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डोनाल्ड ट्रंप बने दुनिया के सबसे ताकतवार देश के प्रेसिडेंट, जानें उनसे जुड़े अनसुने फैक्ट्स?

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Published on: 9 Nov 2016 2:00 PM IST
डोनाल्ड ट्रंप बने दुनिया के सबसे ताकतवार देश के प्रेसिडेंट, जानें उनसे जुड़े अनसुने फैक्ट्स?
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वाशिंगटन: आखिर वह समय आ ही गया। जब दुनिया के सबसे ताकतवर देश को उसके प्रेसिडेंट मिल गए। जी हां, अमेरिका में विरोधी हिलेरी क्लिंटन को जबदस्त टक्कर देते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने जबरदस्त जीत हासिल की। यह एक ऐतिहासिक जीत है। कहा जा रहा है कि अमेरिका में प्रेसिडेंट बनने की लिस्ट में शुमार होने वाले ट्रंप सबसे उम्रदराज प्रेसिडेंट हैं। अमेरिका में आज से ट्रंप सत्ता संभालेंगे। बता दें कि हाल ही में एक एस्ट्रो फिश ने भी डोनाल्ड ट्रंप की जीत सुनिश्चित की थी। अमेरिका में हिलेरी को कड़ी टक्कर जीतने वाले डोनाल्ड ट्रंप कौन हैं, उनकी लाइफ कैसी है और तमाम तरह के उनकी लाइफ से जुड़े फैक्ट्स लोगों को पता नहीं है। तो आइए जानते हैं अमेरिका के नए प्रेसिडेंट से जुड़ी अनसुनी व अनकही बातें-

आइए एक नजर डालते हैं डोनाल्ड ट्रंप के बारे में-

परिचयः डोनाल्ड ट्रंप

जन्मः 14 जूनए 1946 (क्वींस, न्यूयार्क सिटी)

माता-पिताः मरियम ऐनी और फ़्रेड ट्रंप

पूरा नामः डोनाल्ड जॉन ट्रंप

धर्मः प्रेस्बिटेरियन ईसाई

निवासः ट्रम्प टॉवर, मैनहट्टन, अमेरिका

विवाहः ट्रंप ने तीन विवाह किए हैं। 1977 में पहला विवाह इवाना ज़ेल्निकोवा के साथ, दूसरा 1993 में मार्ला मैपल्स के साथ और 2005 में मेलानिया नाउस के साथ।

संतानें: पहली बीवी से- 31 दिसंबर, 1977 को डोनाल्ड ट्रंप जूनियर, 30 अक्टूबर, 1981 को इवानका ट्रंप और 06 जनवरी 1984 को एरिक ट्रंप।

दूसरी बीवी से- 13 अक्टूबर, 1993 को टिफ़नी ट्रंप।

तीसरी बीवी से- 20 मार्च, 2006 को मेलानिया बैरन विलियम ट्रंप।

चाहतः लेखन, फुटबॉल और बेसबॉल

शिक्षाः फ़ोडर्म विश्वविद्यालय गए और पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के वार्टन स्कूल ऑफ़ फ़िनान्स एण्ड कॉमर्स में पढ़ाई की।

करिअर की शुरुआतः अपने कॉलेज के समय ही पिता की कंपनी में बिजनेस से करिअर की शुरूआत कर दी थी और 2011 मेंफोर्ब्स की टॉप 100 सेलिब्रिटी में शामिल हो गए।

व्यवसायः चेयरमैन और प्रेसीडेण्ड, द ट्रंप ऑर्गनाइजेशन अध्यक्ष, ट्रंप प्लाजा एसोसिएट्स अध्यक्ष, ट्रंप अटलांटिक सिटी एसोसिएट्स अपरेंटिस के प्रस्तोता।

कुल संपति: 3.7 अरब अमेरिकी डॉलर

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व्यवस्था को झकझोर कर रख देने की चाह रखने वाले डोनाल्ड ट्रंप हालांकि अपने इरादों के बहुत मज़बूत हैं और लक्ष्य पर हमेशा सकारात्मक भाव के साथ डटे रहते हैं। फिर भी बुद्धिजीवियों और विशेषज्ञों को इस बात की सच्चाई का भी डर है कि ट्रंप अंतर्राष्ट्रीय मामलों से मोटे तौर पर अनभिज्ञ हैं। वे एक व्यापारी हैं, नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (नैटो) और कश्मीर जैसे मुद्दों को समझने की अभी कोशिश कर रहे हैं। ऐसे तमाम महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनकी राय मूड के हिसाब से बदलती रहती है, फिर वो चाहे भारत का मामला होए रूस का मामला हो या फिर कुछ और।

