एक हादसे में दोनों पैर गंवा चुकी ये लेडी आज हैं एथलीट, KBC में जीत चुकीं है 50 लाख

Aditya Mishra
Published on: 23 July 2018 8:14 AM GMT
एक हादसे में दोनों पैर गंवा चुकी ये लेडी आज हैं एथलीट, KBC में जीत चुकीं है 50 लाख
X

लखनऊ: जिंदगी में कोई कुछ कर गुजरने की ठान लें तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। जरूरत है तो सिर्फ जोश ओर जुनून की। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है शताब्दी अवस्थी ने। एक दुर्घटना में दोनों पैर गंवा चुकी शताब्दी एक एथलीट होने के साथ आज स्टेट बैंक में असिस्टेंट मैनेजर है। वह केबीसी में भाग लेकर 50 लाख रुपए की राशि भी जीत चुकी है। शताब्दी की लाइफ के ऊपर ‘द वर्नाकुलर क्लब’ ने एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है।

newstrack.com आज आपको शताब्दी अवस्थी की अनटोल्ड स्टोरी के बारे में बता रहा है।

ये भी पढ़ें...कभी बड़े शहरों में अकेले घूमने में लगता था डर, आज है तलवारबाजी की महारथी

एक हादसे में गंवा दिए थे दोनों पैर

शताब्दी अवस्थी (30) राजस्थान के सवाईमाधोपुर की रहने वाली है। उसने वर्ष 2005 में जयपुर के एक कालेज से बीएससी की पढ़ाई पूरी की। उसका सपना एयरफोर्स ज्वाइन करके आसमान में उड़ान भरने का था।

लेकिन वर्ष 2006 में हुए हादसे ने उनकी जिंदगी बदल दी। छत से गिरने से उनके दोनों पैरों में काफी चोटें आ गई थी। बाद में वह अपाहिज हो गई। कुछ सालों तक इलाज कराया लेकिन फायदा नहीं हुआ।

आखिरकार उसने सोचा कि भाग्य भरोसे बैठा नहीं जा सकता। उसने अपने परिवार के लोगों से अपने मन की बात बताई। घरवाले भी उसके सपोर्ट के लिए राजी हो गये।

ऐसे तय किया बैंक मैनेजर से ‘केबीसी’ का सफर

शताब्दी ने हादसे में दोनों पैर गंवाने के बाद व्हील चेयर पर बैठकर एमए और बीएड की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वह बैंक की प्रिप्रेशन करने में जुट गई।

वर्ष 2010 में भारतीय स्टेट बैंक में असिस्टेंट मैनेजर की पोस्ट पर उनका सलेक्शन हुआ। वह लोगों को मैसेज देना चाहती थी कि किसी भी परिस्थिति में जिंदगी रुक नहीं जाती।

इसलिए उसने कौन बनेगा करोड़पति(केबीसी) शो में जाने का फैसला किया। कई दिनों तक लगातार एसएमएस और कॉल्स किए और इस तरह केबीसी में सेलेक्ट हो गई।

2012 में उसने अमिताभ बच्चन के पूछे गये सवालों के शी जवाब दिए और वहां से 50 लाख रुपये जीतकर वापस लौट आई।

ये भी पढ़ें...कभी जूडो को दिल दे बैठे थे अभिषेक, ऐसे बने मिस्‍टर टैलेंटेड एशिया 2018

दिव्यांगता को मात देने के लिए बन गई एथलीट

दिव्यांगता अभिशाप नहीं है। इस कहावत को चरितार्थ करने के लिए शताब्दी ने पैरा एथलीट बनने का फैसला किया। इसके लिए उन्हें एक अच्छे कोच की जरूरत थी।

कुछ दिनों तक चली तलाश के बाद उनकी मुलाकात महावीर प्रसाद सैनी से हुई। उनसे ट्रेनिंग लेकर शताब्दी ने राजस्थान ओपन पैरा एथेलेटिक्स चैम्पियनशिप में भाग लिया।

उसने पहले ही टूर्नामेंट में शॉटपुट स्पर्धा में पदक जीतकर नेशनल के लिए क्वालीफाई किया और फिर अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहली बार में कांस्य पदक जीतकर देश का मां बढ़ाया।

डॉक्यूमेंट्री के जरिये दे रहीं है ये सन्देश

शताब्दी अवस्थी की लाइफ के ऊपर ‘द वर्नाकुलर क्लब ने हाल ही में एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है। इस विडियो के जरिये शताब्दी उन सभी लोगों को एक सन्देश देना चाहती है जो किसी वजह से जिन्दगी से हार मानकर बैठ गये है।

उनका मानना है कि अगर इंसान के मन में कुछ करने का जज्बा हो तो किसी भी परिस्थिति से उबरा जा सकता है। इसके लिए बस ‘जोश’ और ‘जुनून’ इन दो चीजों की जरूरत होती है।

‘द वर्नाकुलर क्लब के सिनेमेटोग्राफर सौम्य दीप दास का मानना है कि ऐसी कहानियां समाज में निराश हो चुके लोगों के बीच उम्मीद की एक किरण साबित होगी।

Aditya Mishra

Aditya Mishra

Next Story