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विश्व हास्य दिवस: किसी को मुस्कुराहटें करें निसार, समेटते रह जाएंगे इतना मिलेगा प्यार
पूनम नेगी
लखनऊ: नवाबों की नगरी लखनऊ के रेलवे स्टेशन से आदमी बाहर निकलता है, तो बड़े अक्षरों में लिखे बोर्ड पर नज़र टिकती है- "मुस्कुराइए कि आप लखनऊ में हैं"। यह वाक्य पढ़ते ही यात्रियों के चेहरे पर मुस्कुराहट फैल जाती है। इस एक वाक्य में लखनऊ की ज़िंदादिली व खुशमिज़ाजी के दर्शन होते हैं। हंसना एक मानवीय लक्षण है, सृष्टि का कोई भी जीवधारी नहीं हंसता, लेकिन एक हम मनुष्य ही हंसने वाले प्राणी हैं, जीवन में निरोगी रहने के लिए हमेशा मुस्कुराते रहना चाहिए।
खाना खाते समय मुस्कुराइए, आपको महसूस होगा कि खाना अब अधिक स्वादिष्ट लग रहा है। लाफ्टर एक सकारात्मक और पावरफुल इमोशन है, जिसका हमारे स्वास्थ्य से गहरा संबंध है। हास्य एक सार्वभौमिक भाषा है इसमें सभी अपवादों से दूर रहकर मानवता को समन्वित करने की क्षमता है। मनोवैज्ञानिक अध्ययन से यह साबित हुआ है कि ज्यादा हंसने वाले लोग अधिक स्वस्थ रहते हैं। हंसने से रक्त संचार की गति बढ़ती है और पाचनतंत्र कुशलता से कार्य करता है।
आज मनुष्य के पास बहुत कुछ है पर हंसी नहीं है। पिछले दिनों हुए सर्वे में यह बात सामने आई कि "हैपिनेस इनडेक्स" में अपने देश की स्थिति कुछ ज्यादा ही खराब है। हंसी और खुशी के मामले में हम पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश से भी कंगाल हैं। यह वाकई बेहद चिंता का विषय है। आज के दौर में लोग अपनी मुस्कुराहट और हंसी को भूलते जा रहे हैं। दुनिया आतंकवाद से त्रस्त है। आपाधापी के इस युग में हर आदमी सुबह से शाम तक डिप्रेशन में रहता है और इसकी वजह से तनाव, ब्लड प्रेशर, शुगर, माइग्रेन जाने कितनी शारीरिक व मानसिक बीमारियां लगी रहती हैं।
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दरअसल आज के जीवन में हर क्षण तनाव है, अनिश्चितता है, असंतोष है, भय है। इसीलिए हंसी हमसे दूर हो रही है। होना तो ये चाहिए कि दूसरे को हंसता हुआ देखकर हम हंस पड़ें। लेकिन दूसरों को दु:खी देखकर हम हंस रहे हैं। आप सुबह-सुबह सड़क पर निकल जाएं, अधिकांश लटके हुए चेहरे मिलेंगे। लोग पार्कों में खूब योग, प्राणायाम, ध्यान, सत्संग करते हैं। लेकिन वहां से निकलते ही चिड़चिड़ाने लगते हैं। सारी टेंशन घर, दफ्तर, सड़क पर निकलते रोज देखी जा सकती है। फिर आज मनुष्य का अहं भी बहुत बढ़ गया है, उसकी आवश्यकताएं बढ़ गई हैं। जब आवश्यकताएं पूर्ण नहीं होतीं या अहं को चोट लगती है तो उसे बहुत क्रोध आता है।
क्रोध की मात्रा के अनुसार ही उसका असर रहता है- 4 घंटे, 8 घंटे, 12 घंटे। ऐसे में कुछ यौगिक क्रियाएं मन पर काबू पाने में सहायक हो सकती हैं। जैसे- आसन, प्राणायाम, ध्यान, डीप ब्रीदिंग, योग निद्रा, शवासन व हास्य योग। हास्य योग एक आसान व सहज क्रिया है। इसके लिए दिनभर में कम से कम एक वक्त दिल खोलकर हँसना चाहिए। पुराने समय में राजा-महाराजाओं के दरबार में भी विदूषक - बहुरूपिया रूप बदलकर या चुटकुले सुनाकर लोगों को हंसाते, उनका मनोरंजन करते थे।