हालांकि ट्रंप भारत सहित दुनिया के कई देशों की निवेश नीति प्रभावित कर सकते हैं। फिर भी अपने चुनावी माहौल के दौरान हिंदुओं से प्रेम की बात कहकर भारतीय प्रवासियों को रिझाने में क़ामयाब रहे ट्रंप को भारत और अमेरिका सहित दुनिया भर के देश एक अनिश्चय के भाव से देख रहे हैं। ऐसे में अपने विश्वास को सिद्ध करने के लिए ट्रंप को कड़ी परीक्षा से गुजरना होना। आइए जानते हैं अमेरिकाए भारत और दुनिया के तमाम देशों के लिए उनकी नीतियों के बारे में-

आगे की स्लाइड में जानिए क्या हैं भारत के प्रति ट्रंप की नीतियां

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- भारत केसबसे अच्छे दोस्त साबित होने का हर संभव प्रयास करेंगे।

- ट्रंप भारत में बड़े पैमाने पर निवेश करेंगे।

- कश्मीर मामले पर मध्यस्थता की पेशकश।

- ट्रंप भारत में आउटसोर्सिंग के ख़िलाफ़ क़दम उठाएंगे। यह भारत के सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ी कंपनियों के लिए अहम मुद्दा है।

- इस्लामिक कट्टरपंथ और आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान को रोकने में भारत का साथ।

- एचवन-बी वीज़ा सिस्टम में पूरी तरह बदलाव किया जाएगा। यह वीज़ा अमरीका में अस्थाई रूप से काम करने के लिए दिया जाता है। इसका ज़्यादातर इस्तेमाल भारत की प्रौद्योगिकी कंपनियां करती हैं।

आगे की स्लाइड में जानिए जो पांच चीज़ें भारत तुरंत चाहता है

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- सबसे पहले कश्मीर सहित पाकिस्तान के मामलों पर खुला समर्थन चाहिए।

- दोनों देशों के बीच के कारोबार को 2020 तक 500 अरब अमेरिकी डॉलर (करीब 33,375 अरब रुपए) तक ले जाना है।

- अमेरिका ने अजमेर, विशाखापट्‌टनम और इलाहाबाद को स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित करने में रुचि दिखाई है। इस पर वो फौरन आगे बढ़े।

- भारत के परमाणु-उत्तरदायित्व कानून-2010 यानी 'सिविल लायबिलिटी न्यूक्लियर डैमेज एक्ट-2010' के परमाणु समझौतों के मुताबिक अमेरिका भारत में जल्द से जल्द काम शुरू करे।

- 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की सफलता के लिए भी अमेरिका से नजदीकी मदद की दरकार है।

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- संपत्ति कर पूरी तरह से ख़त्म होगा।

- कॉरपोरेटटैक्स की मौजूदा दरें घटेंगी।

- निजी इनकम टैक्स की रियायते बढ़ेंगी।

- दस साल के भीतर ढाई करोड़ नौकरियों की व्यवस्था होगी।

- बौद्धिक संपदा की सुरक्षा जैसे दूसरे व्यापारिक मुद्दों पर कड़े क़ानून बनेंगे।

- अपराधियों से सख़्ती से निपटने के लिए कड़े क़ानून बनेंगे।

- इमिग्रेशन-लॉ में बदलाव होगा। अमेरिका आने वालों की तादाद कम करने के लिए क़ानूनी तरीक़ा आपनाया जाएगा।

- महिलाओं को छह हफ़्ते की मैटरनिटी लीव की सुविधा दी जाएगी। इस दौरान उनको सरकार से भी मदद मिलेगी।

- गर्भपात को पूरी तरह से ग़ैरक़ानूनी बनाया जाएगा और गर्भपात कराने वाली महिलाओं के लिए सज़ा का प्रावधान होगा।

- दूसरा संविधान संशोधन पूरी तरह से सुरक्षित रखा जाएगा। इसमें किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।

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- चीन को किसी तरह की चुनौती नहीं दी जाएगी।

- अमेरिका और मेक्सिको की सीमा पर दो हज़ार मील लंबी दीवार बनेगी।

- इस्लामिक स्टेट से सख़्ती से निपटने के लिए अमेरिकी-सेना उसके सफाए के लिएअरब रवाना की जाएगी।

- रूस के साथ संबंध बेहतर करने के प्रयास होंगे।

- मध्य पूर्वी देशों से आने वाले लोगों को अमेरिका में शरण देने से रोकेंगे।

- पेरिस जलवायु समझौते को रद्द करेंगे।

- अमेरिका और ईरान के बीच हुई परमाणु संधि टलेगी।

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