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जहां लटकते थे ताले, वे अब हैं देश के लिए मॉडल स्वास्थ्य केंद्र
हजारीबाग जिले (झारखंड) के नक्सल- उग्रवाद प्रभावित व जंगल से घिरे क्षेत्र चुरचू और डाडी प्रखंड के 13 उप स्वास्थ्य केंद्रों में पहले एक भी एएनएम नहीं थी। ऐसे में अन्य इलाज की कल्पना भी यहां नहीं की जा सकती थी। लोगों को छोटी –मोटी परेशानियों में भी 25 से 30 किमी. दूर हजारीबाग इलाज के लिए जाना पड़ता था। लेकिन अब स्थिति पूरी तरह से बदल चुकी है।
हजारीबाग़: झारखंड के हजारीबाग जिले के दो इलाके चुरचू और डाडी प्रखंड का नाम आते ही लोगों के दिमाग में बस एक ही तस्वीर उभर कर सामने आती थी। वह थी घने जंगलों से घिरा एक ऐसा क्षेत्र, जो नक्सल -उग्रवाद से प्रभावित हो और विकास में काफी पिछड़ा हुआ हो। जहां बदलाव की बात करना तो दूर उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।
लेकिन अब यहां के लोगों की धारणा धीरे –धीरे बदलने लगी है। ऐसा हम नहीं कह रहे है बल्कि वहां के हालत इस हकीकत को बयां कर रहे है।
तो आइये जानते है ऐसा क्या कुछ हुआ। जिसके चलते चुरचू और डाडी प्रखंड की पहचान अब बदल चुकी है। जहां पहले लोग विकास की बात करने के बारें में सोचते भी नहीं थे। वहां के ये दो इलाके देश के अंदरअब मॉडल बनकर सामने आये है।
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ये है पूरा मामला
हजारीबाग जिले (झारखंड) के नक्सल- उग्रवाद प्रभावित व जंगल से घिरे क्षेत्र चुरचू और डाडी प्रखंड के 13 उप स्वास्थ्य केंद्रों में पहले एक भी एएनएम नहीं थी। ऐसे में अन्य इलाज की कल्पना भी यहां नहीं की जा सकती थी। लोगों को छोटी –मोटी परेशानियों में भी 25 से 30 किमी. दूर हजारीबाग इलाज के लिए जाना पड़ता था। लेकिन अब स्थिति पूरी तरह से बदल चुकी है।
यहां अब दिन ही नहीं बल्कि रात में भी प्रसव की सुविधा मिल रही है। दिसंबर में ही डाडी के उप स्वास्थ्य केंद्र में एक माह में 15 सुरक्षित प्रसव कराए जा चुके है। यहां अब गर्भवती महिलाओं को नौ प्रकार के जांच की सुविधा भी मिल रही है। अल्ट्रासाउंड की आवश्कता पड़ने पर तत्काल ममता वाहन से उन्हें सदर अस्पताल पहुंचाया जाता है।
इन सभी उप स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों को अब ओपीडी की सुविधा मिल रही है।ये सब चुरचू और डाडी के प्रभारी चिकित्सक डॉ. एपी चैतन्या व हजारीबाग के उपायुक्त रविशंकर शुक्ला के प्रयास से मुमकिन हो पाया है।
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नीति आयोग 13 उप स्वास्थ्य केंद्रों पर बना रही डॉक्यूमेंट्री
यहां के उपकेंद्रों में बदलाव की खबर दिल्ली में बैठे अधिकारियों तक पहुंची चुकी है। इसका परिणाम ये हुआ कि नीति आयोग की टीम ने यहां के उपकेंद्रों का कई बार दौरा किया। ये तय हुआ कि अब यहां के उपकेंद्रों को देश भर में मॉडल के रूप में प्रदर्शित किया जायेगा। इसके लिए अब नीति आयोग की टीम इस पर डॉक्यूमेंट्री बना रही है। दिसंबर में पहुंची टीम ने यहां के बदलाव को अपने कैमरे में कैद किया है।
ऐसे बदली उप स्वास्थ्य केन्द्रों की सूरत
यहां आपको बता दे कि उपायुक्त ने चुरचू के 13 उप स्वास्थ्य केन्द्रों के हालत में सुधार लाने के लिए डिस्टि्रक मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) से मिलने वाली धनराशि का उपयोग किया।
इस राशि का इस्तेमाल कर संविदा पर चिकित्सक व अन्य मेडिकल स्टाफ रखे गए। पहले इन 13 उप स्वास्थ्य केंद्रों में कर्मियों का अभाव था। अभी 60 से ज्यादा स्टाफ अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उपायुक्त ने दोनों प्रखंडों के केंद्रों की जिम्मेदारी डॉ.एपी चैतन्या को सौंपी। डॉ चैतन्या ने भी अपने दायित्वों का अच्छे से निर्वहन किया।
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