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OCEAN DAY: समुद्रों में प्लास्टिक न फैलाएं, बेजुबान जीवों की जान बचाएं
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लखनऊ: छुट्टियां होते ही अक्सर लोग समुद्री बीच की ओर रुख करते हैं। फिर वह चाहे मुंबई में जुहू बीच हो या फिर गोवा के किनारे बसा हुआ अरामबोल बीच। हजारों की संख्या में लोग बीचेस पर घूमने जाते हैं। पर उससे भी ज्यादा लोग उन बीचेस पर प्लास्टिक बोतलें और पॉलिथीन फेंक कर आते हैं। आज वर्ल्ड ओसियन डे है। एक रिपोर्ट के अनुसार लोग समुद्रों में आठ लाख टन के आसपास प्लास्टिक की चीजें फेंक देते हैं, जिसकी वजह से एनवायरमेंट का बैलेंस बिगड़ रहा है। प्लास्टिक बैग और बोतलों के कूड़े हमारे समुद्र तटों, स्वास्थ्य, जानवरों, पौधों सभी को नुकसान को पहुंचाते हैं।
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जागरूकता को बढ़ाने के लिए मनाया जाता है विश्व महासागर दिवस
हमारे वन्य जीवन, जलवायु और स्वास्थ्य पर प्लास्टिक प्रदूषण के विनाशकारी प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 8 जून को विश्व महासागर दिवस के तौर पर मनाया जा रहा है। बता दें कि बैग, बोतल और खाद्य पैकेजिंग के रूप में लाखों टन सालाना प्लास्टिक मलबा हमारे महासागरों में फेंक दिया जाता है। ये आइटम धीरे धीरे समुद्र की तली में पहुंच जाते हैं और उसके अंदर रहने वाले जीवों की मृत्यु का कारण बनते हैं।
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रिपोर्ट ने भी किया था आगाह
प्लास्टिक में ऐसे खतरनाक रसायन होते हैं, जिनसे पर्यावरण में जहर फैलता है। मई में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में वैज्ञानिकों के अनुसार इससे बांझपन जैसी आनुवांशिक बीमारियां तेजी से पैदा हो रही हैं। अगर इंसान अपने बारे में नहीं सोचता है तो कम से कम लोगों को उन बेजुबान समुद्री जीवों के बारे में सोचना चाहिए। उनके द्वारा फेंकी गई प्लास्टिक की चीजों को ये जीव खाना समझ कर खा लेते हैं और कुछ ही देर में उनकी मौत हो जाती है। कई बार समुद्र के किनारे पर आने वाले जीव प्लास्टिक कचरे में फंस कर जान गंवा देते हैं।
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जानिए क्यों है प्लास्टिक प्रदूषण को जानने की जरुरत
फरवरी 2015 में एक यूसी सांता बारबरा अध्ययन के अनुसार हर साल आठ लाख मीट्रिक टन प्लास्टिक महासागरों में फेंकी जाती है। समुद्र के बीच पर पड़े प्लास्टिक बैग धीरे धीरे माइक्रो साइज़ में बदल जाते हैं। लोगों के पैरों से टकराते हुए ये माइक्रो प्लास्टिक समुद्र के भीतर पहुंच जाते हैं जिनसे समुद्री जीवों का जीवन खतरे में पड़ जाता है। एलेन मैकआर्थर फाउंडेशन ने जनवरी में समुद्री प्रदूषण पर एक रिसर्च की और पाया कि 2050 तक हमारे महासागरों में मछलियों की संख्या से अधिक प्लास्टिक बैग हो जाएंगे। शोधकर्ताओं का अनुमान है महासागर में प्लास्टिक की राशि 2020 से दस गुना वृद्धि तय है। इससे न केवल समुद्री जीवों का जीवन खतरे की ओर बढ़ रहा है बल्कि पर्यावरण भी दूषित हो रहा है।
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