यकीन करेंगे। शायद नहीं पर ये सच है। 19 साल मध्यप्रदेश के जबलपुर में एक भूकंप ने जमकर तबाही मचाई थी। 22 मई 1997 को आए 8.2 तीव्रता के भूकंप में न जसने कितनी कई इमारतें ढह गई थीं। उनके मलबे में दबकर 39 जिंदगियां जिंदा ही दफन हो गईं थी। पर उसी भूकंप में शहर में अनोखे बैलेंस वाला एक ऐसा भी है, जिसे 8.2 तीव्रता वाला भूकंप भी नहीं गिरा पाया था।

देखने में लगता है कि गिर जाएगा ये पत्‍थर

-इस पत्‍थर को देखने पर ऐसा लगता है कि मानो वह गिरने वाला हो।

-इसे छूते ही यह गिर जाएगा।

-पर खास बात तो यह है कि भूकंप भी इसे नहीं गिरा पाया था।

आकर्षण का केंद्र बन चुका है

-जबलपुर में बैलेंसिंग रॉक मेन अट्रैक्शन का सेंटर है।

-हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि इसे किसी इंजीनियर या अन्य विशेषज्ञों ने इस तरह नहीं रखा है।

-सालों से यह पत्थर एक चट्टान पर इसी तरह जमा हुआ है।

-कई जियोलॉजिकल और आर्कियोलॉजिस्‍ट के इसके पीछे का रहस्य समझने की कोशिश की।

-इन वैज्ञानिकों के पास एक ही जवाब है कि पत्थर ग्रेविटेशनल फोर्स के कारण अपने स्थान पर जमा हुआ है।

balancing rock jabalpur बैलेंसिंग रॉक, जबलपुर

दफन हुई थी 39 जिंदगियां

-बताया जाता है कि 1997 में आया भूकंप भले ही बैलेंसिंग रॉक को न हिला पाया हो, पर इस भूकंप ने भारी तबाही मचाई थी।

-जबलपुर में 22 मई 1997 को आए भूकंप के मंजर को याद करके वहां के लोग आज भी सिहर उठते हैं।

-उस भूकंप ने जो तबाही मचाई थी, उससे लोग अभी भी उबर नहीं पाए हैं।

-इस वजह से जब भी धरती में कंपन महसूस होता है, यहां के लोग दहशत से भर जाते हैं।

jabalpur बैलेंसिंग रॉक, जबलपुर

हुआ था करीब 50 हजार घरों को नुकसान

-1997 में आए 82 की तीव्रता से भूकंप के झटके जबलपुर, मंडला, छिंदवाड़ा और सिवनी में महसूस किए गए थे।

-धरती के हिलने की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान जबलपुर और मंडला में हुआ था।

-इन जिलों में 8 हजार से ज्यादा घर पूरी तरह से ध्वस्त हो गए थे, जबकि 50 हजार से ज्यादा घरों को नुकसान पहुंचा था.

-जियोलॉजिकल द्वारा जबलपुर को भूकंप संवेदी क्षेत्र का दर्जा दिया है।

-जिस वजह से यहां आने वाला छोटा-सा भी भूकंप का झटका लोगों में डर पैदा कर देता है।



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