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दौलत भी नहीं रोक पाई हिना हिंगड़ को, इन पांच जैन मुनियों ने भी एश्वर्य को ठुकराया

Aditya Mishra
Published on: 19 July 2018 11:23 AM IST
दौलत भी नहीं रोक पाई हिना हिंगड़ को, इन पांच जैन मुनियों ने भी एश्वर्य को ठुकराया
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लखनऊ: मुंबई के अरबपति पिता की 28 वर्षीय बेटी हिना हिंगड़ सांसारिक जीवन त्यागकर जैन साध्वी बन गई हैं। अहमदनगर विश्वविद्यालय से एमबीबीएस में टॉपर और गोल्ड मेडलिस्ट हिना पिछले तीन वर्षों से प्रैक्टिस कर रही थीं।उसने सूरत में आचार्य विजय यशोवर्मा सुरेश्वरजी महाराज से दीक्षा ली। डॉक्टर हिना हिंगड़ की पहचान अब साध्वी श्री विशारदमाला हो गई है।

newstrack.com आज आपको पांच ऐसे ही केस के बारे में बताने जा रहा है। जिसमें शिक्षित और सम्पन्न परिवार से निकलकर लोगों ने एश्वर्य को ठुकराते हुए दीक्षा ग्रहण की।

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100 करोड़ और बच्ची छोड़ मां बनी साध्वी

25 सितम्बर 2017 को मध्य प्रदेश के नीमच इलाके में अनामिका नाम की महिला ने साध्वी बनने के लिए 100 करोड़ की संपत्ति को ठुकरा दिया। साथ ही तीन साल की बच्ची का भी मोह त्याग दिया। महिला के पति सुमित ने पहले ही दीक्षा ले ली थी। इस जोड़े को दीक्षा लेने के लिए कई कानूनी अड़चनों का भी सामना करना पड़ा। तब जाकर उन्हें दीक्षा मिल पाई। अनामिका आज साध्वी श्रीजी के नाम से जानी जाती है।

हीरा कारोबारी के बेटे बने जैन मुनि

22 अप्रैल 2018 को सूरत के हीरा कारोबारी दीपेश शाह के 12 वर्षीय बेटेभव्य ने सांसारिक मोह-माया त्याग कर जैन दीक्षा ले ली। हीरा कारोबारी के बेटे भव्य को उमरा स्थित जैन संघ में आचार्य रश्मिरत्नसूरी ने दीक्षा दी। बेटे के दीक्षा लेने पर परिवारों के लोगों ने काफी ख़ुशी जाहिर की थी।

सीए की जॉब छोड़कर बने निश्चलमुनि

23 जनवरी 2018 को इंदौर में वसंत पंचमी पर तीन दीक्षाएं शिव कोठी एमजी रोड पर हुईं। रायपुर के प्रतिष्ठित सीए नितिन ने पत्नी पूनम के साथ दीक्षा ली। जैन भगवती दीक्षा के बाद नितिन निश्चलमुनि बने, जबकि पूनम को महासती पूर्णिमा नाम मिला। दीक्षा सादगीपूर्ण तरीके से संत प्रकाशमुनि द्वारा दी गई।

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गाड़ी, बंगला और 5 करोड़ छोड़ बनी साध्वी

29 अगस्त 2017 को जैन धर्म में नातिन के दीक्षा लेने से पहले उसके नाना ने उसे मनाने की काफी कोशिश की। उन्होंने कहा कि मैं तुम्हे बंगला, गाड़ी और तुम्हारे नाम से 5 करोड़ डिपॉजिट करता हूं, दीक्षा मत लो। तुम्हारी इच्छा है तो धर्म का प्रचार-प्रसार सांसारिक जीवन में रहकर ही करो, लेकिन उच्च शिक्षित नातिन नहीं मानी। उसने जैन धर्म की दीक्षा ले ली। आज वह साध्वी जिनप्रज्ञाश्रीजी बनकर गांव-गांव,शहर-शहर घूमकर जैन धर्म की शिक्षा दे रही हैं।

लग्जीरियस लाइफ छोड़ बन गई साध्वी

24 जनवरी 2018 को निजामपुर के परिमल पार्क अंतर्गत एक सम्पन्न परिवार से ताल्लुक रखने वाली शेफाली ने 28 वर्ष की उम्र में जैन धर्म की दीक्षा ले ली। शेफाली ग्रेजुएट होने के साथ पढ़ाई में हमेशा से अव्वल रही है। उसके फैसले पर परिवारों के लोगों ने ख़ुशी जाहिर की थी। बता दे कि शेफाली का परिवार लग्जीरियस लाइफ जीने के लिया जाना जाता है।



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