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यहां नहीं होता कोई बूढ़ा, परंपरा के नाम पर बुजुर्गों की चढ़ा देते हैं बलि

Newstrack
Published on: 1 July 2016 9:08 AM GMT
यहां नहीं होता कोई बूढ़ा, परंपरा के नाम पर बुजुर्गों की चढ़ा देते हैं बलि
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तमिलनाडू: देश में कल्चर और परंपराओं की कमी नहीं है। इसके नाम पर लोग कुछ करने को तैयार रहते है, लेकिन यहां कुछ परंपराएं ऐसी भी है जो आपको हैरान कर देगी। ऐसा नहीं है कि सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी आश्चर्य जनक परंपराएं देखने को मिल जाती है।

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आज हम एक ऐसी ही दिल दहलादेने वाली परंपरा के बारे में बात करेंगे जिसे पढकर आप सोने पर मजबूर हो जाएंगे की ऐसा भी हो सकता है। तमिलनाडु की परंपरा ठलाईकूठल है, इस परंपरा के तहत घर के ही लोग बुज़ुर्गों को मार डालते हैं और तो और इस दौरान गांव के अन्य लोग भी मौजूद रहते हैं, इसे वो लोग उत्सव की तरह मनाते हैं। हैरानी की बात ये है कि पांबदी के बावजूद तमिलनाडु में ये परंपरा निभाई जाती है।

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इतना ही नहीं बुज़ुर्गों की हत्या कर देने वाली इस परंपरा को समाज की नजर में विदाई देने का एक सम्मानजनक तरीका माना जाता है। इसके तहत जो परिवार बुज़ुर्गों की सेवा नहीं कर पाता वो इस परंपरा के नाम पर उनकी हत्या कर देता है।

अब इसे परंपरा कहेंगे या कुछ और? कभी-कभी तो बुज़ुर्ग खुद ऐसा करने को कहते हैं। हालांकि ये परंपरा ये कानूनन अपराध है।

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कब निभाई जाती है ये परंपरा

जब बुज़ुर्ग किसी काम के नहीं रहते, घर वालों को लगे कि अब ये सिर्फ़ हम पर बोझ बनकर रह गए हैं। या फिर जब किसी बुज़ुर्ग को कोई लाइलाज बीमारी हो जाए तो परंपरा के नाम पर इनकी हत्या कर दी जाती है।

इन बुजुर्गों को मारने के तरीके भी बहुत खतरनाक हैं।

*बुज़ुर्ग को मिट्टी मिला पानी पिलाया जाता है, जिससे पेट खराब हो जाता है और उसकी मौत हो जाती है। इसे सबसे दर्दनाक तरीका माना गया है।

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*सुबह-सुबह इनको तेल से नहलाने के बाद पूरे दिन कई ग्लास नारियल पानी पिलाया जाता है, जिससे गुर्दे ख़राब हो जाते हैं। ऐसे में बुज़ुर्ग की दो दिन के अंदर ही मौत हो जाती है।

*दूसरे तरीके में बुज़ुर्ग को ठंडे पानी से नहलाया जाता है ताकि उन्हें हार्ट अटैक आ जाए।

* कभी-कभी तो नाक बंद करके दूध पिलाया जाता है, जिससे तुरंत सांस रुक जाती है।

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