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साम्प्रदायिक एकता की मिसाल है काशी का ये अनाज बैंक
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वाराणसी. पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक अनोखी पहल देखने को मिली है। एक एनजीओ ने गरीबों का पेट भरने के लिए अनाज बैंक की शुरुआत की है। इस अनाज बैंक से बेसहारा, विधवाओं, बुजुर्गों और मां-बाप से बिछड़ गए बच्चों को दो वक्त की रोटी नसीब हो रही है। इस अनोखी पहल के जरिए समाज में साम्प्रदायिक सौहार्द का माहौल बढ़ाने की पहल हुई है। ये पहल ऐसे समय में की गई है जब यूनाइटेड नेशंस के एग्रीकल्चर एंड फूड ऑर्गेनाइजेशन ने भूख संबंधी अपनी सालाना रिपोर्ट ‘द स्टेट ऑफ फूड इनसिक्युरिटी इन द वर्ल्ड 2015’ में कहा है कि दुनिया में सबसे ज्यादा भुखमरी के शिकार भारतीय हैं।
मुस्लिम परिवारों के भी जले चूल्हे
ये अनाज बैंक बनारस के हुकुलगंज मोहल्ले के वरूणानगरम कॉलोनी में बना हुआ है। इस पर गंगा-जमुनी तहजीब की छाप भी दिखाई दे रही है। इस अनाज बैंक की वजह से कई मुस्लिम परिवारों के चूल्हे जल रहे हैं, क्योंकि हिंदू उनके लिए खाना जुटा रहे हैं। इसके संस्थापक डॉ राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि मुस्लिमों के पैगम्बर मोहम्मद साहब के जन्मदिन के अवसर पर लगभग 70 हिंदू परिवारों ने संकल्प लिया था कि वो 200 गरीब मुस्लिम परिवारों के लिए अनाज इस बैंक में जमा करेंगे।
मिलेगा यहाँ अनूठा ब्याज
डॉ राजीव बताते हैं कि इस अनाज बैंक में अन्न जमा करने वालों को अनोखा ब्याज तुरंत मिलता है। उन्होंने बताया कि इस बैंक के खाताधारक को एक से 10 किलो अनाज जमा करने पर आत्मसंतुष्टि मिलती है कि उसने किसी गरीब का पेट भरा। वहीं, 11 से 20 किलो अनाज जमा करने वालों को उन लोगों की दुआ मिलती है जो इस अन्न का इस्तेमाल करते हैं। 21 किलो से ज्यादा अनाज देने पर त्याग का पुण्य मिलता है। इतना ही नहीं, संस्था खाताधारकों को समय-समय पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में सम्मानित भी करती है।
जल्द खुलेंगी इस बैंक की नई ब्रांचेज
इस बैंक की नींव रखने वाली विशाल भारत संस्था ने ये फैसला किया है कि अब इस बैंक की शाखाएं अन्य शहरों में भी खोली जाएंगी। डॉ. राजीव श्रीवास्तव के अनुसार, इस साल जनवरी में ही बुंदेलखंड में बैंक की नई शाखा खोलने की तैयारी है। इसके बाद संस्था अयोध्या में भी अनाज बैंक की शाखा खोलेगी।
भारत से जुड़े भुखमरी के आंकड़ें
देश में ऐसे अनाज बैंकों की जरुरत बताने के लिए ये आंकड़ें बहुत हैं:
दुनियाभर में भुखमरी का शिकार होने वाली कुल जनसंख्या की एक चौथाई हिस्सा आबादी भारत में रहती है।
अकेले भारत में रोजाना 19 करोड़ लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हैं।
Helpage India के मुताबिक, 2014 तक देश की आबादी में बुजुर्गों की संख्या 10 करोड़ पहुंच चुकी थी और इनमें से आधे से ज्यादा बुजुर्गों को भूखे पेट सोना पड़ता है।
Global Hunger Index 2014 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 19 करोड़ 7 लाख लोग कुपोषित हैं।