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काशी की बेटी अर्तिका को UPSC में फोर्थ रैंक, PM संग काम करने की इच्छा

Newstrack
Published on: 10 May 2016 10:19 PM IST
काशी की बेटी अर्तिका को UPSC में फोर्थ रैंक, PM संग काम करने की इच्छा
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वाराणसी: यूपीएसी का रिजल्ट वाराणसी के लिए खुशी लेकर आया है। वाराणसी की ही आर्किता शुक्ला ने स्टेट में चौथा स्थान हासिल किया है। आर्तिका पेशे से डॉक्टर हैं और इनके पिता डॉ. बृजेश शुक्ला चाइल्ड स्पेशलिस्ट हैं। आर्तिका के भाई उत्सव शुक्ला भी इसके पहले वाले बैच में आईएएस के लिए सलेक्ट हो चुके हैं। आर्तिका इस समय चंडीगढ़ से चाइल्ड स्पेशलिस्ट की पढ़ाई कर रही हैं।

अर्तिका अपना आदर्श पूर्व प्रेसिडेंट डॉ. अब्दुल कलाम और पीएम मोदी को मानती हैं। अर्तिका ने बताया- आईएस के इंटव्यू में मुझसे पूछा गया कि पीएम मोदी के वाराणसी आने के बाद शहर में क्या परिवर्तन आया है? मैंने बताया- बहुत साफ सफाई हुई है।

अर्तिका का मुंह मीठा कराते परिजन अर्तिका का मुंह मीठा कराते परिजन

सबसे अच्छे लीडर हैं पीएम मोदी

अर्तिका कहती हैं- आज के दौर में पीएम मोदी जैसा लीडर इंडिया में नहीं है, वे सबसे अच्छे लीडर हैं। वो बहुत आशावादी लीडर हैं। मुझे खुशी है कि भविष्य में उनके साथ काम करने का अवसर मिलेगा।

मैं डिजिटल इंडिया, ऑनलाइन क्षेत्र में काम करना चाहती हूं। इस क्षेत्र में भारत में अभी बहुत काम बाकी है। इसके माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाभ पहुंचाया जा सकता है।

भाई ने 2012 में पास की यूपीएससी की परीक्षा

-डॉ. अर्तिका बताती है कि आज यदि वो आईएस बनी हैं तो उसके पीछे उनके माता पिता के साथ ही उनके बड़े भाई का बहुंत बड़ा योगदान है। भाई उत्सव शुक्ला भी बच्चपन से ही मेधावी छात्र रहे हैं। उन्होंने 2012 में यूपीएससी की परीक्षा पास की। वर्तमान में वे गुवाहाटी में असिस्टेंट ऑपरेशन मैनेजर के पद पर तैनात हैं। आर्तिका ने एमबीबीएस के साथ पीडियाट्रिक्स भी किया है। आर्तिका के अनुसार मेडिकल आईएस की कोई तुलना नहीं है। दोनो में लोगों की सेवा करने का अवसर मिलता है।

कैसे पाया मुकाम

अर्तिका ने newztrack.com से बातचीत में बताया कि सफलता के लिए कोई शॉर्टकट नहीं होता। कुछ हासिल करने के लिए जिद, लगन और मेहनत की जरूरत पड़ती है। इसके बिना जीवन में कुछ भी नहीं पाया जा सकता है। भाई के आईएस बनने के बाद मुझ पर भी जुनून सवार हो गया था। इसके लिए सबसे पहले पीजीआई चंडीगढ़ से नौकरी से छुट्टी ले ली। एक साल तक सबसे दूरी बना लिया। फेसबुक से भी नाता तोड़ लिया। सिर्फ और सिर्फ किताबों के साथ दिन-रात जुटी रही।



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