TRENDING TAGS :
VIDEO: हाथ से नहीं पैर से करती है पढ़ाई-सिलाई, जज बनने की है तैयारी
मुजफ्फरनगरः कौन कहता है आसमां में सुराख हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों...इसी को हकीकत में बदला है शाहपुर के कसेरवा गांव की हलीमा ने। बिना हाथों के पैदा हुई हलीमा ने मुश्किलों को अपने जज्बे से आसान बना लिया। बीए पास हलीमा ने दिखा दिया कि चाह हो तो राह मिलनी मुश्किल नहीं है।
घरवाले थे निराश, युवती ने दिखाया हौसला
हलीमा जब पैदा हुई, तो उसके हाथ नहीं थे। ये देखकर घरवाले निराश थे। बच्ची की जिंदगी किस तरह कटेगी, ये उन्हें समझ नहीं आ रहा था। हलीमा जब बड़ी हुई तो अपनी इस शारीरिक कमी की वजह से घरवालों को निराश पाया। तभी उसने तय किया कि हर हाल में इस कमी पर जीत हासिल करनी है और इसके साथ ही उसने अपनी राह खुद बनानी शुरू कर दी।
पैरों से करना शुरू किया काम
हलीमा ने हाथों की कमी को पैरों से दूर करना शुरू किया। पहले उसे दिक्कतें होती थीं, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। हिम्मत होने पर मर्दों ही नहीं, औरतों की मदद भी खुदा करता है, ये दिखाने की उसने ठान ली। पैरों से पेंसिल पकड़ी। फिर हैंडपंप से पानी भरने लगी। लोगों ने प्रोत्साहित किया तो पैरों से कपड़ों पर प्रेस करना शुरू किया। फिर मोबाइल भी चलाने लगी।
सिलाई मशीन पर भी आजमाया हुनर
कई काम हलीमा जब अपने पैरों से करने लगी, तो उसने सबसे कठिन काम को अपने पैरों से आजमाने की सोची। उसने सिलाई मशीन की सुई में पैरों से ही धागा पिरोने की प्रैक्टिस शुरू कर दी। शुरू में दिक्कत आई, लेकिन हलीमा ने कोशिश जारी रखी और एक दिन आया, जब ऐसा करने में भी उसे महारत हासिल हो गई।
पैर से सिलाई मशीन की सुई में धागा पिरोती हलीमा
बनना चाहती है जज
हलीमा ने बीए का इम्तिहान पास किया है। वह श्रीराम कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई कर रही है। इसमें भी उसे दिक्कतों से दो-चार होना पड़ा। फीस जमा न करने की वजह से उसका फॉर्म जमा करने से कॉलेज ने मना कर दिया, लेकिन हलीमा का हौसला देखकर आखिर में फीस माफ कर दी। हलीमा अब जज बनकर पीड़ितों को न्याय देना चाहती है। वह कहती है कि सीएम अखिलेश यादव से कुछ मदद मिले, तो अपना सपना साकार करने में उसे आसानी होगी।
कई लड़कियों को दे रही है शिक्षा
हलीमा का हौसला देखकर गांव के लोग तो उसकी तारीफ के पुल बांधते ही हैं, गांव की अन्य लड़कियों को भी उसने प्रेरणा दी है। लड़कियां उसके पास आती हैं और पढ़ाई करती हैं। हलीमा भी अपने पास मौजूद ज्ञान बांटने में कोई कसर नहीं रखतीं। विद्या ददाति विनयम्...यानी विद्या से व्यक्ति विनयी होता है, इसे उसने अपना आदर्श बना लिया है।