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जन्म से न बोल पाई न सुना, अब CATWALK कर रचेगी इतिहास
वाराणसी: जहां पहली मई शहर के लिए, पीएम मोदी के ई-बोट लॉन्च करने के लिए ऐतिहासिक होगा, वहीं शहर के दूसरे कोने में दूसरा इतिहास रचा जा रहा होगा। शहर के एक फाइव स्टार होटल में आयोजित 'ब्राइडल फैशन शो' में एक ऐसी दिव्यांग कैटवॉक करेगी, जो जन्म से न एक शब्द बोल पाई है और न कुछ सुन सकती है।
3 साल की उम्र में बिछड़ गई थी मां-बाप से
वाराणसी के संवासिनी गृह में रहने वाली ऋतु की जिंदगी विडंबनाओं की कहानी है। ऋतु जन्म से ही न तो बोल सकती है और न सुन सकती है। उस पर किस्मत की मार कि 3 साल की उम्र में घर से जो निकली तो कभी मां का आंचल और न पिता का दुलार नसीब हुआ। बोल-सुन न पाने की क्षमता के कारण वह कुछ बता भी न सकी। किसी भले व्यक्ति ने उसे पुलिस के हवाले कर दिया और पुलिस ने भी थक-हार कर उसे संवासिनी गृह भेज दिया।
कैटवॉक की प्रैक्टिस करती ऋतु
16 साल बाद मिल रही है सपनों को उड़ान
तकरीबन 16 सालों से संवासिनी गृह की चहारदीवारी के अंदर अपने आपको और अपने सपनों को समेटे ऋतु पहली मई को दुनिया को अनोखा संदेश देगी। वह वाराणसी में आयोजित होने वाले 'मिस और मिस्टर स्टार ऑफ़ बनारस' शो में कैटवॉक करेगी। ऋतु उस ड्रेस में रैंप पर उतरेगी जो हर लड़की का सपना होता है। वह ब्राइडल ड्रेस में कैटवॉक करेगी।
साइन लैंग्वेज में बात करने वाली BODY लैंग्वेज से देगी मेसेज
बोलने और सुनने की क्षमता न होने के कारण ऋतु केवल साइन लैंग्वेज में ही बात कर सकती है। लेकिन जब रविवार को वह खुले आसमान के नीचे रैंप पर चलेगी तो उसका कॉन्फिडेन्स, उसके बॉडी लैंग्वेज से झलकेगा। ऋतु के सपने को सच करने का काम किया है योगसूत्र की संचालिका योग गुरु पुष्पांजलि शर्मा ने। उनका कहना है कि ऋतु का यह कैटवॉक बाकी संवासिनियों को सपने देखने और उन्हें सच करने के लिए प्रेरित करेगा।
योग गुरु का सपना हो रह है सच
पुष्पांजलि शर्मा ने संवासिनी गृह में रह रही लड़कियों की जिंदगी में बदलाव लाने को एक मिशन बना रखा है। इससे पहले उन्होंने संवासिनी गृह में रहने वाली प्रिया को नर्सिंग की ट्रेनिंग दिलाई थी। प्रिय अब एक नर्सिंग होम में सर्जरी के दौरान डॉक्टर्स को असिस्ट करती हैं।
क्या कहती हैं पुष्पांजलि ?
पुष्पांजलि कहती हैं कि यह सब उनके लिए खुद के सपने सच होने से कम नहीं है। वे इस मौके को भावुक भी मानती हैं तो हौसला देने वाला भी बताती हैं। उनका कहना है कि अगर मेहनत के साथ पहल की जाए तो कोई भी मंजिल हासिल करना मुश्किल नहीं होता।