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इस PLAYER के लिए दिव्यांगता नहीं बन पाई बाधा, ऐसे तय किया इंग्लिश चैनल का सफर

Aditya Mishra
Published on: 23 July 2018 3:47 PM IST
इस PLAYER के लिए दिव्यांगता नहीं बन पाई बाधा, ऐसे तय किया इंग्लिश चैनल का सफर
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कोलकाता: लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती। इस कहावत को आज एक बार फिर से 26 साल के रिमो साहा ने सच साबित कर दिखाया है। उन्होंने दिव्यांगता को मात देकर इंग्लिश चैनल पार किया है। वो भी सिर्फ हाथों के सहारे तैरकर, क्योंकि पानी में उनके पैर जरा भी हरकत नहीं करते। इस कीर्तिमान से पहले रिमो तैराकी में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परचम लहरा चुके हैं।

newstrack.com आज आपको रिमो साहा की अनटोल्ड स्टोरी के बारे में बता रहा है।

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तैराकी कर पाना नहीं था आसान

रिमो जब डेढ़ महीने के थे। उस समय उनके शरीर के पूरे दायें हिस्से को लकवा मार गया था। दायां पैर बायें पैर से ढाई इंच छोटा है, जिसके कारण उन्हें क्लीपर लगाकर चलना पड़ता था। चार-पांच साल की उम्र तक फिजियोथेरेपी चली। फिर चिकित्सकों ने तैराकी की सलाह दी।

छह साल की उम्र में तैराकी सीखनी शुरू की। पानी में उतरते ही उनका दायां पैर सुन्न हो जाता था। बायां पैर भी ज्यादा हरकत नहीं करता था लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और हाथों के सहारे तैरना शुरू किया।

ऐसे तय किया सफलता का सफर

2004 में रिमो ने कोलकाता में हुई राज्य चैंपियनशिप में भाग लिया। पहली ही बार में उन्होंने दो स्वर्ण पदक अपने नाम किए। उसी साल मुंबई में हुई राष्ट्रीय चैंपियनशिप के लिए उनका चयन हुआ। उसमें भी रिमो ने एक स्वर्ण और तीन रजत पदक जीते।

इसके बाद तो पदकों की झड़ी लग गई। बंगाल से लेकर महाराष्ट्र, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश समेत विभिन्न राज्यों में तैराकी प्रतियोगिताओं में उन्होंने सफलता के झंडे गाड़े। राष्ट्रीय स्तर पर परचम लहराने के बाद रिमो ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जलवा बिखेरा।

इसकी शुरुआत 2009 में बेंगलुरु में हुए इंटरनेशनल व्हील चेयर एम्प्यूटी स्पो‌र्ट्स गेम से हुई। इसमें रिमो ने 100 मीटर के बैकस्ट्रोक वर्ग में रजत पदक जीता।

उसके बाद दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में उसने 100 मीटर की फ्रीस्टाइल में सातवां स्थान हासिल किया। उसी साल चीन में पैरा एशियन गेम्स में रिमो का पांचवां स्थान रहा।

रिमो राष्ट्रीय स्तर पर अब तक 48 स्वर्ण, 36 रजत और एक कांस्य पदक जीत चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में दो रजत और एक कांस्य पदक उनके नाम हैं।

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इस वजह से छोडनी पड़ी थी तैराकी

रिमो को 11-12 साल की उम्र में अचानक नर्व की समस्या हो गई थी। वह अचानक से बेसुध हो जाते थे। ऐसे में तैरना उनके लिए जानलेवा था।

इस कारण उन्हें बीच में ही तैराकी छोड़नी पड़ गई थी, लेकिन रिमो ने हार नहीं मानी और दो-तीन साल में ही इस बीमारी को मात देकर शानदार वापसी की।

स्वीमिंग पूल से इंग्लिश चैनल तक का सफर

स्वीमिंग पूल से निकलकर इंग्लिश चैनल पार करने के लिए रिमो ने काफी तैयारी की। पहले नदियों में होने वाली तैराकी प्रतियोगिताओं में भाग लिया। फिर समुद्र की तरफ बढ़े।

2011 में मुंबई में हुई नेवी सी स्विमिंग में चौथा स्थान हासिल किया। 2016 में इसी प्रतियोगिता में उनका दूसरा स्थान रहा। इंग्लिश चैनल अभियान के लिए अपने तीन दिव्यांग तैराक साथियों के साथ पुणे में कड़ी ट्रेनिंग ली।

रिमो ने अपने साथियों के साथ इस साल 24 जून को ब्रिटिश समयानुसार सुबह 7.40 बजे 'डोवर सैमफायर होई' बीच से इंग्लिश चैनल अभियान शुरू किया। उसी रात 8.06 मिनट पर इस अभियान को सफलतापूर्वक पूरा किया।

यह एक रिले स्वीमिंग थी, जिसमें उसके तीन साथी भी शामिल थे। इंग्लैंड से फ्रांस तक 38 किलोमीटर के फासले में से 20 किलोमीटर रिमो ने पांच घंटे में सिर्फ हाथों के बल पर पर तय किया।



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Aditya Mishra

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