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TIPS: बच्चे और ऑफिस को करें ऐसे स्मार्टली हैंडल, दोनों जिम्मेदारी निभाएं साथ-साथ

suman
Published on: 8 Feb 2017 7:11 AM GMT
TIPS: बच्चे और ऑफिस को करें ऐसे स्मार्टली हैंडल, दोनों जिम्मेदारी निभाएं साथ-साथ
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लखनऊ: आमतौर पर नौकरी पेशा महिलाओं के ऊपर दोहरी जिम्मेदारी होती है। घर-परिवार बच्चों के साथ ऑफिस की। घर और बच्चों की जिम्मेदारी को निभाते हुए ऑफिस के काम को संभालना आसान काम नहीं है। दोनों को मैनेज करना कईं महलिाओं के लिए आसान होता है तो कईं के लिए मुश्किल। अगर आप भी नई-नई मां बनी हैं और इस बात से परेशान हैं कि ऑफिस और घर के बीच कैसे मैनेज करें तो इसके लिए कुछ टिप्स दिए जा रहे हैं....

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ऐसे बने अच्छी मां...

*सबसे पहले तो ये जरूरी है कि आप इस बात पर स्पष्ट रहें कि आखिर आप अपनी प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर क्या रखती हैं? यदि आपकी प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर बच्चा है तो फिर इस बात पर विचार करें कि बच्चे की देखभाल के बारे में आप किन-किन चीजों पर ध्यान देंगी और किस सीमा तक उसके साथ समझौता कर सकती हैं!

*कामकाजी महिलाओं को हमेशा ऑफिस और बच्चों की जिम्मेदारियों के बीच तालमेल बिठाने में मुश्किल होती है। अगर वो बच्चों का ध्यान रखती है तो ऑफिस के काम छूटने लगते हैं और अगर ऑफिस के काम को तवज्जों दें तो बच्चों को पर्याप्त समय नहीं दे पाती हैं। लेकिन घबराइए नहीं इन मुश्किलों के बीच भी आप खुद को स्थिर कर बच्चों और ऑफिस की जिम्मेदारियों को बखूबी निभा सकती हैं। आइए जानें कैसे।

*कामकाजी महिलाओं को प्लानिंग के साथ काम करना आना चाहिए। अपने हर काम की योजना बनाएं जिससे आपका समय बर्बाद न हो और न ही आप पर दबाव बने।

*इस बात का ख्याल रहें कि जीवन में सबसे जरूरी क्या है। उसके हिसाब से ही अपनी प्राथमिकताएं तय करें। एक सूची बनाएं और देखें कि सबसे ऊपर क्या आता है। अगर बच्चा आपकी प्राथमिकता है तो उसकी देखभाल के लिए आप क्या-क्या कर सकती हैं और किन-किन चीजों के साथ समझौता कर सकती हैं इसकी सीमा तय करें।

*ऑफिस से निकलने के बाद शॉपिंग की बजाए, बच्चे को समय दें। बच्चे की देखभाल आपसे अच्छा कोई और नहीं कर सकता। ऑफिस में आप एकाग्र होकर काम कर सकें, इसके लिए जरूरी है कि आपके पास घर बच्चे को देखने के लिए सपोर्ट सिस्टम हो। हां, जिस पर आपको ज्यादा भरोसा हो, उसके साथ ही बच्चे को छोड़ें।

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ऑफिस में लगातार काम ना करें

*इसके अलावा ऑफिस को अतिरिक्त समय देने की भी उम्मीद की जाती है। अगर ऐसा है तो आपके लिए ऐसी नौकरी ठीक नहीं है। आप कोई ऐसी नौकरी करें, जिसमें आप जरूरत पड़ने पर घर बैठे-बैठे भी काम कर सकती हैं।

*अगर योजनाएं बना कर काम किया जाए तो बहुत समय बचाया जा सकता है। इसलिए घर हो या दफ्तर, योजना बनाकर काम करें। अगर संभव हो तो काम की सूची बना लें।

*किसी ऐसी कंपनी में काम करें, जहां एक मां के तौर पर आपकी जिम्मेदारी के प्रति भी संवेदनशीलता बरती जाती हो। काम के घंटे अपेक्षाकृत कम और दफ्तर का समय थोड़ा लचीला हो। यदि इस तरह की सुविधा और स्वतंत्रता आपको मिलती है तो आप बहुत इत्मीनान से दोनों के बीच संतुलन बना सकती हैं, लेकिन यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो आपको खुद पर भरोसा रखना होगा।

*यदि आप अपने काम से भी प्यार करती हैं और बच्चे से संबंधित अपनी नई जिम्मेदारी के साथ किसी भी तरह अपने काम का बैलेंस बनाना चाहती हैं तो इस बात पर इत्मीनान से गौर करें कि क्या वाकई आपका सपोर्ट सिस्टम इतना अच्छा है कि आप उस पर भरोसा कर सकती हैं?

*अगर आप मिलजुल कर काम करेंगी तो निश्चित ही काम जल्दी खत्म होगा और आप भी रिलैक्स रहेंगी। घर के कामों में पति की या अन्य किसी की मदद लेने से ना हिचकें। सारा काम अकेले ही करने की कोशिश में आप जल्द ही थक जाएंगी और बच्चे को समय नहीं दे पाएंगी।

*ऑफिस में भी लगातार काम न करें। कुछ देर अपने सहकर्मियों के साथ चॉय-कॉफी पिएं और बातें करें। इससे आपका तनाव कम होगा।

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बच्चों से दिनचर्या के बारे में बात करें

*बच्चों को वीकएंड का बड़ी बेसब्री से इंतजार होता है क्योंकि इस समय वे आपके साथ हो सकते हैं। वीकएं पर खाली रहने के लिए हफ्ते में हर दिन छोटे-छोटे काम निपटा लें, जिससे आप छुट्टी के दिन बच्चा के साथ पूरा समय व्यतीत कर सकें।

*आजकल बाजार में कई ऐसी चीजें उपलब्ध हैं जो खास कर कामकाजी मां को ख्याल में रखकर बनायी गई है। ये चीजें आपके काम को कम करने में आपकी मदद कर सकती हैं। इनके प्रयोग से आपका समय भी बर्बाद नहीं होता।

*अगर आपके ऑफिस की जिम्मेदारी जल्दी खत्म हो जाए तो घर जल्दी आकर बच्चों के साथ समय बीताएं। हर रोज अपने घर आने का समय निर्धारित कर लें जिससे आप उस समय तक अपने सभी काम निबटा सकेंगी और बच्चों के साथ समय भी बिता पाएंगी।

*अभिभावकों की व्यस्तता व उपेक्षा के चलते बच्चों में पढ़ाई के प्रति अरुचि पैदा होती है। उनका शैक्षिक रिकार्ड खराब होने लगता है। ऐसे में बच्चे पर मानसिक दबाव बनाने से बेहतर है कि उसे अधिक से अधिक समय देने के साथ बातचीत का दायरा बढ़ाएं। उसके स्कूल, दोस्तों और दिनचर्या पर चर्चा करें

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