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इंडियन एयर फोर्स के ये 10 सबसे ताकतवर हथियार, जानें कैसे छुड़ाते हैं दुश्मन के छक्के
लखनऊः इंडियन एयरफोर्स की शुरूआत फ्रांस में हुई थी। जिसे महज पांच लोगों ने शुरू किया था। दुनिया की चौथी सबसे बड़ी भारतीय वायु सेना दुश्मन के छक्के छुड़ाने में सक्षम है। 1,905 एयरक्राफ्ट्स के साथ भारतीय वायुसेना ब्रिटिश और पाकिस्तान की एयरफोर्स के मुकाबले कहीं ज्यादा ताकतवर है। इस बार एयरफोर्स डे परेड में सबसे बड़ा आकर्षण हल्का लड़ाकू विमान तेजस होगा।
आगे की स्लाइड में पढ़ें वायुसेना के ताकतवार हथियारों के बारे में...
तेजस
-हाल ही में शामिल हुआ भारतीय वायु सेना में जो कि 50 हजार फीट तक की उड़ान भर सकता है।
-दुश्मन पर हमला करने के लिए इसमें हवा में मार करने वाली डर्बी मिसाइल लगी है ।
-यही नहीं जमीन पर निशाने लगाने के लिए आधुनिक लेजर गाइडेड बम भी लगे हुए हैं।
-यह पुराने मिग 21 से कहीं ज्यादा आगे है।
-यह चीन और पाकिस्तान के साक्षा उपक्रम से बने जेएफ-17 से कहीं ज्यादा बेहतर है।
-तेजस का फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम जबरदस्त है और कलाबाजी में इसका कोई सानी नहीं है।
सुखोई एसयू-30 एमकेआई
-यह एक ऐसा एयरक्राफ्ट है जो इंडियन एयरफोर्स को 21वीं सदी के हिसाब सबसो जादा ताकतवर है। जिसे रूस मे बनाया गया था।
-जो कि आज दुनिया के बेहतरीन एयरक्राफ्ट्स में गिना जाता है।
-इस विमान की लम्बाई 21.93 मीटर है, वहीं चौड़ाई (विंग स्पान) 14.7 मीटर है।
-इसका वजन 18 हजार 400 KG है। हथियार के साथ इसका वजन 26 हजार KG से अधिक हो जाता है।
-इसकी रफ्तार अधिकतम 2100 किलोमीटर प्रति घंटा है। यह 3 हजार किलोमीटर तक की गहराई में जाकर हमला कर सकता है।
-दो शक्तिशाली इंजन वाला यह विमान किसी भी तरह के प्रतिकूल मौसम में उड़ान भरकर जमीन पर हमला करता है जो कि अपनी कुशलता को प्रमाणित भी कर चुका है।
आईएएनएस चक्र-2
-परमाणु क्षमता युक्त रूस निर्मित पनडुब्बी आईएएनएस चक्र-2 नौसेना का एक बड़ा हथियार है।
-इसे मूल रूप से ‘के-152 नेरपा’ नाम से निर्मित अकुला-2 श्रेणी की इस पनडुब्बी को रूस से एक अरब डॉलर के सौदे पर 10 साल के लिए लिया गया है।
-नौसेना में शामिल करने से पहले इसका नाम बदलकर आईएनएस चक्र-2 कर दिया गया।
-यह पनडुब्बी 600 मीटर तक पानी के अंदर रह सकती है।
-यहीं नही यह तीन महीने लगातार समुद्र के भीतर रह सकती है।
-नेरपा पनडुब्बी की अधिकतम गति 30 समुद्री मील है और ये 8 टॉरपीडो से लैस है।
-यूनाइटेड शिपबिल्डिंग कॉर्पोरेशन के मुताबिक यह अनुबंध 90 करोड़ डॉलर से ज्यादा का है।
अवॉक्स
- एयरबोर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (अवॉक्स) किसी भी मौसम में खतरे के रूप में आने वाली क्रूज मिसाइलों और विमानों का आसमान में तकरीबन 400 किलोमीटर ऊपर ही पता लगाने में सक्षम है।
-आज अवॉक्स को पूरी सलाम करती है।
-अवॉक्स के जरिए हमारी सेना 10 गुनी तेजी के साथ अपने टारगेट का पता लगा सकती है।
- इस्राइली तकनीक से लैस अवॉक्स को विमान आईएल-76 पर लगाया गया है।
-इस प्रणाली के तहत कम ऊंचाई पर उड़ने वाली ऐसी चीजों का भी पता लगाया जा सकता है, जो सामान्य राडारों की पकड़ में नहीं आ पातीं।
विक्रमादित्य
- आईएनएस विक्रमादित्य भारतीय वायु सेना का सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट कैरियर है जिसे रूस से खरीदा गया है।
