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B’DAY: जब राम नाईक को कैंसर होने की बात सुन अटल जी की आंखें हुईं थी नम

Admin
Published on: 16 April 2016 11:47 AM IST
B’DAY: जब राम नाईक को कैंसर होने की बात सुन अटल जी की आंखें हुईं थी नम
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लखनऊ: आज यूपी के गवर्नर राम नाईक का जन्मदिन है। उनके बतौर राज्यपाल बनने के बाद से यूपी का गवर्नर हाउस सक्रिय पॉलिटिकल एक्टिविटी का केंद्र बन चुका है। गवर्नर राम नाईक कभी ब्लड कैंसर के पेशेंट रह चुके हैं और केवल अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के चलते उन्होंने ब्लड कैंसर को मात दी और उसके बाद से स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। कैंसर की पुष्टि होने के बाद जब वे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिले तो उन्हें देखकर उनकी आंखें नम हो गईं थीं। शनिवार को राम नाईक ने अपने जीवन के 81 वर्ष पूरे किए हैं।

पीएम ने दी बधाई

पीएम नरेन्द्र मोदी ने भी ट्वीट कर गवर्नर राम नाईक को उनके जन्मदिन पर बधाई दी है। पीएम ने ट्वीट में कहा है, “यूपी के गवर्नर और जनसेवा में कई वर्ष बिताने वाले नेता राम नाईक को उनके जन्मदिन पर बधाई। वे दीर्घायु हों और स्वस्थ जीवन व्यतीत करें।”

1994 में डायग्नोस हुआ था ब्लड कैंसर

गवर्नर राम नाईक खुद भी कई बार कार्यक्रमों में बता चुके हैं कि साल 1994 में उनका ब्लड कैंसर डायग्नोस हुआ था। इसके बाद वह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिलने गए। उनके वहां पहुंचने से पहले ही अटलजी तक उन्हें कैंसर होने की खबर पहुंच चुकी थी। उन्हें देखते ही पूर्व प्रधानमंत्री ने उन्हें गला लगा लिया और उनकी आंखें नम हो गईं। उन्होंने कैंसर होने के खौफ और महंगे खर्चे के चलते इलाज न करा पाने की समस्या को भी उनके सामने रखा।

गवर्नर की बेटी भी उस समय फ्रांस में रहकर कैंसर पर रिसर्च कर रही थीं। राम नाईक मुंबई के टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के डॉक्टरों से मिले, जहां उनका लिम्फोमा (ब्लड कैंसर) का इलाज किया गया। लगभग आठ महीने के इलाज के बाद वह ठीक हो गए। राम नाईक कैंसर के इलाज का श्रेय अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और डॉक्टरों के एफर्ट को देते हैं। वे सभी डॉक्टरों से अपील करते हैं कि कभी भी पैसे के अभाव में कैंसर मरीजों का इलाज नहीं रुकना चाहिए। वह एनजीओ और बड़े बिज़नेस हाउस से भी कैंसर रोगियों के इलाज के लिए आर्थिक मदद की अपील करते हैं।

क्लर्क से मैनेजिंग कंसल्टेंट तक सफर किया पूरा

राम नाईक का जन्म 16 अप्रैल 1934 को महाराष्ट्र के सांगली में हुआ। उनकी प्राथमिक शिक्षा सांगली जिले के आटपाडी गांव में हुई। साल 1954 में उन्होंने पुणे में महाराष्ट्र वाणिज्य महाविद्यालय से बीकॉम और साल 1958 मुंबई में किशनचंद चेलाराम महाविद्यालय से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने ‘अकाउंटेंट जनरल के ऑफिस में बतौर सीनियर डिवीज़न क्लर्क की नौकरी की। साल 1969 में वे प्राइवेट कम्पनी में कंपनी सेक्रेटरी और मैनेजिंग कंसल्टेंट बने।

यह है उनका पॉलिटिकल करियर

-साल 1969 में नौकरी से इस्तीफा दे भारतीय जनसंघ के मुंबई क्षेत्र के संगठन मंत्री बने।

-लगातार आठ वर्षों तक संगठन का कार्य किया।

-वे मुंबई बीजेपी के तीन बार अध्यक्ष भी रहे।

-पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के विशेष आमंत्रित सदस्य बने

-बीजेपी के ‘सुशासन प्रकोष्ठ’ के राष्ट्रीय संयोजक भी थे

-संसद में वन्दे मातरम गान शुरू करवाने का श्रेय उन्हीं को जाता है

-बॉम्बे का नाम बदलकर मुंबई कराने का श्रेय भी राम नाईक को ही जाता है

-सांसद निधि भी इन्ही के प्रयासों का नतीजा है

-राम नाईक ने महाराष्ट्र के उत्तर मुंबई लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से लगातार पांच बार जीतने का रिकॉर्ड बनाया है

-इससे पहले इसके वह तीन बार महाराष्ट्र विधानसभा में बोरीवली से विधायक भी रहे हैं

-तेरहवीं लोकसभा चुनाव में उन्हें 5,17,941 वोट मिले, जो कि महाराष्ट्र के सभी जीतने वाले सांसदों में सबसे अधिक थे।

-मुंबई में लगातार आठ बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड बनाने वाले राम नाईक पहले जन प्रतिनिधि हैं।

-प्रेसिडेंट ऑफ़ इंडिया ने इन्हें जब यूपी का गवर्नर अप्वॉइंट किया तो उन्होंने 15 जुलाई 2014 को बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफा दे दिया।

-14 जुलाई 2014 को राम नाईक को यूपी का राज्यपाल मनोनीत किया गया। उन्होंने 22 जुलाई 2014 को लखनऊ में गवर्नर पद की शपथ ली।



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