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PHOTOS: यह हैं कानपुर के 'स्पैरो डिफेंस', पूरे घर को बनाया है गौरैयाओं का आशियाना
कानपुर: 20 मार्च को पूरे देश में गौरैया दिवस मनाया गया विलुप्त होती जा रही गौरैयाओं को बचाने के लिए तरह-तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन गौरैया सरक्षण में कानपुर के एक परिवार ने जैसी जागरूकता दिखाई है, वह वाकई काबिल-ए-तारीफ है। कानपुर में एक ऐसा परिवार है, जिसने अपने पूरे घर को चिड़ियों का घोंसला बना दिया है। यह दंपत्ति चिड़ियों के लिए पूरे मकान में घोंसले उनके लिए खिलौने, झूले पानी आदि की जगह-जगह व्यवस्था की है।
आगे की स्लाइड में देखिए किस तरह गौरैयाओं के लिए काम कर रहा यह परिवार
इस परिवार के दामन में जब भी कोई ख़ुशी या त्यौहार का मौका आता है, तो यहां पांच पौधे लगाते हैं। एसबीआई से रिटायर्ड होने के बाद अपना पूरा समय गौरैया, बुलबुल, कोयल, टिटहरी, गिलहरी को देते हैं। लगातार 15 साल से यह विलुप्त हो रही प्रजाति की चिड़ियों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इन्होंने अपने मकान में 15 साल से पुताई नहीं कराई है। इसकी वजह से की पक्षियों के घोंसले इधर-उधर न हो जाएं, जिससे वह घर पर आना छोड़ दें।
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किदवई नगर थाना क्षेत्र के साइड नंबर वन में रहने वाले प्रकाश कुमार एसबीआई से रिटायर्ड हैं। परिवार में पत्नी नीता धवन बेटा रवि (पीएचडी) कर रहा है और छोटा बेटा रजत बीटेक करने के बाद कानपुर में ही एक निजी कंपनी में जॉब कर रहा है। प्रकाश कुमार बीते चार पहले फजलगंज शाखा एसबीआई से रिटायर्ड हुए हैं, प्रकाश कुमार 15 साल से गौरैया संरक्षण के लिए घर पर ही घोंसला बनाकर देख-रेख कर रहे थे।
आगे की स्लाइड में जानिए गौरैया संरक्षण के लिए काम क्र रहे प्रकाश कुमार का
प्रकाश कुमार ने बताया कि मैं 15 साल से गौरैया संरक्षण के लिए काम कर रहा हूं। सबसे पहले मैंने अपने घर में एक घोंसला बनाकर दीवार पर टांग दिया था और उस पर उनके लिए दाना-पानी रख दिया था। इसके बाद गौरैया आना जाना शुरू हो गया। उनकी बढ़ती संख्या को देख कर मेरा पूरा परिवार बहुत खुश हुआ। हम सभी ने जगह-जगह पूरे मकान दर्जनों घोंसले बना दिए। हमारे घर सैकड़ों गौरैया आने लगी। सुबह और शाम मेरा घर चिड़ियों की चहचाहट से गूंजने लगा।
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सबसे अच्छी बात यह हुई गौरैया के साथ-साथ बुलबुल, टिटहरी, रंग-बिरंगी चिड़िया और गिलहरी भी आने लगी। इसके बाद हमने अपने घर के बरामदे, छत व पेड़-पौधों पर सैकड़ों घोंसले बना दिए। जहां पर उनकी जरूरत की सभी सामग्री मिल जाएगी। साथ ही उनके लिए अच्छा वातावरण भी बनाया उनके लिए घोंसले, झूले, खेलने के लिए खिलौने भी रखे हैं। यह सभी पक्षी यहां पर आते हैं। खाना खाते हैं और दिनभर के लिए उड़ जाते हैं।
आगे की स्लाइड में देखिए किस तरह अन्य पक्षियों को भी मिला है आशियाना
उन्होंने बताया कि अब तो गौरैया समेत अन्य पक्षी घास फूस से अपना घोसला स्वयं ही बना रहे हैं। गौरैया और बुलबुल यहां पर अंडे भी देते हैं। जिनकी सुरक्षा के लिए हम सभी लगे रहते हैं। उन्होंने एक बहुत ही खास बात बताई कि जब से इन पक्षियों का मेरा घर आशियाना बना है। मेरे घर में तरक्की और खुशियों का आना शुरू हो गया है। हमने अपने घर की बीते 15 साल से पुताई इस लिए नहीं कराई है कि इन पक्षियों को असुविधा का सामना नहीं करना पड़े।
उन्होंने बताया कि जब मैं नौकरी करता था, तो इन पक्षियों को सुबह और शाम के वक्त ही समय दे पाता था। मेरी पत्नी पूरे दिन इनकी देख-रेख करती थी, यदि कोई पक्षी बीमार होता था, तो उसे डॉक्टर के पास भी वही ले जाती थी।
आगर की स्लाइड में जानिए क्या है नीता धवन का कहना
नीता धवन ने बताया कि मैंने इन सभी पक्षियों को अपने बच्चों की तरह देख-रेख की है। हम सभी होली, दीवाली बच्चों के बर्थ डे पर या फिर किसी अन्य ख़ुशी के मौके पर पांच वृक्ष लगाते हैं। इसके बाद उस पल को सेलिब्रेट करते हैं। उन्होंने बताया कि मेरे सास-ससुर भी इसी तरह गांव में खेतो पर गौरैया और अन्य पक्षियों के लिए घोंसले व उनके लिए पानी व दाना रखते थे। उसी से प्रेरित होकर मेरे पति ने भी इनके संरक्षण के लिए यह कदम उठाया है। लेकिन बदलते दौर के साथ गौरैया व अन्य पक्षी हमारे बीच से विलुप्त होते जा रहे हैं, यह हमारे बहुत बड़ी बात है।
आगे की स्लाइड में देखिए घोंसलों से सजे इस आशियाने की खूबसूरत झलकियां
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