आजकल सभी महानगरों में हास्य क्लब शुरू हो गए हैं। योग सेंटर्स पर भी हास्य की क्रिया करवाई जाती हैं। हंसने से आंतरिक भागों की चेहरे की मांसपेशियों को बहुत लाभ होता है। इससे लेक्टिव एसिड (दूषित पदार्थ) बाहर जाता है। मस्तिष्क की अल्फा वेन एक्टिव तथा बीटा वेन डाउन होती है, जिससे आनंद की अनुभूति होती है। पिट्यूटरी ग्लेंड्स, एड्रीनल ग्लेंड्स प्रभावित होती हैं जिससे भय, तनाव और अवसाद दूर होता है। समूह में हंसने से अधिक लाभ होता है।
जब मनुष्य हंसता है तो वह कुछ पलों के लिए सबसे अलग हो जाता है। उसके विचारों की श्रृंखला टूट जाती है। एकाग्रता आती है। मन-मस्तिष्क खाली व हल्के होने लगते हैं। हंसाकर बीमारों का इलाज भी आसानी से होता है। बीमारी से राहत जल्दी मिलती है। जिनका मन, मस्तिष्क प्रफुल्लित होता है, उन्हें उतना ही जल्दी आराम मिलता है। इससे बचने के लिए हंसना-हंसाना बहुत जरूरी है।
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हास्य एक सार्वभौमिक भाषा है। इसमें जाति, धर्म, रंग, लिंग से परे रहकर मानवता को समन्वय करने की क्षमता है। हंसी विभिन्न समुदायों को जोड़कर नए विश्व का निर्माण कर सकती है। यह विचार भले ही काल्पनिक लगता हो, लेकिन लोगों में गहरा विश्वास है कि हंसी ही दुनिया को एकजुट कर सकती है। हंसी जीवन का प्रभात है। हंसने से आत्मा खिल उठती है। इससे आप तो आनंद पाते ही हैं, दूसरों को भी आनंदित करते हैं। हास-परिहास पीड़ा का दुश्मन है, निराशा और चिंता का अचूक इलाज और दुःखों के लिए रामबाण औषधि है। हंसी सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकती है। इसके आधार पर विश्व में शांति और भाईचारा कायम किया जा सकता है। इससे सामूहिक चेतना जागृत होती है।
मई के पहले रविवार को सारी दुनिया हास्य दिवस के रूप में मनाती है। इस बार यह 7 मई को पड़ रहा है। सी.एम शारदा और डॉ. आर.डी. बाहेती ने 1970 में देश को पहला लाफ्टर ग्रुप दिया। उनका ग्रुप पिछले 44 वर्षों से लोगों को हंसी के कुछ पल देने के साथ ही जीवन में मुस्कराते रहने का संदेश देता आ रहा है। इसके बाद "वर्ल्ड वाईड लाफ्टर योगा मूवमेंट" के फाउंडर डा मदन कटारिया ने 1998 में मुंबई से हास्य योग की शुरूआत की।
मुस्कराहट बांटने के साथ हजारों की तादाद में लोगों को रोज हंसाना और उनके साथ हंसना ही इस ग्रुप उद्देश्य है। खुद तो सभी हंस लिया करते हैं, पर दूसरों के चेहरे पर मुस्कराहट लाना बड़ी बात है। एक व्यक्ति जब अकेले हंसता है तो लोग उसे पागल समझते हैं, मगर ग्रुप में हंसना आसान होता है और आपमें उत्साह भर देता है।
इसीलिए रिलैक्स होने के लिए जगह-जगह लाफिंग क्लब खुल गए हैं। और तो और हंसी को भी हास्य योग का जामा पहना दिया गया है। जाहिर है कि हमारी हंसी खो गई है तो उसे वापस लाने की ये कोशिशें तो करनी ही होंगी। वैसे हास्य योग भी एक आसान व सहज क्रिया है। हंसने से चेहरे के आंतरिक भागों वाली मांसपेशियों को बहुत लाभ होता है। इससे लेक्टिव एसिड (दूषित पदार्थ) बाहर जाता है, मस्तिष्क की अल्फा वेन एक्टिव होती है और वीटा वेन डाउन होती है। यह प्रक्रिया आपको प्रसन्नता देती है और इससे तनाव दूर हो जाता है। समूह में हंसने से ज्यादा फायदा होता है । कोई भी जब हंसता है तो वह कुछ पलों के लिए सबसे अलग हो जाता है। उसके उलझे हुए विचार खत्म हो जाते हैं और मन मस्तिष्क प्रफुल्लित होने लगते हैं। इससे उसे आराम मिलता है।
