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EARTH DAY: इन दो घटनाओं के बाद शुरू हुई धरती को बचाने की मुहिम
लखनऊ: हर साल पूरे विश्व में 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस के रूप में मनाया जाता है। पृथ्वी दिवस पर पर्यावरण के बारे में चर्चा होती है और इसके संरक्षण के लिए जागरूकता लाने का काम किया जाता है। दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जो न केवल पृथ्वी दिवस के महत्व को समझाते हैं जो एनवायरनमेंटल प्रोटेक्शन को लेकर आम जनता को जागरूक करते हैं। साल 2009 में यूनाइटेड नेशन ने सभी की सहमति से 22 अप्रैल को मना जाने वाले अर्थ डे का नाम बदलकर इंटरनेशनल मदर अर्थ डे कर दिया। पृथ्वी दिवस मनाए जाने के का कारण बनीं।
दो सबसे भयावह घटनाओं ने दिया जन्म
पृथ्वी दिवस की शुरुआत एक अमेरिकी सीनेटर गेलार्ड नेल्सन में की थी। 1970 के दशक में अमेरिका वियतनाम युद्ध लड़ रहा था और उसे लेकर अमेरिकी स्टूडेंट्स ने विरोध आन्दोलन शुरू कर दिया। वहीं दूसरी ओर अमेरिका का एक बड़ा तबका में पर्यावरण संरक्षण को लेकर बहस कर रहा था। इसी बीच कैलीफोर्निया स्टेट के सांता बारबरा में 29 जनवरी 1969 को एक तेल कुएं में जबरदस्त विस्फोट हुआ। इससे कुएं से निकल कर 21 हजार बैरल कच्चा तेल और नेचुरल गैस सतह पर आ गया। इस तेल और गैस रिसाव से वहां के पर्यावरण पर इतना बुरा असर पड़ा कि बहुत संख्या में जलीय जीव-जंतु मौत के शिकार हो गए। इस भयानक तेल रिसाव ने अमेरिकियों की आंखें खोल दी थी।
सीनेट में पास करवाया बिल
इस हादसे को देखकर नेल्सन के दिमाग में आया कि अगर वियतनाम वॉर का विरोध कर रहे स्टूडेंट्स की ताकत को पर्यावरण के प्रति जागरूकता से साथ जोड़ दिया जाए तो पर्यावरण का मुद्दा राष्ट्रीय एजेंडे में शामिल हो जाएगा। उन्होंने वॉशिंगटन वापस आकर 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाने के लिए राष्ट्रीय दिवस के रूप में एक बिल पारित किया। उस साल इस पृथ्वी दिवस मनाने के लिए 20 मिलियन से अधिक लोगों ने भाग लिया। अब 192 देशों में विश्व पृथ्वी दिवस मनाया जाता है।