TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

फील्ड ही नहीं ऑफिस में काम करने वालों को भी रहता है 'हीट स्ट्रोक' का खरा, ऐसे करें बचाव

By
Published on: 16 May 2017 1:34 PM IST
फील्ड ही नहीं ऑफिस में काम करने वालों को भी रहता है हीट स्ट्रोक का खरा, ऐसे करें बचाव
X

heat stroke symptoms doctor advice

सहारनपुर: गर्मी के तेवर लगातार बढ़ते जा रहे हैं। तापमान बढ़ने के साथ ‘हीट स्ट्रोक’ का खतरा बना है। हीट स्ट्रोक से बचने के लिए लोगों को खुद ही उपाय करने होंगे। वरिष्ठ फिजीशियन डा. संजीव मिगलानी ने बताया कि यूरोपियन व अमेरिकन क्रिटिकल एसोसिएशन ने हीट स्ट्रोक के दो मानक रखे हैं।

हीट स्ट्रोक ऑफिस में काम करने वाले, मजूदरी करने वाले और आधा टाइम फील्ड और आधा समय ऑफिस में बिताने वाले लोगों को हो सकता है। हीट स्ट्रोक के मानक पीएस-4 के मुताबिक ऑफिस में काम करने वाले लोगों को अगर चार घंटे में आधा लीटर पसीना आता है, तो उनमें हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

आधा टाइम फील्ड और आधा समय ऑफिस में बिताने वाले लोगों को एक लीटर पसीना आ रहा है, तो वह भी 'हीट स्ट्रोक' की चपेट में आ सकते हैं। इसी के अलावा मजूदरी करने वाले लोगों को चार लीटर पसीना आ रहा है, तो वह गर्मी में किसी भी समय 'हीट स्ट्रोक' के शिकार बन सकते हैं।

आगे की स्लाइड में जानिए क्या है हीट स्ट्रोक के लक्षण

इन लोगों को ज्यादा खतरा

बढ़ते तापमान के कारण हीट स्ट्रोक का खतरा बना हुआ है। डा. संजीव मिगलानी का कहना है कि हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोगियों, डायबिटीज, किडनी, सांस के मरीजों में हीट स्ट्रोक का खतरा ज्यादा बना रहता है। इसके अलावा मजदूर, खेतों, भट्टों, ड्राइवर और ज्यादा समय फील्ड रहने वाले लोगों को भी हीट स्ट्रोक पड़ने की ज्यादा संभावनाएं बनी है।

हीट स्ट्रोक के लक्षण

-शरीर का तापमान तेजी से बढ़ना।

-दौरा पड़ना, शरीर लगातार तपना।

-गफलत में मरीज का उल्टा-सीधा बोलना।

-ब्लड प्रेशर का कम होना।

-चौथी और पांचवी स्टेज में कोमा में चले जाना।

-सांस लेने में दिक्कत आना।

आगे की स्लाइड में जानिए क्या है इस रोग के इलाज के उपाय

रोकथाम और उपचार

-लगातार फील्ड में काम करने वाले लोगों को हर घंटे में एक लीटर नींबू, पानी, शिकंजी या ओआरएस का घोल लेना चाहिए।

-ऑफिस और फील्ड में समान अनुपात में काम वाले लोगों को हर एक घंटे में आधार तरल पदार्थ लेना चाहिए।

-देहात क्षेत्र में 'हीट स्ट्रोक' आने पर मरीज के शरीर पर तब ठंडी पट्टी बांधनी चाहिए, जब तापमान 101 से नीचे आ जाए।

-ऐसे रोगियों को हर आधे घंटे में एक लीटर तरल पदार्थ पिलाना चाहिए।

-यदि किसी मरीज को मुंह से तरल पदार्थ पिलाना संभव ना हो, तो नॉर्मल ग्लूकोज चढ़ाया जाए।

-गर्मियों में सफर के दौरान चश्में, हेलमेट और सिर पर कपड़े का प्रयोग बचाव में कारगर है।

-इस मौसम में ढीले और हीट से बचाने वाले हल्के रंगे सूती कपड़ों का प्रयोग करना चाहिए।

-फील्ड में चक्कर आने पर रोगी गिर जाए तो उसके पैरों की दिशा ऊपर की ओर दें। ताकि गर्मी दिमाग में न चढ़ पाए।

-तरल पदार्थ उपलब्ध न होने पर चुटकी भर नमक और दो चम्मच चीनी का घोल पिलाना चाहिए।

-शुरूआती उपचार के बावजूद स्थिति में सुधार न होने पर चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।



\

Next Story