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इस मंदिर में मुस्लिम भी झुकाते हैं सिर, फ्री में मिलता है सभी को इलाज

Admin
Published on: 26 March 2016 8:44 AM GMT
इस मंदिर में मुस्लिम भी झुकाते हैं सिर, फ्री में मिलता है सभी को इलाज
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गाजियाबाद: हाई टेक्नोलॉजी के इस युग में चेचक जैसी बीमारी के इलाज के लिए डॉक्टर भी हाथ खड़े कर देते हैं। वहीं, केसरी माता मंदिर में हिंदू-मुस्लिम और दूसरे समुदायों के लोग भी इलाज के लिए आते हैं। इस मंदिर में गंगा जमुनी तहजीब आज भी देखने को मिलती है। यहां हिंदुओं के साथ मुस्लिम भी दवाई लेने से पहले माता शीतला के सामने शीश झुकाते हैं।

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निशुल्क किया जाता है इलाज

-मेरठ रोड के लोहिया नगर कॉलोनी के पास माता शीलता का करीब 65 साल पुराना मंदिर है।

-क्षेत्रीय लोग इस मंदिर को केसरी माता के नाम से जानते हैं।

-पुराने समय से ही यहां पर चेचक के रोगियों का नि:शुल्क इलाज किया जाता है।

-पांच से सात दिन होम्योपैथिक दवाई खाने के बाद चेचक का रोग स्वयं ही ठीक हो जाता है।

-रोगियों को सुबह सात से दोपहर 12 बजे और शाम को चार बजे से रात्रि आठ बजे तक देखा जाता है।

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हिंदुओं के साथ आते हैं मुस्लिम

-यहां पर हिंदू , मुस्लिम, सिख, इसाई आदि समुदायों के लोग उपचार कराने के लिए आते हैं।

-मंदिर में उपचार कराने के लिए रोजाना 250 से 300 मरीजों की भीड़ उमड़ती है।

-सुबह से ही दवाई लेने के लिए मरीजों की लंबी कतार लग जाती है।

-मंदिर में चेचक के अलावा पेट रोग, माप, बुखार आदि तमाम बीमारियों का इलाज भी किया जाता है।

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बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक कराते हैं इलाज

केसरी माता मंदिर की खासियत है कि यहां पर बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक इलाज कराने पहुंचते हैं। सबसे पहले मरीज को माता शीतला के सामने मोर के पंखों से झाड़ा जाता है। इसके बाद चेचक और पेट के रोगियों को दवाई दी जाती है। अगर मरीज की माप हट गई है तो उसे भी चंद मिनट में ठीक कर दिया जाता है।

तीन माह रहती है सबसे ज्यादा भीड़

मंदिर के महंत भारत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि मार्च, अप्रैल और मई में सबसे ज्यादा भीड़ रहती है। इन महीनों में बच्चे सबसे ज्यादा बीमार होते हैं और उन पर चेचक का प्रकोप हेाता है, इसलिए सुबह से ही लोगों की लंबी कतारे लग जाती है। ज्यादातर कामकाजी लोग दिन निकलने से पहले ही मंदिर में पहुंच जाते हैं।

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होली पर सात दिन बाद लगता है मेला

पिछले काफी अर्से से होलिका दहन के सातवें दिन माता शीतला का मेला लगता है। इसके बाद माता का भंडारा भी कराया जाता है। यहां पर दूर दराज से लोग पूजा अर्चना करने आते हैं। लोग इस पूजा को बसौडा के नाम से जानते हैं। महंत ने कहा कि यहां पर साल भर में एक दिवसीय मेला व भंडारा होता है।

मंदिर में स्थापित हैं दर्जनों देवी-देवताओं की प्रतिमा

मंदिर प्रांगण में शीतला माता के अलावा मां काली,हनुमान, भगवान शंकर आदि की मूर्तियां बनी हुई हैं। इसके अलावा महंत की समाधि भी बनी हुई है। श्रद्धालु रोजाना पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं। इसके अलावा ऐसे रोगी भी मंदिर में सिर झुकाने आते हैं,जिन्हें किसी डॉक्टर की दवाई से फायदा नहीं होता है।

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महानिर्वाणी अखाड़े से ताल्लुक रखते हैं महंत

महंत भरत नारायण गिरि ने कहा कि एक बार बचपन में वे मंदिर में आए थे, जहां पर वर्ष 1962 में उनका संपर्क मंदिर के महानिर्वाणी अखाड़े के महंत स्वामी गिरीश गिरि से हुआ। इसके बाद वे यहीं रहने लगे और पूजा अर्चना की सारी विधियां सीख ली। वर्ष 2010 में उनका निधन हो गया। इसके बाद 17 दिसम्बर 2010 से वह इस गद्दी पर बैठे हैं। उनके परिवार के लोग भी लोगों की सेवा में लगे हुए हैं।

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