- 44,500 टन वजनी इस विमान वाहक पोत को 2013 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।
- 44,500 टन क्षमता वाले इस युद्धपोत की लंबाई 283.1 मीटर और ऊंचाई 60.0 मीटर है।
टी-90 भीष्य टैंक
-टैंक भारत के ब्रह्मास्त्र की तरह हैं जो कि बढी ही तेजी से दशमनों पर हमला करती है।
-इससे पांच किलोमीटर के दायरे तक प्रहार किया जा सकता है।
-इस टैंक पर किसी भी तरह के कैमिकल या बायोलॉजिकल हमले और रेडियोएक्टिव हमले का असर नहीं होता।
-भीष्म को इस तरीके से डिजाइन किया गया है कि हमला होने पर बम इस टैंक से टकराकर कमजोर पड़ जाए>
-उससे निकलने वाली विकिरणें टैंक के अंदर बैठे सिपाहियों को हानि न पहुंचा सकें।
-48 टन वजनी इस टैंक में 125 एमएम की स्मूथबोर गन है।
-साथ ही इसमें 12.7 एमएम की मशीनगन भी है, जिसे मैनुअली ऑपरेट किया जा सकता है।
-कमांडर इसे अंदर बैठकर रिमोट से भी कंट्रोल कर सकता है।
-भारत ने इसे इजरायली, फ्रांसीसी और स्वीडिश सब सिस्टम्स से लैस कर रूसी वैरियंट से भी बेहतर कर दिया है।
पी 81
-भारत की 7500 किमी लंबी तटरेखा है, जिसमें सैंकड़ों आइलैंड हैं, जिनकी पूरा करने के लिए ही पी 81 को रखा गया है।
-यह अपनी शानदार मजबूती और सेंसर सूट के लिए अपनी बराबरी के किसी भी एयरक्राफ्ट से आगे है।
-बेस से 2 हजार किलोमीटर तक के मिशन पर यह 4 घंटे तक उड़ान भर सकता है।
-फैक्ट ये भी है कि ये एक कमर्शल एयरलाइनर के तौर पर है, जिसका रखरखाव बेहद आसान है।
-पी-81 पर लंबी दूरी का रडार भी है और इसपर पनडुब्बियों को खोज निकालने के लिए एक खास तरह का सेंसर लगा है।
इंडियन एयर फोर्स का ब्रह्मोस मिसाइल
-ब्रह्मोस मल्टी मिशन मिसाइल की क्षमता 290 किलोमीटर की है।
-इसकी गति 208 मैक यानी ध्वनि की क्षमता से तीन गुना तेज है।
- नेवी ने अपनी कई वॉरशिप पर इस मिसाइल को तैनात किया है।
-इसमें रडार की पकड़ में न आने वाले पोत भी शामिल हैं।
-यह जमीन, समुद्र, उप समुद्र और आकाश से समुद्र और जमीन पर स्थित टारगेट पर मार कर सकती है।
- यह मिसाइल ‘स्टीप डाइव कैपेबिलीटीज’ से बनी हुई है।
-इससे यह पहाड़ी क्षेत्रों के पीछे छिपे टारगेट पर भी निशाना साध सकती है।
हेलिना ‘नाग’
-हेलिना ‘नाग’ का हेलीकॉप्टर से दागा जा सकने वाला संस्करण है ।
-इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईजीएमडीपी) के तहत विकसित किया है।
-नाग, मिसाइल की विशेषता यह है कि यह टॉपअटैक- फायर एंड फोरगेट और सभी मौसम में फायर करने की क्षमता से लैस है।
-हमला करने के लिए 42 किग्रा वजन की इस मिसाइल को हवा से जमीन पर मार करने के लिए हल्के वजन के हेलीकॉप्टर में भी लगाया जा सकता है।
बीएमडी प्रोग्राम
- भारतीय वायु सेना मे बीएमडी प्रोग्राम उस वक्त चर्चा में आया, जब पहली बार इसे लेकर घोषणा की गई।
-जिसका एक शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल पर इसका परीक्षण किया गया है।
-रिपोर्ट्स के मुताबिक शॉर्ट नोटिस पर इसे देश के प्रमुख शहरों की सुरक्षा में तैनात किया जा सकता है।
-इस सिस्टम में ग्रीन पीन रडार के फॉर्म के साथ दो इंटरसेप्टर मिसाइल, PAD (पृथ्वी एयर डिफेंस) और AAD (एडवांस एयर डिफेंस) शामिल हैं।
-PAD 2 हजार किमी तक मार कर सकती है।
-जबकि AAD 250+ किमी की रेंज तक इस्तेमाल की जा सकती है।
-दोनों ही मिसाइलों को इनरशियल नेविगेशन सिस्टम (INS) के जरिए गाइड किया गया।