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हाफिज़ सलमानी की तरह खुलेगी योगी की 'हजामत' करने वाले नाई रामानन्द की किस्मत....?

Rishi
Published on: 25 March 2017 2:32 PM GMT
हाफिज़ सलमानी की तरह खुलेगी योगी की हजामत करने वाले नाई रामानन्द की किस्मत....?
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लखनऊ : राजधानी में नरही की संकरी गलियों में 35 साल पुरानी दुकान में बाल काटने वाले रामानंद को शायद इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि शुक्रवार की सुबह उसके लिए किसी वरदान से कम नहीं होगी।

रामानंद ने हर दिन की तरह सामान्य तरीके से अपनी नाई की दुकान खोली और ग्राहकों के आने का इंतजार करने लगा। उसको इस बात का अंदाजा भी न था कि उसकी किस्मत चंद मिनटों में बदलने वाली है।

शुक्रवार की सुबह उसकी छोटी सी पुरानी दुकान के आगे एक मोटरसाइकिल आकर रूकी।उसमें से उतरे दो लोगों ने उससे सीएम योगी आदित्यनाथ के बाल काटने के लिए कहा और जल्दी से साथ चलने को कहा। यह सुनकर रामानंद पहले चौंका और कहा कि मेरे साथ मजाक मत कीजिए। लेकिन जब दुकान आए लोगों ने उससे जिद की तो वह साथ चला गया। उसे यह जानकर आष्चर्य हो रहा था कि प्रदेश के नवनिर्वाचित सीएम के बाल काटने के लिए उसे चुना गया है।

यह सब उसके लिए एक सपने जैसा था। खैर वह सीएम योगी आदित्यनाथ के बाल काटकर बिना अपनी फीस लिए दुकान लौट आया, लेकिन अब उसके और उसके परिचितों के मन में एक ही सवाल है कि क्या रामानंद की किस्मत भी राजधानी के फेमस नाई हाफिज सलमानी की तरह अचानक पलटेगी। वही हाफिज सलमानी जो पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के बाल काटते थे और धीरे-धीरे मुलायम सिंह यादव ने उनको फर्श से अर्श पर पहुंचा दिया।

रामानंद बोले- एक ही दिन में बदल गई लोगों की नजरें

रामानंद से मिलने जब न्यूजट्रैक की टीम उनके आदर्श हेयर कटिंग सैलून पहुंची, तो वह अपने भाई के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ की तस्वीर अपनी दुकान में कील ठोंक कर टांग रहे थे। जब हमने उनसे पूछा इस अप्रत्याशित घटना से उनकी जिंदगी में कोई बदलाव महसूस हो रहा है, तो उन्होंने तुरंत कहा कि भैया ये समझ लीजिए बाबा योगी के दर्शन हो गए तो ऐसा लग रहा है कि भगवान मिल गए। कल तक हमारी दुकान में जहां 20 से 25 ग्राहक ही पूरे दिन में आते थे। आज सुबह से करीब 50 लोग बाल कटवा गए हैं और देखिए 50 लोग बाहर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।

रामानंद ने बताया कि उनको सीएम योगी आदित्यनाथ के बाल काटने की फीस के बदले 500 रूपये मिल रहे थे, लेकिन उन्होंने उसे लेने से इंकार कर दिया और इतना ही कहा कि बस सीएम साहब हम पर आशीर्वाद बनाए रखिएगा। रामानंद को जहां सीएम के आशीर्वाद से अपनी किस्मत के चमकने का इंतजार है, वहीं नरही के निवासियों की बातों में भी इस बात की चर्चा है कि शायद रामानंद के जरिए उनके एरिया का विकास हो जाए।

हाफिज सलमानी की मुलायम सिंह ने बदल दी थी किस्मत

राजधानी में रामानंद जैसे ही एक नाई हुआ करते थे हाफिज सलमानी। यह नेताजी मुलायम सिंह यादव के 1980 के दशक में बाल काटने जाते थे। एक दिन मुलायम सिंह ने उनसे पूछा कि तुमको कुछ चाहिए तो मांग लो, इस पर हाफिज ने उनसे उस समय हजरतगंज की जनपथ मार्केट में एक दुकान की मांग रख दी। मुलायम सिंह के सीएम बनते ही उन्होंने एक सरकारी आफिस को खाली करवाकर उस समय 5 लाख की कीमत की एक दुकान हाफिज को भेंट की थी। इसके बाद उसने वहां बांबे मेंस पार्लर खोला। इसकी एक ब्रांच उसने जानकीपुरम में भी खोली। हाफिज की दुकान में काम करने वाले कमाल सलमानी ने बताया कि नेताजी के अलावा यहां कई आईएएस और समाजवादी नेताओं का आना जाना है। नेताजी के बाल काटने हाफिज आज भी उनके घर जाते हैं। जिस तरह सीएम रहते मुलायम सिंह यादव ने हाफिज सलमानी को अर्श पर पहुंचा दिया। कुछ ऐसा ही चमत्कार का इंतजार रामानंद का परिवार भी कर रहा है।

महज 30 रूपये कटिंग लेता है रामानंद

रामानंद ने बताया कि उसके परिवार में एक पत्नी और पांच बच्चे हैं, जिनकी पढाई लिखाई के लिए वह जी तोड मेहनत कर रहा है। एक कटिंग का वह मात्र 30 रूपये लेता है और ऐसी महंगाई में घर बमुश्किल ही चल पा रहा है। सीएम योगी आदित्यनाथ से हुई मुलाकात के बाद से रामानंद के परिवार को किसी बडे करिश्में की उम्मीद है। फिलहाल उसकी दुकान पर बाल कटाने के लिए लोगों का तांता लगा हुआ है।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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