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GOOD NEWS:बैल बनाएंगे बिजली,किसान कर सकेंगे आसानी से खेतों में सिंचाई

shalini
Published on: 24 Jun 2016 4:44 PM IST
GOOD NEWS:बैल बनाएंगे बिजली,किसान कर सकेंगे आसानी से खेतों में सिंचाई
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VARANASI

वाराणसी: आपने बैलों को खेतों में खेती करते देखा होगा या फिर में कुएं से पानी निकालते हुए या आज की गाड़ियों को अपने कंधे के सहारे उसे उसके जाने वाले स्थान तक पहुंचाने का काम करते देखा होगा। लेकिन क्या आपने ये देखा या सुना है कि बैल के चक्कर लगाने से बिजली बनती है। नहीं न, तो आइए आज हम आपको वो दिखाते हैं, जिसका प्रयोग हमारे देश में सदियों से होता आ रहा लेकिन उसकी सही पहचान अब जा के मिली है।

आगे की स्लाइड में जानिए किस वजह से किया गया ये अविष्कार

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वाचस्पति त्रिपाठी अपनी बेटी यशश्वी त्रिपाठी के साथ वाचस्पति त्रिपाठी अपनी बेटी यशश्वी त्रिपाठी के साथ

हॉर्स पॉवर से नहीं ऑक्स पॉवर से बनेगी बिजली

हॉर्स पॉवर से आपने कई मशीने चलती देखी होंगी। लेकिन ऑक्स पॉवर से नहीं हम बात कर रहे है उस जमाने की, जिस ज़माने में कोल्हू के बैल से तेल निकाले जाते थे। तब कभी किसी ने ने सोचा भी नहीं होगा कि ये कोल्हू के बैल अब तेल के बजाय बिजली उत्पादन करेंगे। वो भी एक दो नहीं बल्कि 20 हॉर्स पावर क्षमता वाले मोटर को चलाने का दावा है। वाराणसी के ही वाचस्पति त्रिपाठी और उनकी पुत्री यशश्वी त्रिपाठी ने मिलकर इस अविष्कार को अंजाम दिया जिससे हरित ऊर्जा में एक क्रांति आ सके।

आगे की स्लाइड में जानिए कैसी है यह तकनीक

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ईको-फ्रेंडली है यह तकनीक

आप खुद देख सकते हैं कि ये बैल लगातार गोल-गोल चक्कर लगा रहे हैं। एक लोहे के रॉड के सहारे, पूर्व आईआईटी छात्र रहे वाचस्पति त्रिपाठी व उनकी बिटिया यशश्वी त्रिपाठी ने कई सालों के मेहनत के बाद ये अविष्कार किया। इनका ये शोध पूरी तरह से इको फ्रेंडली और स्वदेशी तकनीक है। इन्होंने इस अविष्कार में दो साल लगाया तब जाकर इनके कामयाबी मिली। स्वदेशी तकनीक से बने इस संयंत्र में दो बैलों का प्रयोग कर २० हॉर्स पावर की क्षमता वाले मोटर के लिए पर्याप्त मात्रा में बिजली का निर्माण किया जा सकता है।

आगे की स्लाइड में पढ़िए कैसे बनाते हैं बैल बिजली

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on power creation

इस संयंत्र में फ्लाइंग व्हील के अलावा चैन स्प्रोकेट, डायनमो, और ब्रोकेट का इस्तेमाल किया गया है। चूंकि बैल एक मिनट में ढाई चक्कर लगता है। इसलिए ब्रोकेट से जुड़ा होने के कारण फ्लाइंग व्हील इस दौरान 525 फेरे लगाता है और इस कारण प्रचुर मात्रा में ऊर्जा का उत्सर्जन होता है। डायनमो इस यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलकर स्वचालित बैटरियों में एकत्रित कर देता है और परिणाम स्वरुप एक घर में जितनी बिजली की आवश्यकता होती है। उतनी बिजली आप इस संयत्र से प्राप्त कर सकते हैं।

आगे की स्लाइड में जानिए किसे होगा फायदा

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on power creation

सबसे ज्यादा होगा किसानों को फायदा

इस ऑक्स पॉवर से इनके अनुसार सबसे ज्यादा अगर किसी को फायदा होगा तो वो किसानों को एक तरफ अगर वो अपने खेतों की खेती बैलों से करवा रहे हैं। तो वही बैलों से उन खेतों में सिंचाई के लिए बिजली उत्पन्न भी कर सकते हैं। जिसे ये अपने खेत के किसी भी कोने में लगवा सकते हैं। वो भी कुछ ही रुपए हैं या फिर कबाड़ से जुटाए हुए सामान से भी लगभग सवा लाख के रकम से खुद बिजली की समस्या को दूर कर सकते हैं।

आगे की स्लाइड में जानिए किस तर्ज पर बनी है यह तकनीक

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on power creation

बीएचयू के प्रोफेसर ने भी सराहा

वहीं इस अविष्कार को बीएचयू के आई आई टी के प्रोफ़ेसर पीके मिश्रा ने भी सराहा है। हालांकि उनका कहना है कि भारत में पुराने समय से ये चला आ रहा है। लेकिन किसी ने इसे इस दृष्टि से नहीं देखा। इस तकनीक से इको फ्रेंडली फायदा तो है ही, साथ ही हरित ऊर्जा का भी फायदा मिल रहा है। इन्होंने अपने इस अविष्कार को पेटेंट करने का भी प्रार्थना पत्र दे चुके हैं और इन्हें उम्मीद है कि इन्हें जल्द अपने इस अविष्कार को सहमति मिल जाएगी।

स्टार्ट अप इंडिया और मेक इन इंडिया के तर्ज पर हुआ ये अविष्कार अगर वाकई हॉर्स पॉवर को ऑक्स पॉवर में तब्दील कर रहा है। तो वाकई उन किसानों को काफी राहत पहुंचाएगा, जो बिजली के कारण अपने खेतों में सिचाई नहीं कर पाते। बस शर्त यह है कि इस अविष्कार को उन तक पहुंचाया जा सके।

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