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नहीं ले जा सकते हैं यहां के बांस, नहीं हो जाते हैं अनहोनी के शिकार, जानिए इसके राज
जयपुर: कई तरह के पेड़ जिनकी लकड़ी कई तरह से काम में ली जाती हैं। लेकिन कभी ऐसे पेड़ देखे हैं जो सिर्फ पूजा के काम आते हैं अन्य नहीं। अबूझमाड़ के ताड़ोनार पंचायत के गांव करेड़कानार में बांस के वन हैं जिनको बहुत पवित्र माना जाता है और यहां के बांसों का प्रयोग सिर्फ पूजा के लिए किया जाता हैं। ऐसा क्यों जानते हैं
इस वन के बांस केवल देवों की पूजा में इस्तेमाल के लिए होते है। यहां के लोग बताते है कि उनके पैदा होने के पहले से इस वन के बांस का इस्तेमाल करने की वर्जना है। उनका मानना है कि जो यहां से बांस ले जाता है उसके साथ अनहोनी होती है। यही वजह है कि यहां से न तो बास्ता निकाला जाता है और न ही मशरुम तोड़ा जाता है।लोगों का कहना है कि अब तक इस स्थान से किसी ने बांस की चोरी नहीं की है और न ही किसी ने घरेलू इस्तेमाल के लिए बांस लिया है।
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ग्रामीण बताते है कि नेडऩार में पाण्डलिया देव, ताड़ोनार में उदूमकवार व कोड़कानार में कण्डामुदिया देव के मंदिर है। इन देवों के लाट के लए यहां से बांस ले जाया जाता है। यहां सिर्फ गायता यानी पुजारी को ही बांस काटने का हक है और वह भी देव लाट के लिए। गांव के लोग बताते है कि इसके लिए एक बण्डा होता है। बांस काटने के बाद उसे एक कपड़े से लपेट दिया जाता है। इस बण्डे का उपयोग सिर्फ इस ‘पवित्र’ वन से बांस काटने के लिए होता है।