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WFN ने की घोषणा, ग्रीन ऑस्कर-2017 की अंतिम सूची में भारत के 2 संरक्षणवादी

असम की पूर्णिमा बर्मन को भारत में दुर्लभ हो चले गरुड़ पक्षी और उनके प्राकृतिक वास के संरक्षण के लिए 'ग्रीन ऑस्कर' कहे जाने वाले व्हिट्ले अवार्ड के लिए नामांकित किया गया है। मंगलवार को इसकी घोषणा की

tiwarishalini
Published on: 17 May 2017 3:50 PM IST
WFN ने की घोषणा, ग्रीन ऑस्कर-2017 की अंतिम सूची में भारत के 2 संरक्षणवादी
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गुवाहाटी: असम की पूर्णिमा बर्मन को भारत में दुर्लभ हो चले गरुड़ पक्षी और उनके प्राकृतिक वास के संरक्षण के लिए 'ग्रीन ऑस्कर' कहे जाने वाले व्हिट्ले अवार्ड के लिए नामांकित किया गया है। मंगलवार को इसकी घोषणा की गई। पूर्णिमा के अलावा भारत के एक और संरक्षणवादी संजय गुब्बी भी व्हिट्ले अवार्ड-2017 की अंतिम सूची में शामिल हैं।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेहद प्रतिष्ठित यह पुरस्कार दुनिया के विकासशील देशों में प्रकृति संरक्षण के क्षेत्र में जमीनी स्तर पर असाधारण काम करने वाले व्यक्ति को दी जाती है, खासकर ऐसे व्यक्ति को, जिन्हें संरक्षण कार्य में मानवीय, पर्यावरणीय या राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

ब्रिटेन में पंजीकृत चैरिटी 'व्हिट्ले फंड फॉर नेचर' (डब्ल्यूएफएन) ने 2017 के अवार्ड के लिए छह व्यक्तियों की अंतिम सूची घोषित की है।

अवार्ड के लिए नामांकित एक अन्य भारतीय संरक्षणवादी गुब्बी को कर्नाटक के टाइगर कॉरिडोर में जंगल की कटाई रोकने के लिए जाना जाता है।

विजेता के नाम की घोषणा 18 मई को लंदन के रॉयल ज्योग्राफिकल सोसाइटी में आयोजित खास समारोह के दौरान की जाएगी।

असम के कामरूप जिले की रहने वाली 37 वर्षीय पूर्णिमा पिछले कई वर्षो से गरुड़ पक्षी और उसके प्राकृतिक वास को बचाने में जुटी हुई हैं। गौरतलब है कि स्थानीय भाषा में गरुड़ को हार्गिला कहा जाता है।

गरुड़ के संरक्षण को लेकर पूर्णिमा की लोकप्रियता को इसी से समझा जा सकता है कि कामरूप जिले में गरुड़ के सबसे बड़े प्राकृतिक वास दादरा गांव में उन्हें लोग 'हार्गिला बैद्यू' कहकर पुकारते हैं, जिसका स्थानीय अर्थ हुआ 'गरुड़ की बहन'।

दादरा गांव में अब 1,000 के करीब गरुड़ वास करते हैं, जिसका पूरा श्रेय पूर्णिमा की मेहनत और लगन को जाता है। पूर्णिमा ने गरुड़ों के संरक्षण के लिए खुद को समर्पित कर दिया और इसके लिए उन्होंने शिक्षक की नौकरी तक छोड़ दी।

पूर्णिमा ने कहा, "यह सब 2009 में शुरू हुआ, जब जैव विविधता के संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था आरण्यक ने गरुड़ पक्षी के संरक्षण के लिए पहल की। इसके लिए आरण्यक ने स्थानीय निवासियों में जागरूकता फैलाने के लिए मुझे अपने साथ जोड़ा।"

-आईएएनएस

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