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आयुर्वेद में स्वास्थ्य की परिभाषा में कहा गया है- शरीर के समस्त दोष, अंग, पाचन-तंत्र सब ठीक-ठाक हों तब भी हम स्वस्थ नहीं कहलाएंगे, जब तक हमारी समस्त इंद्रियां और इनका स्वामी मन प्रसन्न न हो। हंसने के दौरान मस्तिष्क में पाजिटिव एनर्जी का संचार तो होता ही है, साथ ही शरीर में, विशेष रूप से पेट और आंतरिक अवयवों में वाइब्रेशन होता है। खुलकर हंसना यानी पेट से हंसना सबसे अच्छी क्रिया है। इस दौरान शरीर में कंपन पैदा है जिससे मांसपेशियों की अकड़न, जटिलता और खिंचाव कम होता है। उनमें रक्त और ऑक्सिजन का प्रवाह सुचारु होता है। उनकी कार्यक्षमता बढ़ती है। कंपन से शरीर में जमा अतिरिक्त वसा पिघल कर बाहर निकलता है। इसके लिए जरूरी है कि लगभग 10- 15 मिनट तक थोड़े-थोड़े अंतराल में हंसी के दौर को जारी रखा जाए।
ताकि फेफड़ों को भरपूर आक्सीजन मिले, रक्त प्रवाह सुचारु हो और सबसे जरूरी है मन में एक तृप्ति या आनंद भाव उत्पन्न होने लगे। ठहाके लगाने से शरीर व मन दोनों स्वस्थ व ऊर्जावान होते हैं। सबसे सुंदर, निश्छल हंसी है निर्बाध हंसी। यानी बिना कारण हंसना। जैसे एक छोटा बच्चा हंसता है। उस हंसी के दौरान शरीर व मस्तिष्क दोनों ही पूरी तरफ निर्लिप्त होकर क्रिया करते हैं। मस्तिष्क शांत, निर्मल व स्थिर हो जाता है। हम ध्यान की स्थिति में पहुंच जाते हैं। शरीर की खुराक है पौष्टिक भोजन, मन की खुराक है खूब हंसना। हंसना सेहत के लिए अच्छा है। विश्व हास्य दिवस के मौके पर आइए जाते हैं हंसने के खास फायदे-
1. मानव शरीर में पेट और छाती के बीच में एक डायफ्राम होता है, जो हँसते समय धुकधुकी का कार्य करता है। फलस्वरूप पेट, फेफड़े और यकृत की मालिश हो जाती है।
2. हंसने से ऑक्सीजन का संचार अधिक होता है व दूषित वायु बाहर निकलती है।
3. नियमित रूप से खुलकर हंसना शरीर के सभी अवयवों को ताकतवर और पुष्ट करता है व शरीर में रक्त संचार की गति बढ़ जाती है तथा पाचन तंत्र अधिक कुशलता से कार्य करता है।
4. ज़ोर से कहकहे लगाने से पूरे शरीर में प्रत्येक अंग को गति मिलती है, फलस्वरूप शरीर में मौजूद एंडोफ्राइन ग्रंथि (हारमोन दाता प्रणाली) सुचारु रूप से चलने लगती है, जो कि कई रोगों से छुटकारा दिलाने में सहायक है।
5. दुनिया में सुख एवं दुःख दोनों ही धूप-छांव की भांति आते-जाते हैं। यदि मनुष्य दोनों परिस्थितियों में हंस-मुख रहे तो उसका मन सदैव काबू में रहता है व वह चिंता से बचा रह सकता है।
6. प्रयोगों से यह स्पष्ट हुआ है कि अधिक हंसने वाले बच्चे अधिक बुद्धिमान होते हैं। हंसना सभी के शारीरिक व मानसिक विकास में अत्यंत सहायक है। जापान के लोग अपने बच्चों को प्रारंभ से ही हंसते रहने की शिक्षा देते हैं।
7. प्रसन्नचित व्यक्ति अधिक जीता है। मनुष्य की आत्मा की संतुष्टि, शारीरिक स्वस्थता व बुद्धि की स्थिरता को नापने का एक पैमाना है चेहरे पर खिली प्रसन्नता।
पूनम नेगी