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ये हैं दीदी से जुड़े वो 12 राज, जिन्होंने फिर दिलाया सीएम का ताज
लखनऊ: कहते हैं कि राजनीति में जो भी आता है, वह भ्रष्टाचार से दूर नहीं रह पाता है। पर कया आप जानते हैं कि भारतीय राजनीति में अपना खास मुकाम बनाने वाली ममता बनर्जी को एक स्ट्रीट फाइटर के नाम से भी जाना जाता है। बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि ममता बनर्जी लाल बत्ती लगी बुलेट प्रूफ कार से नहीं चलती हैं। इतना ही नहीं, ममता बनर्जी जब घर से बाहर जाती हैं, तो उनके साथ गाड़ियों का लंबा-चौड़े काफिला नहीं दिखाई देता है। ममता बनर्जी एक ऐसी महिला है, जिन्होंने बंगाल से 34 साल के मजबूत साम्यवादी सरकार को उखाड़ फेंका है। उनके द्वारा बोले गए शब्द काफी उत्साहपूर्ण होते हैं। अपने भाषणों से वे लोगों को हमेशा प्रोत्साहित करती हैं। जिसके वजह से पश्चिम बंगाल की जनता उन्हें काफी पसंद करती है। ताजा रुझानों के अनुसार ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में फिर मोर्चा अपने नाम कर लिया है।
पश्चिम बंगाल में उनकी शानदार जीत पर हम आपको बताते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें
*ममता बेहद गुस्सेवाली हैं। कहा जाता है कि गुस्सा उनकी नाक पर रहता है।
*बहुत ही सीधा सादा जीवन जीने वाली ममता को लोग प्यार से दीदी कहकर बुलाते हैं। 1974 में उन्होंने पहली बार राजनीति में कदम रखा था।
*समाजसेवा के लिए ममता ने अपनी सारी जिंदगी कुर्बान कर दी और शादी नहीं की।
*ममता अक्सर नीली किनारी वाली सफेद साड़ी और हवाई चप्पल में ही दिखाई देती हैं। खबरों के मुताबिक ममता बनर्जी के पास जरूरत के हिसाब से ही कपड़े हैं। वो ज्यादा कपड़े इक्ट्ठा करने में भी यकीन नहीं करतीं।
*ममता बनर्जी का जन्म 5 जनवरी 1955 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल, में गायत्री और प्रोमिलेश्वर बनर्जी के घर हुआ था।
*वे निचले मध्यम वर्गीय परिवार से थीं और उन्होंने अपने राजनैतिक सफ़र की शुरुआत कोंग्रेस पार्टी के साथ की। ममता बनर्जी ने जोगमया देवी कॉलेज, दक्षिण कोलकाता, से इतिहास विषय में ग्रेजुएशन किया और कोलकाता विश्वविद्यालय से इस्लामिक इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएट की उपाधि प्राप्त की।
*ममता बनर्जी ने अपना शिक्षण जारी रखते हुए श्री शिक्षायातन कॉलेज से एक और डिग्री प्राप्त की.।
*इसके बाद जोगेश चन्द्र चौधरी लॉ कॉलेज, कोलकाता से उन्होंने कानून की डिग्री भी प्राप्त की।
*ममता बनर्जी के घर पर मेहमानों के लिए भारी-भरकम नाश्ते-पानी का भी प्रबंध नहीं होता है। अक्सर उनके घर आने वालों के सामने चाय और मुरमरे का नाश्ता पेश किया जाता है।
*ममता बनर्जी की नौ साल की उम्र में ही उनके पिता का निधन हो गया था। उन्होंने जिंदगी को बहुत मुश्किलों और गरीबी में काटा है, शायद यही वजह है कि गरीबों के दर्द को उन्होंने हमेशा अपनी सियासत में जगह दी और अपने जिंदगी में सादे जीवन के सियासी विचार को।
*कांग्रेस से नाता तोड़ने के बाद ममता बनर्जी ने अपनी राजनैतिक पार्टी आल इंडिया तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की। उन्होंने टाटा मोटर्स के द्वारा कारखाने लगाये जाने का विरोध किया।
*सन 1984 में कोलकाता के जादवपुर लोक सभा क्षेत्र से उन्होंने अनुभवी साम्यवादी नेता सोमनाथ चटर्जी के खिलाफ चुनाव लड़ा और ये चुनाव जीत कर वे सबसे युवा भारतीय सांसद बन गई।